‘ऑपरेशन सिंदूर’ किसी भी पारंपरिक मिशन से अलग था: थलसेना प्रमुख

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }:सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ किसी भी पारंपरिक मिशन से अलग था और यह शतरंज की बाजी जैसा था क्योंकि ‘‘हमें नहीं पता था’’ कि दुश्मन की अगली चाल क्या होगी। उन्होंने कहा कि ‘टेस्ट मैच’ चौथे दिन ही रुक गया लेकिन देखा जाए तो यह लंबा संघर्ष हो सकता था। उन्होंने ‘‘नैरेटिव मैनेजमेंट’’ (विमर्श गढ़ने, किसी विषय पर लोगों की धारणा बनाने) के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि ‘‘असली जीत दिमाग में होती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप किसी पाकिस्तानी से पूछें कि ‘‘आप हारे या जीते, तो वह कहेगा कि हमारे (सेना प्रमुख) फील्ड मार्शल बन गए हैं, तो हम जरूर जीते होंगे, इसीलिए वह फील्ड मार्शल बने हैं।’’ सेना प्रमुख ने चार अगस्त को मद्रास स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में आयोजित एक समारोह को संबोधित करने के दौरान यह टिप्पणी की। उनके संबोधन का वीडियो सेना ने सप्ताहांत में साझा किया। सेना प्रमुख ने किसी देश का नाम लिए बिना खतरे की आशंका को भी रेखांकित किया और कहा, ‘‘अगली बार यह (खतरा) कहीं ज्यादा हो सकता है और वह देश इसे अकेले करेगा या किसी और देश के समर्थन से करेगा, हमें नहीं पता। लेकिन, मुझे पूरा यकीन है, मुझे लगता है कि वह देश अकेला नहीं होगा। यहीं हमें सावधान रहना होगा।’’ जनरल द्विवेदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की जटिलताओं पर जोर देने के लिए शतरंज और क्रिकेट की उपमाओं का इस्तेमाल किया। भारत ने 22 अप्रैल के पहलगाम हमले के जवाब में मई में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाकर निर्णायक सैन्य कार्रवाई की थी। इस ‘ऑपरेशन’ के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन तक सैन्य संघर्ष जारी रहा, जो 10 मई को दोनों पक्षों के बीच सहमति बनने के बाद रुक गया।
जनरल द्विवेदी ने इसकी तुलना शतरंज की बाजी से करते हुए कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर में हमने शतरंज की बाजी खेली। इसका क्या मतलब है? इसका मतलब है कि हमें नहीं पता था कि दुश्मन की अगली चाल क्या होगी और हम क्या करने वाले हैं। इसे हम ‘ग्रे जोन’ कहते हैं। ‘ग्रे जोन’ का मतलब है कि हम पारंपरिक ‘अभियान’ नहीं चला रहे, लेकिन हम कुछ ऐसा कर रहे हैं जो पारंपरिक ‘अभियान’ से थोड़ा हटकर हो।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पारंपरिक ‘अभियान’ का मतलब है, सबकुछ लेकर जाओ, जो कुछ आपके पास है उसे ले जाएं और अगर आप वापस आ सकते हैं तो वापस आ जाएं, नहीं तो वहीं रहें। इसे पारंपरिक तरीका कहा जाता है। यहां ‘ग्रे जोन’ का मतलब सभी क्षेत्र में से किसी में होने वाली गतिविधि से है, हम इसी के बारे में बात कर रहे हैं और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने हमें सिखाया कि यही ‘ग्रे जोन’ है।’’
सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हम शतरंज की बाजी खेल रहे थे और वह (दुश्मन) भी शतरंज की चालें चल रहा था। कहीं हम उन्हें शह और मात दे रहे थे, तो कहीं हम अपनी जान गंवाने के जोखिम पर भी उसे मात देने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन जिंदगी का यही मतलब है।’’ जनरल द्विवेदी ने जोर देकर कहा कि जहां तक ‘ग्रे जोन’ का सवाल है, यह हमेशा मौजूद है और रहेगा। उन्होंने विस्तार से बताए बिना कहा, ‘‘और, अगला युद्ध जिसकी हम कल्पना कर रहे हैं, वह जल्द हो सकता है। हमें उसके अनुसार तैयारी करनी होगी, इसमें हमें यह लड़ाई मिलकर लड़नी होगी।’’ सेना प्रमुख ने कहा कि अकेले सेना इसे नहीं लड़ेगी। उन्होंने कहा, ‘‘अगर मैं अपने नजरिए से इसे देखूं, तो भारत ढाई मोर्चों का सामना कर रहा है। अगर देश की जमीनी सीमाओं की बात करें तो आज के भारत के लोगों की मानसिकता के मद्देनजर विजय की मुद्रा जमीन के रूप में बनी रहेगी।’’
सेना प्रमुख ने कहा कि जहां तक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का सवाल है, भारतीय थल सेना ‘‘शतरंज खेल रही थीं’’ और इस शह और मात के खेल में, कुछ दिख रहा था तो कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर कुछ दिखाई नहीं दे रहा था,तो हो सकता है कि दूसरे देश दुश्मन की मदद कर रहे हों… यह टेस्ट मैच चौथे दिन रुक गया, यह 14 दिन, 140 दिन, 1400 दिन भी जारी रह सकता था। हमें नहीं पता, लेकिन हमें इन सब के लिए तैयार रहना होगा।’’ अपने संबोधन में उन्होंने सेना के बल-संयोजन के घटकों पर भी जोर दिया – बल की कल्पना, बल का संरक्षण और बल का प्रयोग। जनरल ऑफिसर ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ एक ‘‘संपूर्ण राष्ट्र का दृष्टिकोण’’ था और सेना को यह तय करने की ‘‘खुली छूट’’ दी गई थी कि क्या करना है। उन्होंने कहा कि इस तरह का आत्मविश्वास, राजनीतिक स्पष्टता, राजनीतिक दिशा, हमने पहली बार देखी। उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों की कोई शर्त न होने से सेना का मनोबल बढ़ता है। इस तरह इसने जमीनी स्तर पर सेना के कमांडरों को ‘‘अपने विवेक के अनुसार कार्य करने’’ में मदद की।
‘ऑपरेशन’ के बारे में और जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि 25 अप्रैल को, ‘‘हमने उत्तरी कमान का दौरा किया, जहां हमने सोचा, योजना बनाई, उसकी संकल्पना की और नौ में से सात ठिकानों पर अपनी योजना को अंजाम दिया, जिन्हें नष्ट कर दिया गया और कई आतंकवादी मारे गए।’’ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमलों के बारे में उन्होंने कहा कि ‘‘हमने जहां हमला किया वह व्यापक और गहरा था। पहली बार हमने आतंकवादियों के वास्तविक ठिकानों पर हमला किया, तो निश्चित रूप से हमारे निशाने पर ‘नर्सरी’ और उसके मालिक थे’’। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था और पाकिस्तान को भी उम्मीद नहीं थी कि हमला होगा। यही बात उनके लिए ‘‘सदमे’’ की तरह आई।’’
जनरल द्विवेदी ने कहा, ‘‘लेकिन, क्या हम इसके लिए तैयार थे। हां, हम इसके लिए तैयार थे, जो भी झटका आता उसे झेलने के लिए तैयार थे।’’ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान किस तरह से धारणाओं को गढ़ने की लड़ाई लड़ी गई, इस पर उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान की रणनीति का अपने तरीके से मुकाबला किया – जनता तक संदेश पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों का इस्तेमाल किया।
इस तरह, आप जनता को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह घरेलू जनता, विरोधी जनता और तटस्थ जनता है। जनरल द्विवेदी ने कहा कि रणनीतिक संदेश बहुत महत्वपूर्ण था और इसीलिए हमने जो पहला संदेश दिया, वह था ‘न्याय हुआ’। उन्होंने कहा कि यह संदेश सर्वाधिक लोगों तक पहुंचा। मई में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी समूहों से जुड़े कई ठिकानों पर सटीक हमले किए। इस अभियान का उद्देश्य पहलगाम हमले के बाद आतंकी ढांचे को नष्ट करना और प्रमुख आतंकवादियों को मार गिराना था।

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