शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे के विरोध में स्वतंत्रता दिवस पर किसान खेतों में फहराएंगे तिरंगा

मुंबई{ गहरी खोज }: महाराष्ट्र के 12 जिलों के किसान प्रस्तावित शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे के खिलाफ एक अनोखे विरोध प्रदर्शन के तहत स्वतंत्रता दिवस पर अपने खेतों में राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे। किसानों का दावा है कि एक्सप्रेसवे से उपजाऊ कृषि भूमि नष्ट हो जाएगी। कांग्रेस के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) सतेज पाटिल ने कहा कि 15 अगस्त का विरोध प्रदर्शन ‘हमारे खेत में तिरंगा लहराता है, हमारे खेत में शक्तिपीठ की कोई जगह नहीं है’ नारे पर आधारित होगा, जिससे राज्य सरकार को कड़ा संदेश जाएगा। उन्होंने बताया कि यह निर्णय शनिवार को शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे विरोधी संघर्ष समिति की ‘ऑनलाइन’ माध्यम से हुई एक बैठक में लिया गया जिसमें प्रभावित जिलों के किसानों एवं जनप्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने इस वर्ष जून में महत्वाकांक्षी महाराष्ट्र शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे के लिए 20,787 करोड़ रुपये बजट के आवंटन को मंजूरी दी थी। यह एक्सप्रेसवे 12 जिलों से होकर गुजरेगा तथा पूर्वी महाराष्ट्र को दक्षिणी कोंकण से जोड़ेगा।
अधिकारियों के अनुसार, 802 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद नागपुर और गोवा के बीच यात्रा करने में सिर्फ आठ घंटे का समय लगेगा, जबकि वर्तमान में यह यात्रा पूरी करने में 18 घंटे का समय लगता है। अधिकारियों ने पहले बताया था कि महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) इस परियोजना को जमीन पर उतारेगा और हुडको ने लगभग 7,500 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण के लिए 12 हजार करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किया है।
उन्होंने बताया कि एक्सप्रेसवे का उद्देश्य राज्य के सभी शक्तिपीठों को आपस में जोड़ना तथा पर्यटन एवं कनेक्टिविटी के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करना है। यह एक्सप्रेस वर्धा, यवतमाल, हिंगोली, नांदेड़, परभणी, बीड, लातूर, धाराशिव, सोलापुर, सांगली, कोल्हापुर और सिंधुदुर्ग जिलों से होकर गुजरेगा। सतेज पाटिल ने आरोप लगाया कि एक्सप्रेसवे की लागत 86 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 1.06 लाख करोड़ रुपये हो गई है । उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इसके बजाय वह अविकसित क्षेत्रों में सड़क निर्माण और किसानों के लिए ऋण माफी पर ध्यान केंद्रित करे। किसान नेता और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि इस विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य ऐसे समय में ‘भूमि को मुक्त कराना’ है जब देश में कृषि योग्य क्षेत्र घट रहा है।
शिवसेना (उबाठा) नेता विनायक राउत ने दावा किया कि एक्सप्रेसवे से केवल ठेकेदारों और नेताओं को फायदा होगा, जबकि विधायक कैलास पाटिल ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि यह परियोजना उनके लिए ‘सपना’ या ‘मलाई’ हो सकती है। पूर्व विधायक ऋतुराज पाटिल ने बताया कि बैठक में 15 अगस्त को ग्राम सभाओं में एक्सप्रेसवे विरोधी प्रस्ताव पारित करने और गांवों में हस्ताक्षर अभियान शुरू करने का भी संकल्प लिया गया। सतेज पाटिल ने कोल्हापुर के बिंदु चौक पर संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 13 अगस्त को बुलाए गए विरोध प्रदर्शन में प्रभावित क्षेत्रों के किसानों के भी शामिल होने की उम्मीद है।