बादल का फटना है उत्तरकाशी में अचानक आयी बाढ़ का कारण :इसरो

चेन्नई{ गहरी खोज }: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा है कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में मंगलवार को अचानक आयी बाढ़ का कारण कोई हिमनद विस्फोट नहीं बल्कि बादल फटना है।
इसरो ने बताया कि पृथ्वी अवलोकन और अंतरिक्ष डेटा विश्लेषण कंपनी सुहोरा टेक्नोलॉजीज ने अचानक आयी बाढ़ के लिए किसी भी हिमनद विस्फोट को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है। सुहोरा टेक्नोलॉजीज ने उपग्रह से ली गई तस्वीरों और डेटा विश्लेषण के बाद अपने निष्कर्ष में कहा कि यह बाढ़ बादल फटने के कारण आयी है।
उपग्रह चित्रों के माध्यम से प्राप्त तस्वीरों में बाढ़ के कारण धराली गांव में तलछट और पंखे की आकृति वाले मलबे का जमाव, इमारतों का पूरी तरह से गायब होना/पूर्ण/आंशिक विनाश और अन्य क्षति देखी गयी है।
इसरो ने कहा कि इस घटना के कारणों का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक विश्लेषण किया जा रहा है। एजेंसी ने बताया कि देश के कार्टोसैट-2एस उपग्रह के अति उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले उपग्रह चित्रों का उपयोग करके राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) के साथ मिलकर बाढ़ से हुए नुकसान का त्वरित आकलन किया गया। घटना के पहले और बाद के उपग्रह चित्रों के तुलनात्मक विश्लेषण से विनाश की सीमा और गंभीरता का पता चला गया है।
इसरो ने बताया कि खीर गाड़ और भागीरथी नदी के संगम पर, धराली गांव में लगभग 20 हेक्टेयर क्षेत्र में तलछट और विशाल मलबे का जमाव देखा गया। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में कई इमारतों का आंशिक/पूर्ण विनाश और गायब होना भी तस्वीर में देखा गया, जो संभवतः तीव्र कीचड़ के प्रवाह और मलबे में डूब गई हैं या बह गयी हैं। धराली गांव में अभी भी कईं इमारतें कीचड़/मलबे से डूबी हुई दिखाई दे रही हैं।
कार्टोसैट की तस्वीर में भी अचानक बाढ़ के संकेत दिखाई दे रहे हैं, जिसमें चौड़ी जलधाराएं, नदी की आकृति में बदलाव और मानव जीवन व बुनियादी ढाँचे को नुकसान शामिल है। इसरो के मुताबिक उपग्रह से ली गयी तस्वीरें चल रहे तलाश और बचाव अभियानों में फंसे हुए लोगों तक पहुँचने और अलग-थलग पड़े क्षेत्र से संपर्क बहाल करने में मदद करेंगी।
यह घटना हिमालयी बस्तियों की आपदाओं के प्रति बढ़ती संवेदनशीलता को उजागर करती है। इसरो ने कहा कि इस घटना के कारणों का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक विश्लेषण किया जा रहा है।