काेई नया और ठोस दावा किया ही नहीं

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सुनील दास
संपादकीय { गहरी खोज }: कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए चुनाव आयोग ऐसा टारगेट जिस पर निशाना लगाना उनको बहुत अच्छा लगता है।इस बार उन्होंने चुनाव आयोग के वोट चोरी के कुछ सबूत प्रेस वार्ता में पेश किए हैं। राहुल गांधी ने एटम बम फोड़ने के नाम पर बड़ा आयोजन किया, राहुल गांधी लगभग देश के लोगों को समझाने का प्रयास किया कि देश में वोट की चोरी कैसे होती है। राहुल गांधी जो भी सबूत पेश किए वह कोई नए नहीं है।उन्होने प्रेस वार्ता में बताया कि देश में कैसे वोट की चोरी होती है। उन्होंने बताया कि वोट चोरी डुप्लीकेट वोटर,एक ही पते पर अनेक वोटर, फार्म ६ का गलत प्रयोग,फर्जी व अमान्य पते.अमान्य तस्वीरों से होती है।हकीकत में यह मतदाता सूची की ऐसी खामियां है, इसके बार में पूरा देश जानता है और यह भी जानता है कि इसके लिए चुनाव आयोग जिम्मेदार है तो चुनाव मतदाता सूची का कार्य करने वाले और राजनीतिक दलों के नेता भी जिम्मेदार है।
पूरा देश जानता है कि चुनाव आयोग के पास अपना कोई स्टाफ नहीं होता है जिस राज्य में चुनाव होता है, वह उस राज्य के अधिकारियों व कर्मचारियों का उपयोग चुनाव मतदाता सूची शुध्द करने के लिए करता है। मतदाता सूची में खामी है तो इसके लिए यह अधिकारी व कर्मचारी पहले जिम्मेदार होते हैं, उसके बाद चुनाव आयोग जिम्मेदार माना जा सकता है, अंत में इसके लिए राजनीतिक दल के नेता भी जिम्मेदार होते हैं। राहुल गांधी के हिसाब से वोटों की चोरी के लिए चुनाव आयोग दोषी है लेकिन राहुल गांधी के मालूम नहीं है कि यह सामूहिक जिम्मेदारी है। चुनाव मतदाता सूची तैयार होती है तो अंतिम मतदाता सूची से पहले मतदाता सूची कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दलों को भेेजी जाती है कि उनके अनुसार इसमें कोई खामी है तो वह बताएं ताकि उसे दूर किया जा सके।चाहे हरियाणा हो, दिल्ली हो, महाराष्ट्र है, कर्नाटक हो, सभी जगह चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को सूची चुनाव के पहले भेजी थी, यह सच है, यदि उसमें कोई खामी थी तो यह कांग्रेस की जिम्मेदारी थी वह चुनाव आयोग को बताती कि यह खामी है, उसे दूर किया जाए।
सीधी से बात है कि कांग्रेस आज महीनों बाद हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक की मतदाता सूची में खामी ढूंढकर बता रही है कि यह खामी है, इस खामी की आड़ में वोट चोरी होती है. सीधी सी बात है कि जब कांग्रेस को मतदाता सूची में खामी बताना था, तब नहीं बताया तो मतदाती सूची में खामी के लिए कांग्रेस भी तो दोषी है। कांग्रेस आज अपनी गलती नहीं मान नहीं रही है लेकिन जनता को तो पता है कि इसके लिए कांग्रेस भी दोषी है। कांग्रेस चुनाव आयोग को चुनाव में गड़ब़ड़ी के लिए आए दिन दोषी ठहराती है तो इसकी वजह भी देश जानता है कि कांग्रेस और राहुल गांधी में यह स्वाीकारने कि हिम्मत नहीं है कि वह भाजपा से लगातार चुनाव हारते जा रहे हैंं। इससे भाजपा व मोदी का कद ऊंचा होता है। इसलिए वह चुनाव आयोग पर लगाकर अपनी हार के लिए उसे दोषी बताते हैं।
वह महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में धांधली की बात करते है कि यहां एक लाख वोटों की चोरी हुई और इसी वजह से भाजपा यहां जीती है, जबकि हकीकत यह है कि इस सीट से पिछला कई चुनाव भाजपा जीतती आ रही है,देश में ऐसी कई सीटें हैं जहां एक प्रत्याशी कई बार चुनाव जीतता है, वह निरंतर जीत रहा है, इसका मतलब वोटों की चोरी नहीं है, वहां की जनता प्रत्याशी को पसंद करती होगी। इसी तरह राहुल गांधी को यह बात समझ नहीं आती कि किसी राज्य में भाजपा की सरकार कैसे दो बार तीन बार बन जाती है,क्योंकि दस साल मे जनता में नाराजगी होती है। ऐसा भाजपा ने कई राज्यों में किया है तो कई राज्यो में गैर भाजपा दलों जैसे डीएमके तमिलनाड़ु, टीएमसी पं. बंगाल हैं जो लगातार चुनाव जीत रहे हैं तो क्या दोनों दल वोटों की चोरी कर रहे है। हकीकत यह है कि किसी सरकार के काम को जनता को पसंद करती है तो उसे दोबारा, तिबारा मौका देती है।
कांग्रेस दस साल से निरंतर हार रही है तो उसे समझ नहीं आता है कि हम हार जाते हैं और दूसरे दल कैसे जीत जाते है, उनको लगता है कि यह जीत स्वाभाविक नहीं है। वोटों की चोरी कर चुनाव जीता गया है। राहुल गांधी से बड़ा कनफ्यूज नेता देश में दूसरा नहीं है। वह खुद कह रहे हैं, उन्होंने वोट चोरी का सबूत पेश किया है, लेकिन उसके लिए वह शपथ देने को तैयार नहीं है क्योंकि उनको मालूम है कि कुछ भी गलत साबित हुआ तो जेल जाना पड़ेगा। यदि उनके सबूत सही होते वह शपथ पत्र के साथ चुनाव आयोग को चुनौती देते, यहां तो चुनाव आयोग राहुल गांधी को चुनौती दे रहा है कि शपथ पत्र दीजिए और राहुल गांधी दे नहीं रहे हैं। इससे तो हमेशा की तरह तमाशा कर राहुल गांधी ही खुद को झूठा साबित करते हैं, पहले भी कई बार कर चुके है और अब एक बाऱ फिर से खुद को झूठा साबित किया है।