फोन में टॉयलेट सीट से ज्यादा और बर्तन मांजने वाले स्पंज में 10 करोड़ बैक्टीरिया, स्वामी रामदेव से जानें इनसे होने वाले इंफेक्शन से कैसे बचें

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लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: क्या आपने कभी सोचा है कि जिस मोबाइल को आप दिन में सौ बार छूते हैं, वो टॉयलेट सीट से भी ज्यादा गंदा हो सकता है? वो तकिया, जिस पर सिर रखकर आप नींद लेते हैं, उसमें 16 लाख तक बैक्टीरिया हो सकते हैं और जिस किचन स्पंज से आप बर्तन साफ करते हैं, उसके हर इंच में 10 करोड़ तक बैक्टीरिया है, जो एक टॉयलेट सीट से 2 लाख गुना ज्यादा है। है ना हैरान करने वाली बात !

साफ-सुथरे दिखने वाले घर के ये सामान, आपकी सेहत के सबसे बड़े दुश्मन बन सकते हैं। अगर वक्त-वक्त पर डिसइंफेक्ट ना किया जाए तो रोजाना इस्तेमाल होने वाले किचन स्पंज, टूथब्रश, रिमोट, दरवाजों की कुंडी और बच्चों के खिलौने कीटाणुओं के घर बन जाते हैं और जिनसे ना सिर्फ बैक्टीरियल इंफेक्शन, बल्कि फंगल एलर्जी, फूड प्वॉइजनिंग और स्किन डिजीज तक हो सकते हैं।

फोन, तकिया और बर्तन धोने वाल स्पंज में बैक्टीरिया
मोबाइल फोन, हर वक्त आपके साथ रहता है लेकिन ‘यूनिवर्सिटी ऑफ एरिज़ोना’ के मुताबिक फोन पर पाये जाने वाले ई-कोलाई जैसे बैक्टीरिया पेट की बीमारियों की वजह बन रहे हैं। किचन स्पंज ये तो बैक्टीरिया की फैक्ट्री है। जिनसे सांस की एलर्जी और स्किन इंफेक्शन का खतरा रहता है। जो तकिया सिर के नीचे रखकर आप तरह-तरह के ख्वाब देखते हैं। वो चैन की नींद कम और कीटाणुओं वाली नींद ज्यादा होती है। 2 साल पुराने तकिए में 10 से 16 लाख तक जर्म्स हो सकते हैं। अचानक अगर सांस की दिक्कत होती है नाक बंद होती है तो सबसे पहले तकिया बदलिए।

सबसे ज्यादा कहां पनपते हैं बैक्टीरिया
रिमोट कंट्रोल में मौजूद जर्म से स्किन इंफेक्शन, दरवाजे की कुंडी में मौजूद ‘स्टेफी बैक्टीरिया’ से फोड़े फुंसी, बच्चों के खिलौने में मौजूद ‘सलमोनेला’ और मोल्ड स्पोर्स से पेट दर्द और उल्टी, टूथ ब्रश होल्डर में मौजूद फंगस से ओरल इंफेक्शन, शॉवर हेडर में मौजूद जर्म से फेफड़ों के इंफेक्शन और अस्थमा ट्रिगर होता है। बैक्टीरिया से बचना है तो रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाना जरूरी है। इसके लिए स्वामी रामदेव के साथ रेगुलर योगाभ्यास करें और साफ सफाई का ख्याल रखें।

मॉनसून में एलर्जी
बारिश के मौसम में लोगों को एलर्जी सबसे ज्यादा परेशान करती है। ये बदलते मौसम और बढ़ते बैक्टीरिया की वजह से हो सकती है। एलर्जी होने पर नाक बंद, चेस्ट कंजेशन, बार-बार छींकें आना, आंखें लाल होना, बदन पर रैशेज, वायरल बुखार और इनडाइजेशन की समस्या हो सकती है। मानसून में बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और पोलन तेजी से पनपते हैं। ये रेस्पिरेटरी डिसऑर्डर, लंग्स में इंफेक्शन, सांस नली में सिकुड़न, चेस्ट में जकड़न-भारीपन और सांस लेने में दिक्कत पैदा कर सकते हैं।

अस्थमा और जुकाम से कैसे बचें
मानसून में अस्थमा और जुकाम से बचने के लिए गर्म चीज़ें पीएं-खाएं, गुनगुना पानी ही पीएं, नमक डालकर गरारे करें और नाक में अणु तेल डालें।आप अदरक, लौंग, दालचीनी का काढ़ा बनाकर भी पी सकते हैं। तुलसी, अदरक और काली मिर्च की चाय बनाकर पी लें। गिलोय का काढ़ा पीएं, तुलसी के पत्ते चबाएं और अनुलोम-विलोम करें। सोते वक्त तलवों पर गर्म सरसों तेल लगाएं और नाभि में सरसों का तेल डालें। नाक में सरसों तेल डालें।

फेफड़ों को मजबूत बनाने के उपाय
रोज प्राणायाम करें, दूध में हल्दी लें, त्रिकुटा पाउडर लें और रात को स्टीम लें।

खांसी कैसे दूर करें
खांसी को दूर करने के लिए आयुर्वेद में काली मिर्च, बादाम और शक्कर को फायदेमंद माना गया है। इसके लिए 100 ग्राम बादाम लें, 20 ग्राम कालीमिर्च लें, 50 ग्राम शक्कर लें। बादाम,कालीमिर्च,शक्कर मिला लें और दूध के साथ 1 चम्मच खाने से फायदा मिलेगा।

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