रक्षाबंधन पर ही क्यों होती है मां गायत्री की पूजा? हर सनातनी को जरूर पता होनी चाहिए ये बात

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धर्म { गहरी खोज } : सनातन धर्म में गायत्री जयंती का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन वेद माता गायत्री प्रकट हुई थीं। इस साल 9 अगस्त यानी रक्षा बंधन के दिन ही गायत्री जयंती मनाई जाएगी। गायत्री माता को वेदों की माता और ज्ञान की देवी कहा गया है। मान्यता है कि इनकी पूजा से जातक को बुद्धि, विवेक, शांति और समृद्धि की प्राप्त होती है। ऐसे में रक्षाबंधन के दिन ही बहनों और भाईयों को मां गायत्री की पूजा भी करनी चाहिए, ऐसे में आइए जानते हैं कि कैसे करनी है पूजा और क्या है शुभ मुहूर्त

क्यों मनाई जाती है गायत्री जयंती 2025?
गायत्री मां को वेदों की उत्पत्ति का स्त्रोत माना जाता है, मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने संसार की रचना के समय मां गायत्री की मदद से यज्ञ पूर्ण किया था। इसके बाद से मां गायत्री को वेदमाता के रूप में पूजा जाता है। गायत्री मंत्र को सभी मंत्रों में श्रेष्ठ स्थान दिया गया है।

कैसे करनी है मां गायत्री की पूजा?

सुबह जल्दी उठें और स्नान कर साफ कपड़ें पहनें। कपड़े अगर सफेद या पीले रंग के हो तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
इसके बाद पूजा स्थल की सफाई करें और गंगाजल से पवित्र करें।
फिर एक चौकी लें और उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछा कर मां गायत्री की प्रतिमा स्थापित करें।
अब एक कलश में सुपारी, अक्षत, जल और फूल डालें कर चौकी के सामने रखें।
प्रतिमा के सामने घी का दीपक और धूप जलाएं।
हाथ में जल, चावल और फूल लेकर पूजा और व्रत का संकल्प लें।
अब मां गायत्री के मंत्रों का 108 बार जप करें और माता को कुमकुम, चंदन, अक्षत, फूल-फल और नौवैद्य अर्पित करें।
मां गायत्री की व्रत कथा पढ़ें और फिर मां गायत्री की आरती उतारें और प्रसाद वितरित करें।

शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: 04.49 बजे से 05.33 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12.18 बजे से 01.10 बजे तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02.53 बजे से 03.44 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 07.10 बजे से 07.32 बजे तक

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