कल है संस्कृत दिवस, इस पावन पर्व पर बच्चों को जरूर सिखाएं संस्कृत के ये शक्तिशाली श्लोक और मंत्र

0
sanskrit-1754626866

धर्म { गहरी खोज } : संस्कृत भाषा को समस्त भारतीय भाषाओं की जननी माना जाता है। इतना ही नहीं ये भारत में बोली जाने वाली प्राचीन भाषाओं में पहले स्थान पर आती है। इसलिए इस भाषा के महत्व को दर्शाने के लिए हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन संस्कृत दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की शुरुआत 1969 से हुई थी। इस शुभ दिन पर कई जगहों पर विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है। आज इस शुभ अवसर पर हम आपको संस्कृत के कुछ ऐसे खास मंत्र और श्लोकों के बारे में बताएंगे जो आपको अपने बच्चों को जरूर सिखाने चाहिए।

संस्कृत दिवस श्लोक बच्चों के लिए

  1. ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।
अर्थ- सभी प्राणी सुखी रहें, सभी स्वस्थ रहें, सभी को समृद्धि का अनुभव हो, किसी को भी किसी प्रकार का कष्ट न हो।

  1. विद्या ददाति विनयं, विनयाद याति पात्रताम्।
    पात्रत्वात् धनमाप्नोति, धनात् धर्मं ततः सुखम्॥
    अर्थ- ज्ञान विनम्रता प्रदान करता है, विनम्रता से योग्यता आती है। पात्रता से धन की प्राप्ति होती है और धन से धर्म की प्राप्ति होती है, जिससे सुख की प्राप्ति होती है।
  2. त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
    त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
    त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,
    त्वमेव सर्वं मम देव देव॥
    अर्थ- आप मेरी मां हैं, आप मेरे पिता हैं, आप मेरे रिश्तेदार हैं, आप मेरे दोस्त हैं, आप ही मेरा ज्ञान हो, मेरा धन हो, मेरे लिए सब कुछ हो, हे देवों के देव।
  3. देवो रुष्टे गुरुस्त्राता गुरो रुष्टे न कश्चन:।
    गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता न संशयः।।
    अर्थ- भाग्य रूठ जाये तो गुरू रक्षा करता है। गुरू रूठ जाये तो कोई नहीं होता। गुरू ही रक्षक है, गुरू ही शिक्षक है, इसमें कोई संदेह नहीं।

संस्कृत दिवस मंत्र बच्चों के लिए

ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्
​वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
​यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।
​असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मा अमृतं गमय।।
​सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्येत्र्यम्बके गौरि नारायणी नमोऽस्तुते।।
​गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरः। गुरु साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।
​कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *