रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? इस पर्व से जुड़ी ये रोचक कहानी नहीं जानते होंगे आप

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धर्म { गहरी खोज } : रक्षाबंधन का पावन त्योहार श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और इस साल ये पर्व 9 अगस्त को मनाया जा रहा है। ये तो सभी जानते हैं कि राखी का पर्व भाई-बहन को समर्पित होता है लेकिन इस पर्व की कहानी क्या है इस बारे में कम ही लोग जानते होंगे। बता दें इस पर्व से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं जिनमें द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कथा, इंद्र और इद्राणी की कथा और राजा बलि और माता लक्ष्मी की कथा सबसे ज्यादा प्रचलित हैं। इसके अलावा रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं की कहानी इस पर्व के महत्व को और भी ज्यादा बढ़ा देती है। चलिए जानते हैं राखी के त्योहार से जुड़ी इन सभी कथाओं के बारे में विस्तार से यहां।

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?
रक्षाबंधन से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जो इस त्योहार के महत्व को दर्शाती हैं, यहां हम इन सभी कथाओं के बारे में आपको बताएंगे…

रक्षाबंधन से जुड़ी द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कथा
रक्षाबंधन से जुड़ी इस कथा के अनुसार एक बार भगवान श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लग गई थी जिससे लगातार खून बह रह था तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर बांध दिया, जिससे उनका खून बहना रुक गया। भगवान कृष्ण ने इस प्रेम और विश्वास के बदले द्रौपदी को उनकी रक्षा का वचन दिया। बाद में जब कौरवों ने द्रौपदी का चीरहरण करने की कोशिश की थी तो श्रीकृष्ण ने उनकी रक्षा की थी। यह कथा रक्षाबंधन के रक्षा सूत्र के महत्व को दर्शाती है।

रक्षाबंधन से जुड़ी इंद्र और इंद्राणी की कथा
भविष्य पुराण के अनुसार जब देवासुर संग्राम में इंद्र असुरों से हार रहे थे, तब उनकी पत्नी इंद्राणी ने एक रक्षा सूत्र तैयार करके इंद्र की कलाई पर बांधा। जिससे इंद्र देव ने युद्ध में विजय प्राप्त की। कहा जाता है कि इस घटना के बाद से ही रक्षासूत्र बांधने की परंपरा की शुरुआत हुई थी। कालांतर में यह त्योहार भाई-बहनों का त्योहार बन गया। आज के समय में बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी सुरक्षा की कामना करती हैं।

राखी से जुड़ी राजा बलि और माता लक्ष्मी की कथा
विष्णु पुराण के अनुसार जब भगवान विष्णु ने अपने वामन अवतार में राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी और उनका सारा राज्य ले लिया, तब बलि ने भगवान विष्णु को अपने साथ रहने का अनुरोध किया। तब माता लक्ष्मी ने बलि को राखी बांधकर उन्हें भाई बनाया और श्री हरि विष्णु भगवान को वापस वैकुंठ ले गईं।

रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व
ऐतिहासिक जनश्रुति के अनुसार रानी कर्णावती ने अपने राज्य पर हो रहे आक्रमण से रक्षा करने के लिए मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजी थी और हुमायूं ने भी इसे स्वीकार कर रानी की रक्षा का वचन दिया था। हालांकि, वह समय पर नहीं पहुंच सके और रानी कर्णावती ने जौहर कर लिया। लेकिन हुमायूं ने बाद में बहादुर शाह को हराया और विक्रमादित्य को मेवाड़ की गद्दी पर बैठाया।

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