ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल मार्ग पूरा करने की कोई निश्चित समय-सीमा नहीं: वैष्णव

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नयी दिल्ली { गहरी खोज }: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा को बताया कि ऋषिकेश और कर्णप्रयाग के बीच 125 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन के पूरा होने की सटीक समय-सीमा तय नहीं की जा सकती। भाजपा सांसद अनिल बलूनी के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में वैष्णव ने कहा कि परियोजनाओं की मंजूरी एक सतत और गतिशील प्रक्रिया है और इसकी सटीक समय-सीमा नहीं बताई जा सकती।
उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी रेलवे परियोजना का पूरा होना कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे राज्य सरकार द्वारा त्वरित भूमि अधिग्रहण, वन विभाग के अधिकारियों द्वारा वन मंजूरी, लागत साझाकरण परियोजनाओं में राज्य सरकार द्वारा लागत हिस्सेदारी का भुगतान, परियोजनाओं की प्राथमिकता, उल्लंघनकारी उपयोगिताओं का स्थानांतरण, विभिन्न प्राधिकरणों से वैधानिक मंजूरियां, क्षेत्र की भूवैज्ञानिक और स्थलाकृतिक स्थितियां, परियोजना स्थल के आसपास कानून-व्यवस्था की स्थिति, जलवायु परिस्थितियों के कारण किसी विशेष परियोजना स्थल पर वर्ष में कार्य महीनों की संख्या आदि।’’
वैष्णव के अनुसार, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार होने के बाद, परियोजना को मंज़ूरी देने के लिए राज्य सरकारों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श और नीति आयोग तथा वित्त मंत्रालय आदि से आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करना आवश्यक है। वैष्णव ने कहा कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग परियोजना भारतीय रेलवे की एक प्रतिष्ठित परियोजना है, जो पूरी तरह से उत्तराखंड राज्य में स्थित है और हिमालय के दुर्गम भूगर्भीय और चुनौतीपूर्ण भूभाग से होकर गुजरती है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड में कनेक्टिविटी में बदलाव लाना है। परियोजना का मार्ग उत्तराखंड के देहरादून, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों से होकर गुजरता है और यह देवप्रयाग और कर्णप्रयाग के धार्मिक और पर्यटन स्थलों को ऋषिकेश तथा राष्ट्रीय राजधानी से रेल संपर्क प्रदान करेगा।’’
रेल मंत्री ने कहा, ‘‘परियोजना मुख्यतः सुरंगों से होकर गुजरती है। इस परियोजना में 105 किलोमीटर लंबी 16 मुख्य लाइन सुरंगों, लगभग 98 किलोमीटर लंबी 12 एस्केप सुरंगों और 10 किलोमीटर एडिट/क्रॉस मार्गों का निर्माण शामिल है। अब तक, 13 मुख्य लाइन सुरंगों और नौ एस्केप सुरंगों का निर्माण पूरा हो चुका है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘चारधाम परियोजना – गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को भारतीय रेलवे से जोड़ने वाली संपर्क परियोजना का अंतिम स्थान सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। इस परियोजना के दो मार्ग हैं – डोईवाला-उत्तरकाशी-बड़कोट जो यमनोत्री और गंगोत्री तीर्थस्थलों को सेवा प्रदान करेगा और कर्णप्रयाग-सैकोट-सोनप्रयाग-जोशीमठ जो केदारनाथ और बद्रीनाथ तीर्थस्थलों को सेवा प्रदान करेगा।’’

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