भोपाल बन रहा देश का टैक हब, युवाओं के कॅरियर को मिलेगी नई उड़ान : मुख्यमंत्री

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भोपाल{ गहरी खोज }: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल अब नवाचार का केंद्र बनकर भारत के डिजिटल भविष्य को आकार देने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। यहां ड्रोन, एवीजीसी-एक्सआर, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और ग्रीन डाटा इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों के अग्रणी केंद्र और उद्योग साझेदारियां आकार ले रही हैं। भोपाल जल्द ही ड्रोन टेक्नोलॉजी का भी हब बनेगा। एनीमेशन ग्राफ़िक्स जैसे नए सेक्टर्स भी प्रदेश के युवाओं के कॅरियर को नई उड़ान देने तैयार हैं। भोपाल में सेमी-कंडक्टर और डाटा-सेंटर जैसे ग्लोबल टेक्नोलॉजी ट्रेंड्स भी विकसित हो रहे हैं।
जनसंपर्क अधिकारी जूही श्रीवास्तव ने गुरुवार को बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव की विकासमूलक रणनीतिक सोच से भोपाल का हाई-टैक इंडस्ट्रीज के लिए एक मनपसंद गंतव्य के रूप में उभरना कोई संयोग नहीं है, बल्कि, योजनाबद्ध इंफ्रास्ट्रक्चर एवं ईको सिस्टम का विकास और भविष्योन्मुखी नीतियों के निर्माण का परिणाम है। देशी-विदेशी कंपनियां मध्य प्रदेश में उद्यमिता को चुन रही हैं। उन्हें प्रदेश में ईज-ऑफ-डूइंग बिजनेस और नीतिगत प्रक्रिया सहयोग भी मिल रहा है। सेमी-कंडक्टर और ड्रोन जैसे डीप-टैक उपक्रमों से लेकर एवीजीसी और डाटा सेंटर्स तक के लिये मध्यप्रदेश भारत के डिजिटल भविष्य का लॉन्चपैड बनता जा रहा है।
ग्लोबल स्किल्स पार्क, भोपाल में स्थापित हो रहा एवीजीसी-एक्सआर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस युवाओं को गेमिंग, एनीमेशन और वीएफएक्स के क्षेत्र में प्रशिक्षण और स्टार्ट-अप्स के लिए मंच देगा। इसमें एलईडी वर्चुअल प्रोडक्शन स्टूडियो, एआई लैब्स, मोशन कैप्चर सिस्टम और रेंडर फार्म्स जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी। यह केंद्र देश के मेट्रो शहरों पर निर्भरता को कम करते हुए एक नया डिजिटल वर्कफोर्स तैयार करेगा।
आईसर भोपाल में बन रहा ड्रोन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस एआई-एनेबल्ड ड्रोन निर्माण, स्वदेशी प्रोटोटाइपिंग और एआर/वीआर आधारित प्रशिक्षण के अनूठे मंच के रूप में विकसित हो रहा है। यहां देश की पहली एआई-यूएवी डाटा रिपॉजिटरी भी स्थापित होगी, जो कृषि, आपदा प्रबंधन और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों के लिए नवाचारों को प्रेरित करेगी।
भारत के सेमीकंडक्टर मिशन का अहम भागीदार कायनेस सेमिकॉन अब भोपाल के आईटी पार्क में अपनी इकाई स्थापित कर रहा है। इससे चिप डिज़ाइन, असेंबली और अनुसंधान को एक नई दिशा मिलेगी। यह कदम प्रदेश की डीप-टैक नीति को सशक्त करेगा।
एशिया का सबसे बड़ा रेटेड-4 हाइपरस्केल डाटा सेंटर ऑपरेटर, भोपाल के आईटी पार्क में ग्रीन डाटा सेंटर स्थापित कर रहा है। इमर्सिव कूलिंग जैसी तकनीकों से युक्त यह डाटा सेंटर जीरो-एमिशन लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा रहा है। यह क्लाउड और एआई कम्प्यूटिंग के क्षेत्र में प्रदेश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
भोपाल के बांदाखेड़ी में 209 एकड़ में फैला ईएमसी2.0 क्लस्टर मोबाइल, सेमीकंडक्टर, पीसीबी, एलईडी और ई-मोबिलिटी उद्योगों के लिए तैयार किया जा रहा है। इसमें रेडी-बिल्ट फैक्ट्री, टेस्टिंग लैब्स और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट जैसी सुविधाएं होंगी। इसमें 1500 करोड़ रूपये का निवेश होगा और इससे 75 हजार रोजगार सृजित होंगे।
भोपाल में स्थापित हो रही प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी) निर्माण इकाई राज्य के सेमीकंडक्टर ईकोसिस्टम को मजबूती प्रदान करेगी। यह रक्षा, ऑटोमोबाइल और औद्योगिक ऑटोमेशन जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम होगा।
राज्य सरकार उद्योगों को न केवल कम समय में मंजूरी और समाधान उपलब्ध करा रही है,बल्कि निवेशकों में दीर्घकालिक साझेदारी का भरोसा भी जगाने में सफल हो रही है। भोपाल की यह यात्रा केवल तकनीकी विकास की नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की नई कहानी लिखने का प्रारंभ है। प्रदेश अब नवाचार, ज्ञान और डिजिटल कौशल के केंद्र के रूप में नया उदाहरण बनकर उभर रहा है।

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