पाकिस्तान के बलूचिस्तान में मानवाधिकार संकट पर एचआरसीपी ने गंभीर चिंता जताई

इस्लामाबाद{ गहरी खोज }: पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) के तथ्यान्वेषी मिशन ने हाल ही में बलूचिस्तान की स्थिति पर तैयार अपनी रिपोर्ट जारी कर दी। इसमें बलूचिस्तान में मानवाधिकार संकट पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है। मिशन ने चेतावनी दी है कि बलूचिस्तान में सिकुड़ते लोकतांत्रिक से क्षेत्र में राजनीतिक अस्थिरता और सार्वजनिक अलगाव को बढ़ावा मिला है। आयोग के अध्यक्ष असद इकबाल बट व अन्य पदाधिकारियों ने बुधवार को इस्लामाबाद प्रेस क्लब में इस संबंध में चर्चा करते हुए तथ्यान्वेषी मिशन की रिपोर्ट साझा की।
द बलूचिस्तान पोस्ट की खबर के अनुसार, एचआरसीपी ने बलूचिस्तान में लोगों को जबरन उठाकर ले जाने की प्रवृत्ति पर चिंता जताई है। आयोग ने कहा कि इससे जनता में सरकारी संस्थाओं के प्रति अविश्वास पनप रहा है। एचआरसीपी ने कहा कि हालांकि अब संघीय राज्य के प्रतिनिधि लोगों को जबरन गायब करने की घटनाओं को स्वीकार करते हैं। आयोग का कहना है कि इसी वजह से बलूचिस्तान में उग्रवाद की समस्या बढ़ रही है। रिपोर्ट में इस स्थिति की स्वतंत्र जांच कराने का आह्वान किया गया है। एचआरसीपी ने आतंकवाद-रोधी (बलूचिस्तान संशोधन) अधिनियम 2025 के अधिनियमन पर भी गहरी चिंता जताई। रिपोर्ट में कहा गया है कि
यह कानून सार्थक न्यायिक निगरानी के बिना 90 दिनों की हिरासत की अनुमति देता है। इससे यातना और दुर्व्यवहार बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है। एचआरसीपी ने सरकार से इस अधिनियम को निरस्त करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि आतंकवाद-रोधी उपाय पाकिस्तान के मानवाधिकार दायित्वों के अनुरूप हों।
एचआरसीपी के मिशन ने नागरिक कानून प्रवर्तन एजेंसियों के विसैन्यीकरण और समुदाय-आधारित, अधिकार-अनुपालक पुलिसिंग में पर्याप्त संसाधनों और प्रशिक्षण के साथ एक एकीकृत नागरिक पुलिस बल की स्थापना का आह्वान किया है। आयोग ने कहा कि अर्धसैनिक और सैन्य संस्थानों पर अत्यधिक निर्भरता को कम करने के लिए यह आवश्यक है।
एचआरसीपी ने बलूच यकजेहती समिति (बीवाईसी) जैसे नागरिक समाज आंदोलनों को अवैध ठहराने के प्रयासों के खिलाफ़ भी चेतावनी दी और कहा कि मानवाधिकारों की वकालत को उग्रवाद के बराबर मानने से युवाओं में अलगाव की भावना और गहरी हो जाती है। मिशन ने संघीय और राज्य सरकार से 18वें संशोधन के तहत संवैधानिक सुरक्षा को बहाल करने और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में प्रांतीय स्वायत्तता का सम्मान करने का आह्वान किया।
एचआरसीपी मिशन ने चेतावनी दी कि जब तक संघीय सरकार एक पारदर्शी, समावेशी और अधिकार-आधारित राजनीतिक समाधान की पहल नहीं करती तब तक बलूचिस्तान में राजनीतिक और सुरक्षा स्थितियां बिगड़ती रहेंगी। ऐसा राष्ट्रीय एकता के लिए बड़ा खतरा है।