शनि और राहु-केतु के बुरे प्रभावों से मिलेगी आपको मुक्ति, बस धारण कर लें ये रत्न

धर्म { गहरी खोज } : ज्योतिष शास्त्र में शनि और राहु-केतु को क्रूर ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है। यदि ये किसी की कुंडली में प्रतिकूल प्रभाव दे रहे हैं तो जीवन में समय-समय पर मुश्किलों का सामना व्यक्ति को करना पड़ सकता है। ऐसे में शनि और राहु-केतु के बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए आपको चमत्कारी रत्न लाजवर्त पहनना चाहिए। मुख्य रूप से यह रत्न शनि से संबंधित है लेकिन राहु-केतु के बुरे प्रभावों को भी ये दूर करता है। आइए जान लेते हैं कि इस रत्न को कैसे धारण करना है और किन राशियों के लिए ये रत्न सबसे शुभ साबित होता है।
लाजवर्त रत्न
यह शनि ग्रह का उपरत्न है जिसे धारण करने से मानसिक शांति, स्पष्टता व्यक्ति को प्राप्त होती है। इसके साथ ही कई स्वास्थ्य समस्याओं का निदान भी इस रत्न को पहनकर होता है। इस रत्न को धारण करने से गले से संबंधित रोग दूर होते हैं साथ ही मानसिक तनाव, पेट से संबंधित रोग, हड्डियों से जुड़े रोग आदि में भी ये कारगर सिद्ध होता है।
कौन पहन सकता है लाजवर्त?
लाजवर्त शनि ग्रह का उपरत्न है इसलिए बिना ज्योतिषीय सलाह के इसे कभी नहीं पहनना चाहिए। वैसे शनि की दो राशियों मकर, कुंभ और शनि की उच्च राशि तुला के जातकों के लिए ये लाजवर्त बेहद शुभ माना जाता है। इन राशियों को लाजवर्त धारण करने से जीवन में शुभता प्राप्त होती है। वहीं जिन लोगों की कुंडली में शनि अनुकूल स्थिति में है वो भी लाजवर्त धारण कर सकते हैं। शनि या राहु-केतु की महादशा में भी इस रत्न को पहनने से लाभ प्राप्त होते हैं।
लाजवर्त दिलाता है शनि और राहु-केतु के बुरे प्रभाव से मुक्ति
ज्योतिष का एक नियम है कि अगर कुंडली में राहु-केतु खराब हों तो शनि के उपाय करने चाहिए, या शनि को मजबूत करना चाहिए। इस नियम के तहत अगर आप शनि के उपरत्न लाजवर्त को धारण करते हैं तो राहु-केतु के बुरे प्रभाव भी स्वत: ही दूर हो जाते हैं। लाजवर्त धारण करने के बाद शनि, राहु-केतु के अच्छे परिणाम आपको मिलते हैं। आपके जीवन में सकारात्मकता आती है और करियर, आर्थिक पक्ष भी मजबूत होता है। इसे धारण करने से आपकी रचनात्मकता भी बढ़ती है और आप सक्रिय रहते हैं।
लाजवर्त कैसे धारण करें?
अगर योग्य ज्योतिषाचार्य ने आपको लाजवर्त धारण करने की सलाह दी है तो इसे आपको शनि वार के दिन सूर्यास्त के बाद ही धारण करना चाहिए। लाजवर्त को आप स्टील या फिर पंचधातु की अंगूठी में धारण कर सकते हैं। इस रत्न को धारण करने से पहले आपको कम से कम 108 बार ‘ऊँ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का जप करना चाहिए। ऐसा करने से रत्न अभिमंत्रित हो जाता है। आप 8 या 10 रत्ती का लाजवर्त धारण कर सकते हैं। इस रत्न को हाथ की मध्यमा उंगली में या फिर लॉकेट बनाकर गले में धारण किया जा सकता है।
कब धारण न करें लाजवर्त?
अगर आप पहले से ही मोती, मूंगा, पुखराज या माणिक्य रत्न धारण किए हुए हैं तो गलती से भी आपको लाजवर्त धारण नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन में लाभ की जगह आपको हानि हो सकती है। साथ ही इस बात अच्छी तरह से समझ लें कि कभी भी किसी रत्न को बिना ज्योतिषीय सलाह के न पहनें।