अमेरिकी शुल्क पर अनिश्चितता के बीच आरबीआई ने रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर कायम रखा

मुंबई{ गहरी खोज }:भारतीय रिजर्व बैंक ने अमेरिकी शुल्क को लेकर अनिश्चितता के बीच बुधवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 5.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का निर्णय किया। नीति निर्माता अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों से उत्पन्न जोखिमों और उच्च शुल्क की आशंका से जुड़ी अनिश्चितताओं का फिलहाल आकलन कर रहे हैं। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाले छह-सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आम सहमति से रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर यथावत रखने का निर्णय किया। इसके साथ ही आरबीआई ने मौद्रिक नीति रुख को भी तटस्थ बनाये रखा है। इसका मतलब है कि केंद्रीय बैंक आर्थिक स्थिति के हिसाब से नीतिगत दर में समायोजन को लेकर लचीला बना रहेगा।
मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि अच्छी मानसूनी बारिश और आने वाले त्योहारों से अर्थव्यवस्था को गति मिलने की उम्मीद है, लेकिन वैश्विक व्यापार के मोर्चे पर चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं। हालांकि, उन्होंने अमेरिकी शुल्क के बारे में सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा। ट्रंप ने सात अगस्त से अमेरिका में प्रवेश करने वाले सभी भारतीय उत्पादों पर 25 प्रतिशत शुल्क और रूस से तेल आयात को लेकर ‘जुर्माना’ लगाने की घोषणा की है। उन्होंने मंगलवार को भारत के रूस से तेल की निरंतर खरीद के लिए शुल्क में भारी वृद्धि की चेतावनी दी। मल्होत्रा ने कहा, ‘‘मध्यम अवधि में भी, बदलती विश्व व्यवस्था में भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी अंतर्निहित ताकत, मजबूत बुनियादी ढांचे और अन्य मोर्चों पर संतोषजनक स्थिति के दम पर उज्ज्वल संभावनाओं से भरी हुई है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अवसर मौजूद हैं और हम नीति निर्माण के बहुआयामी लेकिन सुसंगत दृष्टिकोण के माध्यम से अनुकूल परिस्थितियां बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।’’ इससे पहले, केंद्रीय बैंक इस साल फरवरी से लेकर जून तक रेपो दर में एक प्रतिशत की कटौती कर चुका है।
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर 3.1 प्रतिशत कर दिया है जबकि जून में इसके 3.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था। हालांकि, मल्होत्रा ने इस साल के अंत तक सकल (हेडलाइन) मुद्रास्फीति में वृद्धि की आशंका जतायी। उन्होंने कहा, ‘‘ वित्त वर्ष 2025-26 की चौथी तिमाही और उसके बाद उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति चार प्रतिशत से ऊपर जाने की आशंका है। इसका कारण प्रतिकूल तुलनात्मक आधार प्रभाव और नीतिगत कदमों के कारण मांग पक्ष का प्रभावी होने की संभावना है।’’ केंद्रीय बैंक ने 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा।
उन्होंने कहा, ‘‘चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिवेश के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था मूल्य स्थिरता के साथ वृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। मौद्रिक नीति ने मूल्य स्थिरता के प्राथमिक उद्देश्य से समझौता किए बिना वृद्धि को समर्थन देने के लिए मुद्रास्फीति में नरमी की स्थिति से उत्पन्न नीतिगत गुंजाइश का बखूबी उपयोग किया है।’’ मल्होत्रा ने कहा कि नीतिगत दर में हाल में की गयी कटौतियों का ग्राहकों को पूरा लाभ अभी मिलना बाकी है।
उन्होंने कहा, ‘‘जैसे-जैसे भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपना उचित स्थान प्राप्त करने का प्रयास कर रही है, न केवल मौद्रिक नीति बल्कि सभी क्षेत्रों में मजबूत नीतिगत ढांचे इसकी यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।’’ मल्होत्रा ने कहा, ‘‘हम अपनी ओर से, आने वाले आंकड़ों और वृद्धि-मुद्रास्फीति की उभरती स्थिति के आधार पर एक अनुकूल मौद्रिक नीति प्रदान करने में मुस्तैद और सक्रिय बने रहेंगे।’’
एमपीसी के फैसले पर कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा कि नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखने का निर्णय वैश्विक अनिश्चितताओं के मद्देनजर किया गया है। हालांकि, मुद्रास्फीति अभी नरम बनी हुई है, लेकिन वृद्धि के लिए नकारात्मक जोखिम बरकरार है। उन्होंने कहा, ‘‘निकट भविष्य के अनुकूल रुझानों के बाद आगे मुद्रास्फीति के बढ़ने की आशंका है। ऐसे में आगे नीतिगत दर में कटौती के लिए मानक बहुत ऊंचे हैं। हम इसमें कुछ कमी की गुंजाइश तभी देख सकते हैं जब वृद्धि की गति में उल्लेखनीय कमी आए।’’ मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 29 सितंबर से एक अक्टूबर को होगी।