आदमी को उसके कर्म डराते हैं

सुनील दास
संपादकीय { गहरी खोज }: आम तौर पर भारतीय मानते हैं कि आदमी जैसा कर्म करता है,वैसा फल उसे भुगतना पड़ता है।जब आदमी सत्ता में रहता है तो वह एक नशे में रहता है कि मैं जो कर रहा हूं ठीक कर रहा हूं। मैं सत्ता मे हूं, मैं सीएम हूं, मैं मंत्री हूं, मैं सांसद हूं, मैं विधायक हूं, मैं कोई गलत काम कैसे कर सकता हूं। कहा जाता है सत्ता आदमी को भ्रष्ट करती है,आदमी पर जब तक आदमी सत्ता पर रहता है, वह खुद को सबसे बड़ा ईमानदार मानता हैं।सत्ता से उतरने के बाद जनता को पता चलता है कि यह आदमी तो भ्रष्ट नहीं महाभ्रष्ट निकला। महाबेईमान निकला।
सत्त्ता जाते ही सत्ता का नशा उतरता है तो पता चलता है कि उसने अपने लिए दूसरों के बहुत गलत काम किए हैं। जांच होती है एक के बाद एक मामलों की तो गिरफ्तारी का डर सताता है। यानी नेता को सत्ता में रहते किए गए उसके कर्म ही उसे डराते हैं। , एक के बाद एक घोटाले खुलते जाते हैं।एक के बाद एक गिरफ्तारी होती जाती है तो हर गलत काम करने को अपनी गिरफ्तारी का डर सताता है।पूर्व सीएम भूपेश बघेल ईडी,आईटी व सीबीआई का कार्रवाई का विरोध करते रहे है, बताते रहते हैं कि उनको बदनाम करने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। उनकी राजनीतिक छबि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है। वह हमेशा दोहराते हैं मैं जांच एजेंसियों से नहीं डरता।
भूपेश बघेल यदि गिरफ्तारी से नहीं डरते हैं तो ऐसा उनके व्यवहार में दिखना भी चाहिए। उनको वहम था था मेरे बेटे का नाम किसी मामले में नहीं है, कोई समंस नहीं भेजा गया उनको तो जांच एजेंसी छू नहीं सकती कि वह मेरा बेटा है। जांच एजेंसी ने उनके बेटे को गिरफ्तार कर उनका वहम तोड़ दिया कि वह किसी मामले में सबूत मिलने पर बिना समंस के भी गिरफ्तारी कर सकती है। भूपेश बघेल को पहली बार पिता होने के नाते लगा होगा मैं कांग्रेस का इतना बड़ा नेता और अपने बेटे को गिरफ्तारी से बचा नहीं सका। बड़ा नेता बड़ा पद सब फिजूल लगा होगा।
बेटे की गिरफ्तारी के बाद उनके बेटे की जमानत नहीं हो रही है, इससे उनका चिंतित होना स्वाभाविक है, यह डर लगना भी स्वाभाविक है कि बेटे के बाद बिना समंस के जांच एजेंसी मुझे भी गिरफ्तार कर सकती है। वह गिरफ्तारी से डर गए यही वजह है कि वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे अग्रिम जमानत के लिए।छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला मामले में पूर्व सीएम भूपेश बघेल व उनके पुत्र चैतन्य बघेल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया। कोर्ट ने उनसे कहा कि सभी मामलों की सुनवाई हम करेंगे तो निचले काेर्ट का क्या उपयोग रह जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाईकोर्ट जाने को कहा।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी मामले प्रभावशाली व्यक्तित शामिल होता है तो वह सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाता है।ऐसा होता रहा तो गरीब लोग कहां जाएँगे।
राज्य में हुए घोटाले में अब तक जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें से बहुत कम ही लोग जमानत पर बाहर आ सके हैं। भूपे्ेश बघेल के पुत्र की न्यायिक रिमांड १८ अगस्त तक बढ़ा दी गई है। राजनीति व अदालत दोनों अलग अलग क्षेत्र हैं। राजनीति में तो नेता कुछ भी आरोप लगा सकते हैं, उसके लिए कोई सबूत नहीं देना पड़ता है। मामला जब अदालत में जाता है तो वहां तो सब कुछ सबूत के आधार पर होता है। आप निर्दोष है तो आपको अपने बेगुनाह होने का सबूत देना पड़ेगा। जांच एजेंसी तो कानून के अऩुसार ही सब कुछ करती है। अगर वह गलत करती है तो आदमी अदालत जाकर शिकायत कर सकता है, सबूत देकर बता सकता है जांच एजेंसी ने यह गलत किया है।