जब प्रेमानंद महाराज की छाती पर चढ़ गया था भूत, ऐसे छुड़ाया था पीछा

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धर्म { गहरी खोज } : प्रेमानंद महाराज वृंदावन में अपना दरबार लगाते हैं जहां वे भक्तों के हर सवाल का जवाब देते हैं। इस दौरान वे अपने जीवन की किसी न किसी घटना का जिक्र भी कर दिया करते हैं। एक दिन महाराज जी बताते हैं कि एक समय उनका सामना एक प्रेत से हो गया था। महाराज जी बताते हैं कि एक आश्रम में एक खंडहर था जंगल में गंगा के किनारे। जहां हमें सोने के लिए मना कर दिया गया और कहा गया कि वहां पर भूत रहते हैं। लेकिन हमारा जिद्दी स्वभाव था। रात के 9 बजे जैसे ही हम वहां आसन लगाकर लेटे वैसे ही हमें अपने ऊपर एक वजनदार जांघों वाले व्यक्ति के होने का एहसास हुआ।

जिस समय ये सब हो रहा था उस समय हम सो नहीं रहे थे। जैसे ही हमने हाथ पीछे की ओर किया तो उसने हमारी जटा पकड़ ली। लेकिन जैसे ही हम आसन से उठे तो हमने सोचा कि ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि हम नाम जप कर रहे हैं। तब हम कुछ देर के लिए बाहर गए पर फिर से आकर वापस लेट गए। लेकिन इस बार हमें इतना ज्यादा छाती पर वजन महसूस हुआ कि हमारी सास रुकने लगी। उस समय जो भगवान शिव का मंत्र जाप चल रहा था उसकी हमनें रफ्तार बढ़ा दी। जैसे ही प्रेत ने हमें छोड़ा उसके बाद हम उस जगह पर चले गए जहां पर सभी लोग लेटे थे। आगे प्रेमानंद महाराज जी कहते हैं ये प्रेत आपका कुछ बिगाड़ नहीं सकते अगर आपके मन में भगवान का नाम या मंत्र जप चल रहा है।

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