जन्माष्टमी पर जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ जीवन में बनी रहेगी सुख-समृद्धि, सुधरेगा करियर और आर्थिक पक्ष

धर्म { गहरी खोज } :जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की पूजा के साथ ही आपको कृष्ण अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् का पाठ भी अवश्य करना चाहिए। इस स्तोत्र का पाठ करने से आपको मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही हर प्रकार के कलह-क्लेश से आप मुक्ति पाते हैं। जन्माष्टमी पर इस स्तोत्र का पाठ करने से आपको पर्याप्त मात्रा में धन-धान्य की प्राप्ति भी होती है। आपको बता दें कि इस स्तोत्र में भगवान कृष्ण के 108 नाम हैं। अष्टोत्तर शतनाम का अर्थ है 108 नाम। इस स्तोत्र का जन्माष्टमी के दिन जप करने से तो लाभ मिलता ही है, साथ ही जो व्यक्ति प्रतिदिन इसका पाठ करता है उसे आरोग्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति आजीवन होती है।
भगवान कृष्ण अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्
ॐ श्रीकृष्णः कमलानाथो वासुदेवः सनातनः।
वसुदेवात्मजः पुण्यो लीलामानुषविग्रहः॥1॥
श्रीवत्सकौस्तुभधरो यशोदावत्सलो हरिः।
चतुर्भुजात्तचक्रासिगदाशङ्खाम्बुजायुधः॥2॥
देवकीनन्दनः श्रीशो नन्दगोपप्रियात्मजः।
यमुनावेगसंहारी बलभद्रप्रियानुजः॥3॥
पूतनाजीवितहरः शकटासुरभञ्जनः।
नन्दव्रजजनानन्दी सच्चिदानन्दविग्रहः॥4॥
नवनीतनवाहारी मुचुकुन्दप्रसादकः।
षोडशस्त्रीसहस्रेशस्त्रिभङ्गो मधुराकृतिः॥5॥
शुकवागमृताब्धीन्दुर्गोविन्दो गोविदाम्पतिः।
वत्सपालनसञ्चारी धेनुकासुरभञ्जनः॥6॥
तृणीकृततृणावर्तो यमलार्जुनभञ्जनः।
उत्तालतालभेत्ता च तमालश्यामलाकृतिः॥7॥
गोपगोपीश्वरो योगी सूर्यकोटिसमप्रभः।
इलापतिः परंज्योतिर्यादवेन्द्रो यदूद्वहः॥8॥
वनमाली पीतवासाः पारिजातापहारकः।
गोवर्धनाचलोद्धर्ता गोपालः सर्वपालकः॥9॥
अजो निरञ्जनः कामजनकः कञ्जलोचनः।
मधुहा मथुरानाथो द्वारकानायको बली॥10॥
वृन्दावनान्तसञ्चारी तुलसीदामभूषणः।
स्यमन्तकमणेर्हर्ता नरनारायणात्मकः॥11॥
कुब्जाकृष्णाम्बरधरो मायी परमपूरुषः।
मुष्टिकासुरचाणूरमहायुद्धविशारदः॥12॥
संसारवैरी कंसारिर्मुरारिर्नरकान्तकः।
अनादिर्ब्रह्मचारी च कृष्णाव्यसनकर्षकः॥13॥
शिशुपालशिरच्छेत्ता दुर्योधनकुलान्तकृत्।
विदुराक्रूरवरदो विश्वरूपप्रदर्शकः॥14॥
सत्यवाक् सत्यसङ्कल्पः सत्यभामारतो जयी।
सुभद्रापूर्वजो विष्णुर्भीष्ममुक्तिप्रदायकः॥15॥
जगद्गुरुर्जगन्नाथो वेणुवाद्यविशारदः।
वृषभासुरविध्वंसी बकारिर्बाणबाहुकृत्॥16॥
युधिष्ठिरप्रतिष्ठाता बर्हिबर्हावतंसकः।
पार्थसारथिरव्यक्तो गीतामृतमहोदधिः॥17॥
कालीयफणिमाणिक्यरञ्जितश्रीपदाम्बुजः।
दामोदरो यज्ञभोक्ता दानवेन्द्रविनाशनः॥18॥
नारायणः परम्ब्रह्म पन्नगाशनवाहनः।
जलक्रीडासमासक्तगोपीवस्त्रापहारकः॥19॥
पुण्यश्लोकस्तीर्थकरो वेदवेद्यो दयािधिः।
सर्वतीर्थात्मकः सर्वग्रहरूपी परात्पर॥20॥
॥ इति श्रीनारदपञ्चरात्रे श्रीकृष्णाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं समाप्तम् ॥
जन्माष्टमी 2025
जन्माष्टमी का पावन त्योहार साल 2025 में 16 जुलाई को मनाया जाएगा। आपको बता दें कि 15 तारीख की रात्रि में 11 बजकर 49 मिनट से अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी। अष्टमी तिथि की समाप्ति 16 जुलाई को रात 9 बजकर 34 मिनट पर होगी। ऐसे में उदयातिथि की मान्यता के अनुसार 16 जुलाई को ही जन्माष्टमी पर्व मनाया जाएगा। जन्माष्टमी के पावन दिन पर आपको भगवान कृष्ण की भक्ति के साथ ही दान-पुण्य आदि भी करना चाहिए। ऐस करने से आपको श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।