सावन के आखिरी प्रदोष व्रत के दिन जरूर पढ़ें ये पावन कथा, हर कष्ट से मिल जाएगी मुक्ति

धर्म { गहरी खोज } : आज बुध प्रदोष व्रत है। मान्यताओं अनुसार इस व्रत को रखने से भगवान शिव की अपार कृपा तो प्राप्त होती ही है साथ ही कुंडली में बुध की स्थिति भी मजबूत हो जाती है। कहते हैं जिन लोगों की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर है उन्हें ये व्रत जरूर रखना चाहिए। इस व्रत में प्रदोष काल के समय भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान पूजा की जाती है साथ ही व्रत से जुड़ी कथा भी जरूर पढ़ी जाती है। यहां आप जानेंगे बुध प्रदोष व्रत की कथा।
बुध प्रदोष व्रत कथा
बुध प्रदोष व्रत की कथा अनुसार प्राचीन काल में एक पुरुष का नया-नया विवाह हुआ था। जब वो अपनी पत्नी को लेने के लिए अपने ससुराल पहुचा तो उसके सास-ससुर ने बुधवार होने के कारण अपनी बेटी को विदा करने से मना कर दिया। लेकिन पुरुष ने अपनी जिद के आगे किसी की नहीं सुनी और उसने जबरदस्ती अपनी पत्नी की विदाई करा ली। दोनों पति पत्नी बैलगाड़ी पर बैठ घर के लिए निकल गए। कुछ देर बाद पत्नी को प्यास लगी और पति लोटा लेकर पानी की तलाश में निकल गया। जब वह पानी लेकर लौटा तो उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी अन्य पुरुष द्वारा लाए गये पानी को पी रहे थी और उससे हस-हस कर बात कर रही थी। ये देखकर उसे क्रोध आ गया और वो लड़ने के लिए उस पुरुष के पास पहुंचा।
परंतु जब उसने देखा कि वो पुरुष तो दिखने में बिल्कुल उसके जैसा ही है तो वो आश्चर्य में पड़ गया। फिर दोनों में इस बात को लेकर झगड़ा होने लगा कि उस महिला का असली पति कौन है। काफी देर तक लड़ने की वजह से वहां पर लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई और उस नगर के सिपाही भी आ गए। सिपाही ने महिला से पूछा कि बताओ तुम्हारा पति कौन है? महिला भी असमंजस में पड़ गई। लेकिन पुरुष को कुछ देर बाद अपनी गलती का अहसास हो गया और भगवान शिव से हाथ जोड़कर विनती करने लगा कि हे प्रभु हमारी रक्षा करे, मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई जो मैं बुधवार के दिन अपनी पत्नी को उसके घर से विदा करा लाया।
जैसे ही उसकी विनती खत्म हुई, दूसरा व्यक्ति अंतर्ध्यान हो गया और वह पति पत्नी अपने घर चले गए। कहते हैं तब से उन दोनों पति-पत्नी ने नियमपूर्वक बुधत्रयोदिशी का व्रत शुरू कर दिया। जिसके बाद से दोनों पति-पत्नी खुशी से रहने लगे।