ट्रंप का भारत को झटका

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संपादकीय { गहरी खोज }: भारत और अमेरिका के बीच चल रही द्विपक्षीय व्यापार बातचीत में आये गतिरोध के परिणामस्वरूप अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को टैरिफ का ऐलान कर झटका दिया है। अगस्त से लागू होने वाले टैरिफ और जुर्माने की घोषणा करते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में भारत की व्यापार नीतियों को ‘सबसे कठिन और अप्रिय’ बताया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि सब कुछ ठीक नहीं है! इसलिए भारत को एक अगस्त से 25 प्रतिशत टैरिफ और रूस से खरीद को लेकर जुर्माना भी देना होगा।… भारत हमारा मित्र है, लेकिन हमने पिछले कई वर्षों में उनके साथ अपेक्षाकृत कम व्यापार किया है, क्योंकि उनके टैरिफ दुनिया में सबसे अधिक हैं। इसके अलावा, भारत ने रूस से अपने सैन्य उपकरण और ऊर्जा उत्पाद तब खरीदे, जब हर कोई चाहता है कि रूस, यूक्रेन में हत्याएं बंद करे।’ गौर हो कि रूस से भारत का कच्चा तेल आयात रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले कुल खरीद का 0.2 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 35-40 प्रतिशत हो गया है। चीन के बाद, रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार भारत है। बहरहाल, अमेरिका-भारत के प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत जारी है। अमेरिका के एक दल को छठे दौर की वार्ता के लिए 25 अगस्त को नयी दिल्ली आना है। दोनों देशों के शीर्ष अधिकारियों ने हाल ही में वाशिंगटन में पांचवें दौर की वार्ता पूरी की। इस बीच, उद्योग जगत ने अमेरिका के फैसले को झटका बताते हुए कहा कि यह उम्मीद से कहीं अधिक है। रूस से सैन्य उपकरण और कच्चा तेल खरीदने के कारण ट्रंप ने भारत पर जुर्माना लगाने का ऐलान भी किया है। इसे भारत पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, जिसने हाल ही में जापान, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ (ईयू) जैसे प्रमुख साझेदारों के साथ अनुकूल व्यापार समझौते किए हैं। भारत से अमेरिका जाने वाली अधिकांश वस्तुओं पर अभी 10 फीसदी टैरिफ है, जिसकी घोषणा ट्रंप ने दो अप्रैल को की थी।

अमेरिका द्वारा लगाए टैरिफ और जुर्माने के कारण टैक्सटाईल, लैदर, फुटवियर, बिजली और इंजीनियरिंग के उत्पादकों के निर्यात पर बुरा असर पड़ेगा। टैरिफ के कारण जहां भारत दबाव में आयेगा वहां अमेरिका में भी कीमतों में उछाल आने की पूरी संभावना है।

अमेरिका भारत पर मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र खोलने का दबाव बना रहा है। भारत ने अमेरिकी कृषि उत्पादों पर वर्तमान में 40 से 130 प्रतिशत का शुल्क लगा रखा है। अमेरिका चाहता है कि शुल्क को कम किया जाए। अगर भारत ऐसा करता है तो भारत के किसान जिन की पहले से ही आर्थिक स्थिति कमजोर है वह और आर्थिक दबाव में आ जाएंगे। रूस से तेल का आयात रुपए के माध्यम से होता है, इसलिए खरीद अधिक होती है। यही स्थिति सैन्य उपकरणों की भी है। भारत और चीन पर लगाए गए टैरिफ में अब अंतर कम हो गया है। इस कारण दोनों देशों में चीन लाभ वाली स्थिति में है। 25 अगस्त को अगली बैठक होनी है, तब तक अनिश्चितता का दौर ही होगा।

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