कम आवक, मांग बढ़ने से बीते सप्ताह सोयाबीन तिलहन में सुधार, बाकी में गिरावट

0
104986278

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: सोयाबीन के डी-आयल्ड केक (डीओसी) की स्थानीय मांग बढ़ने के साथ साथ मंडियों में इस फसल की आवक घटने के कारण सोयाबीन तिलहन के दाम मजबूत बंद हुए। दूसरी ओर कमजोर मांग के बीच सरसों एवं मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के दाम गिरावट के साथ बंद हुए।
बाजार सूत्रों ने कहा कि पहले किसानों को सोयाबीन बेचने में भारी नुकसान था, क्योंकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे (12-14 प्रतिशत) के हाजिर दाम पर बेचा जा रहा था। लेकिन डीओसी की स्थानीय मांग बढ़ने के बाद यह नुकसान घटकर अब 5-6 प्रतिशत का रह गया है। यह वृद्धि अगर सोयाबीन की बिजाई से पहले होती तो सोयाबीन खेती का रकबा और बढ़ सकता था। इस परिस्थिति के बीच सोयाबीन तिलहन के दाम में सुधार देखन को मिला है।
उन्होंने कहा कि सोयाबीन तेल के आयातक पैसों की तंगी के कारण आयातित सोयाबीन डीगम तेल लागत से कम दाम पर बेच रहे हैं। इस कारण सोयाबीन तेलों के दाम में गिरावट आई। हालांकि यही हालत पाम-पामोलीन तेल की भी है जिसे लागत से 1.5 प्रतिशत नीचे दाम पर बेचा जा रहा है। खाद्यतेल की भारी कमी वाले और आयात पर निर्भर देश में आयात के बाद खाद्यतेल को लागत से नीचे बेचना पड़े, यह अनबूझ पहेली है। इस ओर सरकार को विशेष ध्यान देना होगा।
सूत्रों ने कहा कि सरसों तेल के दाम आयातित तेलों से लगभग 40 रुपये किलो ऊंचा बैठता है और इस कारण इसके लिवाल कम हो रहे हैं। इसकी जगह सोयाबीन, पामोलीन जैसे अपेक्षाकृत सस्ते खाद्यतेलों की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट हो रहा है। मांग की कमी की वजह से सरसों तेल-तिलहन के दाम में गिरावट आई।
सूत्रों ने कहा कि बाजार में जब सोयाबीन नहीं खप रहा तो पाम-पामोलीन के खपने में और मुश्किल हो रही है। मांग प्रभावित होने से सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में भी गिरावट है।
उन्होंने कहा कि एक ओर तो मलेशिया में सीपीओ, पामोलीन का भारी स्टॉक जमा हो रहा है और वहां दाम ऊंचा बोले जा रहे है लेकिन खाद्यतेल की कमी वाले देश, भारत में इस आयातित तेल को लागत से नीचे दाम पर बेचा जा रहा है। इस कमी को सुधारने की ओर ध्यान देना होगा।
सूत्रों ने कहा कि गुजरात में मूंगफली की नयी फसल, नमी से प्रभावित होने की वजह से किसानों को नीचे दाम पर बेचना पड़ रहा है। वैसे भी मूंगफली के पहले की फसल के भी हाजिर दाम, एमएसपी से काफी नीचे हैं। इन वजहों से मूंगफली तेल-तिलहन में भी गिरावट है।
उन्होंने कहा कि कपास उत्पादन बढ़ाने के मकसद से, सरकार को नकली बिनौला खल के कारोबार हतोत्साहित करने के लिए कोई सख्त कानून बनाना होगा। बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 100 रुपये की गिरावट के साथ 7,275-7,325 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का थोक भाव 225 रुपये की गिरावट के साथ 16,050 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 30-30 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 2,650-2,750 रुपये और 2,650-2,785 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के थोक भाव क्रमश: 200-200 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 4,800-4,850 रुपये और 4,500-4,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए। ठीक इसके उलट, सोयाबीन दिल्ली का दाम 125 रुपये की गिरावट के साथ 13,000 रुपये, सोयाबीन इंदौर तेल का दाम 75 रुपये टूटकर 12,650 रुपये और सोयाबीन डीगम तेल का दाम 50 रुपये की गिरावट के साथ 10,025 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में भी गिरावट रही। मूंगफली तिलहन का थोक दाम 125 रुपये की गिरावट के साथ 5,775-6,150 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात का थोक दाम 350 रुपये की गिरावट के साथ 13,650 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का थोक दाम 50 रुपये की गिरावट के साथ 2,230-2,530 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में सीपीओ तेल का दाम 20 रुपये की गिरावट के साथ 11,100 रुपये प्रति क्विंटल, पामोलीन दिल्ली का भाव 25 रुपये की गिरावट के साथ 12,825 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 25 रुपये की गिरावट के साथ 11,725 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। बाजार के आम रुख और कमजोर कामकाज के बीच , समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल भी 200 रुपये की गिरावट के साथ 13,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *