सेल ने 2016-23 में स्वीकृत सीमा से अधिक आयातित कोयले का इस्तेमाल कियाः कैग

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात कंपनी सेल पर 2016 से 2023 के बीच स्वीकृत सीमा से अधिक आयातित कोयले का इस्तेमाल करने और इसकी वजह से 2,539.68 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च करने पर आलोचना की है।
‘स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) में स्टॉक के प्रबंधन’ पर कैग की रिपोर्ट मंगलवार को संसद में पेश की गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सेल के संयंत्रों ने प्रबंधन द्वारा तय मानकों से अधिक आयातित कोयले की खपत की जबकि घरेलू स्तर पर उपलब्ध कोयले की तुलना में आयातित कोयला महंगा था।
रिपोर्ट के मुताबिक, सेल ने कच्चे माल, अर्द्ध-निर्मित और तैयार उत्पादों के लिए प्रति टन माल की ढुलाई लागत का कोई मानक तय नहीं किया है।
वर्ष 2016-17 से 2022-23 के दौरान सेल के पास औसतन 21,698 करोड़ रुपये का स्टॉक था, जो उसकी मौजूदा परिसंपत्तियों का लगभग 67 प्रतिशत है।
कैग ने सेल के राउरकेला, बोकारो और दुर्गापुर संयंत्रों में कच्चे माल की उपलब्धता न बनाए रखने की तरफ भी इशारा किया है। इससे 9.32 लाख टन हॉट मेटल का उत्पादन नहीं हो सका और 1,231.52 करोड़ रुपये के संभावित राजस्व का नुकसान हुआ।
इसके साथ ही गैर-प्रचलित सामग्री का स्टॉक भी 2016-17 में 137.40 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 212.57 करोड़ रुपये हो गया जो 55 प्रतिशत अधिक है। इसके पीछे जरूरत के बगैर अधिक खरीदारी को जिम्मेदार ठहराया गया है।
कैग रिपोर्ट कहती है कि सेल के पांच एकीकृत संयंत्र 2016-2023 की व्यापार योजना में निर्धारित लक्ष्य 11.96 करोड़ टन के मुकाबले सिर्फ 10.61 करोड़ टन (89 प्रतिशत) बिक्री योग्य इस्पात ही बना सके।
रिपोर्ट के मुताबिक, आलोच्य अवधि में 12.18 करोड़ टन के ऑर्डर बुक किए गए थे लेकिन इसके संयंत्रों से केवल 9.37 करोड़ टन की ही आपूर्ति हुई जो कि ऑर्डर का सिर्फ 77 प्रतिशत है।

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