चीन-पाकिस्तान गठजोड़ की चेतावनी देने वाले इतिहास की क्लास में सो रहे थेः विदेश मंत्री

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने बुधवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर राज्यसभा में चर्चा में भाग लेते हुए पाकिस्तान और चीन के सैन्य गठजोड़ पर विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान का गठजोड़ का कारण हमारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की धरती को छोड़ना था। जयशंकर ने इस बात की हंसी उड़ाई की विपक्ष के नेता का यह कहना कि गठजोड़ अचानक हो गया है और वे चेतावनी दे रहे हैं। इससे लगता है कि वह इतिहास की क्लास में सो रहे थे।
विदेश मंत्री ने राज्यसभा में कहा कि विपक्ष उनपर सवाल उठा रहा है। वे बताना चाहते हैं कि वे 41 साल तक विदेश सेवा में रहे हैं और सबसे लंबे समय तक राजदूत रहे हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि पिछले 20 सालों में चीन के साथ हमारी रणनीति में सबसे बड़ा नुकसान श्रीलंका का हंबनटोटा पोर्ट है और कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने यह कहा था कि हमारे लिए चिंता का विषय नहीं है।
उन्होंने कहा, “चाइना गुरु हैं। उनमें से एक मेरे सामने बैठे सदस्य (जयराम रमेश) हैं, जिनका चीन के प्रति इतना गहरा लगाव है कि उन्होंने एक संधि बना ली थी भारत और चीन की चीनिया।… उन्होंने कहा कि ‘चीन गुरु’ कहते हैं कि पाकिस्तान और चीन के बीच घनिष्ठ संबंध हैं। हमें इसकी जानकारी है और हम इससे निपट रहे हैं, लेकिन यह कहना कि ये संबंध अचानक विकसित हुए, इसका मतलब है कि वे इतिहास की कक्षा के दौरान सो रहे थे।”
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के उनकी चीन यात्रा पर सवाल उठाए जाने पर विदेश मंत्री ने कहा कि उनकी कोई गुप्त बैठक नहीं थी। उन्होंने चीन के साथ आतंकवाद, व्यापार पाबंदियों और डिएक्सकलेशन को कम करने पर बातचीत हुई और हमने चीन को स्पष्ट कर दिया कि यह सब एक दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय खंडकता के सम्मान के साथ जुड़ी हुई हैं।
विदेश मंत्री ने सदन को अमेरिका के पाकिस्तान के प्रति रूख पर भी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत की पाकिस्तान को लेकर अलग-अलग राष्ट्रीय नीतियां हैं। दोनों की नीतियों में यह अंतर पहली बार का नहीं है। हमारी राष्ट्रीय नीति स्पष्ट है कि हमारी पाकिस्तान से आपसी की ही बातचीत होगी और आतंक और बातचीत एक साथ नहीं होगी। उन्होंने कहा कि आज हम अमेरिका के साथ कई मुद्दों पर सीधे बातचीत कर रहे हैं। उसमें वाणिज्य समझौता भी शामिल है।
विदेश मंत्री ने इस दौरान ट्रंप के बयानों पर भी स्थिति स्पष्ट की और विपक्ष से कहा कि वे ‘कान खोल कर सुन लें’। प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच अप्रैल और जून 16 के बीच कोई बातचीत नहीं हुई।
ऑपरेशन सिंदूर की उपलब्धि पर विदेश मंत्री ने विपक्ष से कहा कि उन्हें पाकिस्तान में आतंकियों के उठते जनाजे और पाकिस्तान के एयरबस को हुए नुकसान की तस्वीरें और वीडियो देखनी चाहिए। बहावलपुर और मुरीदके आतंक के वैश्विक केंद्र थे और आज हमने उनको ध्वस्त कर दिया है और यह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के बयानों में भी साफ दिखता है।
विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में हुई ऐतिहासिक भूलों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में इसे ठीक करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा, “दशकों तक यह धारणा बनाई गई कि इन गलतियों को सुधारा नहीं जा सकता, लेकिन मोदी सरकार ने यह मिथक तोड़ दिया है।” उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाना और अब सिंधु जल संधि की समीक्षा करना इसके उदाहरण हैं।
विदेश मंत्री ने सिंधु जल संधि को ‘दुनिया का अनोखा समझौता’ बताया और कहा कि शायद ही कोई ऐसा उदाहरण हो जहां किसी देश ने अपनी जीवनरेखा कही जाने वाली प्रमुख नदियों के पानी पर नियंत्रण के अधिकार के बिना उन्हें दूसरे देश के लिए छोड़ दिया हो। उन्होंने इस संधि की असमानता और दीर्घकालिक प्रभावों की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है कि भारत अपने जल संसाधनों पर पूर्ण अधिकार स्थापित करे और राष्ट्रीय हितों की रक्षा सुनिश्चित करे।

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