मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वैशाली में बने बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय एवं स्मृति स्तूप का किया उद्घाटन

मुख्यमंत्री भगवान बुद्ध के पवित्र स्मृति अवशेष के अधिष्ठापन कार्य में हुए शामिल
पटना{ गहरी खोज }:मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को वैशाली में निर्मित बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय एवं स्मृति स्तूप का विधिवत उद्घाटन किया। उद्घाटन के बाद मुख्यमंत्री स्मृति स्तूप के प्रथम तल पर मुख्य हॉल में भगवान बुद्ध के पवित्र अस्थि अवशेष के अधिष्ठापन कार्य एवं पूजा समारोह में शामिल हुए।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान कहा कि यह सभी बिहारवासियों के लिए ऐतिहासिक और गौरव का पल है। हमने बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप के निर्माण कार्य का लगातार निरीक्षण किया, ताकि निर्माण कार्य विशिष्ट ढंग से और जल्द से जल्द पूर्ण हो सके। यह बड़ी खुशी की बात है कि आज वैशाली में बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप का उद्घाटन किया गया है। इस परिसर का स्वरूप पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी काफी अच्छा बनाया गया है, जिससे कि यहां आने वाले पर्यटकों को सुखद अनुभूति हो।
नीतीश कुमार ने कहा कि वर्ष 2010 में हम वैशाली में आये और 4 दिन तक यहां रहे। इस दौरान हमने मड स्तूप, अभिषेक पुष्पकरणी तालाब तथा आसपास के स्थानों को देखा। जब हम मड स्तूप को देखने गये, तो पता चला कि मड स्तूप के नीचे मिले अस्थि अवशेषों को पटना म्यूजियम में रखा गया है, तब यह विचार आया कि यहां पर एक स्तूप बनाया जाय और उसमें यहां से मिले अस्थि अवशेषों को वैशाली में ही रखा जाय।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप के प्रथम तल पर भगवान बुद्ध का पावन अस्थि कलश स्थापित किया गया है। भगवान बुद्ध का अस्थि अवशेष 6 जगहों से प्राप्त हुआ, जिसमें वैशाली के मड स्तूप से जो अस्थि अवशेष मिले वह सबसे प्रामाणिक है। इसका उल्लेख चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी अपनी पुस्तक में किया है। बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप न केवल वैशाली को वैश्विक बौद्ध मानचित्र पर प्रतिष्ठित करेगा, बल्कि पर्यटन, संस्कृति और रोजगार को भी नई दिशा देगा।
उल्लेखनीय है कि वैशाली ऐतिहासिक और पौराणिक भूमि है, जिसने दुनिया को पहला गणतंत्र दिया। यह नारी सशक्तीकरण की भी भूमि रही है। बौद्ध धर्मावलंबियों के संघ में पहली बार यहां महिलाओं को शामिल किया गया। आज यहां की पावन 72 एकड़ भूमि पर इस भव्य स्तूप का निर्माण राजस्थान के गुलाबी पत्थरों से किया गया है।
बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप में पुस्तकालय, संग्रहालय, तालाब, गेस्ट हाऊस, एमपी थियेटर, कैफेटेरिया आदि का निर्माण कराया गया है। सौर ऊर्जा संयंत्र के साथ-साथ इस परिसर में बेहतर पार्किंग की व्यवस्था की गई है। इस स्तूप का वर्ष 2019 में शिलान्यास किया गया था। भगवान बुद्ध जगह-जगह घूमा करते थे। इस दौरान वे राजगीर के वेणुवन में रहे और फिर यहां से बोधगया चले गये , जहां उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई।
भगवान बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के बाद उत्तर प्रदेश के सारनाथ चले गये। सारनाथ में उन्होंने पहला उपदेश दिया। उसके बाद वे पुनः राजगीर आये और गृद्धकूट पर्वत पर उपदेश देने लगे। इसके बाद भगवान बुद्ध वैशाली में ठहरे और फिर केसरिया (पूर्वी चम्पारण), लौरिया नन्दन गढ़ (पश्चिमी चम्पारण) होते हुए कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) पहुंचे। अंत में ये बहुत बीमार हो गये और उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में ही उनका निधन हो गया।
उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान परम पावन दलाई लामा जी के लिखित संदेश को भी पढ़ा गया। कार्यक्रम में 15 देशों के प्रमुख बौद्ध भिक्षुगण एवं बौद्ध धर्मावलंबी उपस्थित हुए। वहां बड़ी संख्या में उपस्थित बौद्ध भिक्षुओं ने पवित्र अवशेष के अधिष्ठापन के दौरान विधिपूर्वक मंत्रोच्चारण किया।-