राहुल गांधी ने केन्द्र सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति पर उठाए सवाल

नई दिल्ली{ गहरी खोज }:कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को केन्द्र सरकार की राजनीतिक इच्छा शक्ति और सेना को कार्रवाई करने में स्वतंत्रता देने के मुद्दे पर घेरने की कोशिश की। उन्होंने विदेश नीति और आतंक के खिलाफ बनाई गई रणनीति पर सवाल खड़े किए। उन्होंने प्रधानमंत्री को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बयानों का सदन में खंडन करने की चुनौती दी।
राहुल गांधी ने लोकसभा में पहलगाम में आतंकवादी हमले के जवाब में भारत के सशक्त, सफल और निर्णायक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर जारी विशेष चर्चा में आज भाग लिया। उन्होंने रक्षा मंत्री की ऑपरेशन सिंदूर पर दिए बयान का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने आतंक पर हमले के बाद ही सीजफायर कर दिया था। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन की शुरुआत 1:05 बजे रात को हुई और महज 22 मिनट में समाप्त हो गई, लेकिन इसके ठीक 1:35 बजे भारत ने पाकिस्तान को कॉल करके कहा कि हमने केवल गैर-सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है और हम आगे टकराव नहीं चाहते। राहुल ने आरोप लगाया कि यह सीधा संदेश था कि भारत सरकार के पास राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है।
राहुल गांधी ने भारत की आतंक और आतंक के सरपरस्तों को एक कर देखने की नई नीति पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा मोदी सरकार ने घोषणा की कि भविष्य में किसी भी आतंकवादी हमले को युद्ध कार्रवाई माना जाएगा। इससे आतंकवादियों को पूरी ताकत मिल जाती है। अगर वे युद्ध चाहते हैं, तो उन्हें बस एक बार हमला करना होगा।
उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई में सेना को खुली छूट नहीं दी। उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना को पाकिस्तान में कार्रवाई के लिए भेजा गया और उन्हें सख्त निर्देश दिए गए कि पाकिस्तान की एयर डिफेंस या सैन्य ठिकानों पर हमला नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह प्रतिबंध इसलिए था क्योंकि सरकार की राजनीतिक मंशा पूरी नहीं थी।
राहुल गांधी ने कहा, “हम ऐसे प्रधानमंत्री को स्वीकार नहीं कर सकते जो सेना का इस्तेमाल करना नहीं जानता। हम ऐसे प्रधानमंत्री को स्वीकार नहीं कर सकते जिसमें यहाँ से यह कहने की हिम्मत न हो कि डोनाल्ड ट्रंप झूठे हैं। उन्होंने लड़ाई नहीं रोकी और वे विमानों के बारे में झूठ बोल रहे हैं।”
राहुल गांधी ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का ज़िक्र कर कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी में 100 प्रतिशत राजनीतिक इच्छाशक्ति थी। उन्होंने कहा कि अमेरिका का सातवां बेड़ा हिंद महासागर में आ रहा था लेकिन इंदिरा गांधी ने साफ कहा था कि हमें जो करना है हम करेंगे। उन्होंने याद दिलाया कि इंदिरा गांधी ने जनरल मानेकशॉ को खुली छूट दी थी। इसका नतीजा यह हुआ कि एक नया देश (बांग्लादेश) बना और 1 लाख पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया।
उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तानी जनरल असीम मुनीर की हाल की मुलाकात पर भी सवाल उठाए और प्रधानमंत्री की राष्ट्रपति के बयानों पर कथित चुप्पी पर तंज कसा। उन्होंने कहा, “अगर मोदी जी में इंदिरा गांधी जैसी हिम्मत का 50 प्रतिशत भी होता, तो वे कहते कि ट्रंप झूठ बोल रहे हैं।”
राहुल गांधी ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि पाकिस्तान की सरकार को क्यों कहा गया कि न हम आपके आर्मी इंफ्रास्ट्रक्चर को अटैक करेंगे और न ही एयर डिफेंस को अटैक करेंगे। हम आगे जंग नहीं चाहते। मतलब पाकिस्तान से कहा गया कि हमने तुम्हें एक थप्पड़ मारा है, लेकिन दूसरा थप्पड़ नहीं मारेंगे? आखिर क्यों??क्योंकि इस पूरे एक्शन का मकसद था कि नरेंद्र मोदी की छवि बचाई जाए। राहुल गांधी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान विपक्ष ने पूरी तरह से सरकार और सशस्त्र बलों के साथ खड़ा होने का फैसला लिया था। उन्होंने कहा कि हमने आलोचना नहीं की।
राहुल गांधी ने चीन-पाकिस्तान गठजोड़ की बात की और कहा कि भारत सरकार इसपर कुछ नहीं कर रही। यह हमारी विदेश नीति की विफलता। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी सेना और वायुसेना चीन के साथ मिल गई थीं। इतना ही नहीं, पाकिस्तानी वायुसेना का सिद्धांत पूरी तरह बदल गया था और चीन उपग्रह डेटा सहित युद्धक्षेत्र की महत्वपूर्ण जानकारी पाकिस्तानियों को मुहैया करा रहा था।
राहुल गांधी ने कहा कि विदेश मंत्री ने अपने भाषण में कहा कि सभी देशों ने आतंकवाद की निंदा की। ये सच है कि कई देशों ने आतंकवाद की निंदा की, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि पहलगाम के बाद एक भी देश ने पाकिस्तान की निंदा नहीं की। इसका मतलब है कि दुनिया, भारत को पाकिस्तान के साथ खड़ा कर रही है। जबकि यूपीए सरकार के समय आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पूरी दुनिया पाकिस्तान की निंदा करती थी।