इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस में शामिल होने पर चौबीस देश सहमत: भूपेंद्र यादव

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को कहा कि भारत की अगुवाई में शुरू की गई अंतरराष्ट्रीय पहल ‘इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस’ (आईबीसीए) में शामिल होने के लिए 24 देश सहमत हो गए हैं। आईबीसीए वेबसाइट के अनुसार, 12 देश – भारत, आर्मेनिया, भूटान, कंबोडिया, इथियोपिया, इस्वातिनी, गिनी, लाइबेरिया, निकारागुआ, रवांडा, सोमालिया और सूरीनाम – वर्तमान में गठबंधन के सदस्य हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में यादव ने कहा कि भारत में बाघ अभयारण्यों की संख्या 2014 में 46 से बढ़कर वर्तमान में 58 हो गई है, जो राष्ट्रीय पशु की सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मंत्री ने एक राष्ट्रव्यापी वृक्षारोपण अभियान शुरू करने की भी घोषणा की, जिसके तहत सभी 58 बाघ अभयारण्यों में एक लाख से अधिक पौधे लगाए जाएंगे।
केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि बाघ संरक्षण में भारत की उपलब्धियां प्रकृति की रक्षा के प्रयासों में एक “मील का पत्थर” हैं। उन्होंने कहा कि बाघों की सुरक्षा का मतलब पर्यावरण की सुरक्षा भी है, क्योंकि बाघ एक शीर्ष प्रजाति है। आईबीसीए के बारे में सिंह ने कहा कि कई देशों ने भारत से अनुरोध किया है कि वह उनके अधिकारियों को बाघों के संरक्षण में प्रशिक्षण दे।
‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत अफ्रीका से और चीते लाने की योजना के बारे में पूछे जाने पर, सिंह ने कहा कि भारत के पास नामीबिया जैसे समान जलवायु क्षेत्रों से चीते लाने की ठोस योजना है। उन्होंने कहा, ‘‘ये योजनाएं चल रही हैं। हम चीता संरक्षण के अपने प्रयासों में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं।’’
मानव-बाघ संघर्ष से निपटने के लिए, सरकार जल्द ही ‘टाइगर्स आउटसाइड टाइगर रिजर्व’ (टीओटीआर) परियोजना शुरू करने की योजना बना रही है, जिसमें 17 राज्यों के 80 वन प्रभाग शामिल होंगे। वर्ष 2022 में की गई नवीनतम बाघ गणना के आकलन के अनुसार मध्य प्रदेश में लगभग 785 बाघ, कर्नाटक में 563, उत्तराखंड में 560, महाराष्ट्र में 444, तमिलनाडु में 306, असम में 229, केरल में 213 और उत्तर प्रदेश में 205 बाघ थे।