मानसिक दृढता और जीतने की इच्छाशक्ति से दिव्या ने जीता विश्व कप : सुसैन पोल्गर

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: महान शतरंज खिलाड़ी सुसैन पोल्गर ने कहा है कि दिव्या देशमुख को मानसिक दृढता और जीत की ललक के कारण विश्व कप खिताब जीतने में मदद मिली । उन्नीस वर्ष की दिव्या ने अपने से कहीं अनुभवी और ऊंची रेटिंग वाली कोनेरू हम्पी को हराकर जॉर्जिया के बातुमी में सोमवार को खिताब जीता । इसके साथ ही उन्होंने 2026 कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिये क्वालीफाई कर लिया और भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर भी बन गई ।
सुसैन ने पीटीआई वीडियो से कहा ,‘‘ दिव्या को ऐतिहासिक जीत पर बधाई ।शानदार प्रदर्शन । टूर्नामेंट से पहले वह खिताब की प्रबल दावेदार नहीं थी लेकिन उसने अपनी मानसिक दृढता और जीतने की ललक के चलते यह कारनामा कर दिखाया ।’’ हंगरी और अमेरिका की ग्रैंडमास्टर ने कहा ,‘‘ कई मुकाबलों में वह संकट में भी थी और बढत का फायदा नहीं उठा सकी लेकिन जीतने के बाद अब वह सब बेमानी है । उसने जुझारूपन नहीं छोड़ा और इसी दृढता से जीत तक पहुंची ।’’
1996 से 1999 तक विश्व चैम्पियन रह चुकी सुसैन ने स्वीकार किया कि भारतीय शतरंज सफलता के नये आयामों को छू रहा है और विश्वनाथन आनंद जैसे दिग्गज जब नयी पीढी के खिलाड़ियों को मार्गदर्शन दे रहे हैं तो भारत का भविष्य खेल में उज्ज्वल है । उन्होंने कहा ,‘‘ गुकेश जब 12 वर्ष की उम्र में ग्रैंडमास्टर बने तब वह भारतीय संभावितों में सबसे ऊंची रेटिंग वाले खिलाड़ियों में से भी नहीं थे । मैने तभी जान लिया था कि वह बहुत आगे जायेगा । लोगों को अजीब भी लगा लेकिन 50 ग्रैंडमास्टर के साथ काम कर चुकी कोच होने के नाते मैने उसमें वह गुण देखे थे ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ दिव्या के साथ भी ऐसा ही है । वह भारत की सबसे ऊंची रेटिंग वाली खिलाड़ी भले ही नही हो लेकिन उसमें जीत के गुण हैं । ये युवा बेखौफ हैं और इनमे जीत की ललक है । इससे उनके खेल की कुछ खामियां भी ढक जाती है । उम्मीद है कि कड़ी मेहनत, अनुभव और अभ्यास से ये कमियां भी छिप जायेंगी ।’’

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