बच्चों में तेजी से बढ़ रही है कई गंभीर बीमारियों की समस्या, बाबा रामदेव से जानें कैसे होगा बचाव?

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लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: विज्ञान मानता है कि ‘शिव तांडव स्तोत्र’ की ध्वनि तरंगें हमारी ब्रेन वेव्स पर असर डालती हैं। तनाव और चिंता कम होती है। लय में गाने और सुनने से शरीर की मांसपेशियों को आराम मिलता है। इससे तन-मन मे ऊर्जा का संचार होता है। BHU में तो बकायदा बच्चों के तुतलाने-हकलाने की परेशानी को दूर करने के लिए उन्हें शिव तांडव स्त्रोत का उच्चारण करवाया जा रहा है। एक्सपर्ट्स का तो ये भी मानना है कि इसकी प्रैक्टिस से बोलचाल में निखार आता है। आज के दौर में इसकी जरूरत है क्योंकि मोबाइल का बेजा इस्तेमाल से बच्चे गुमसुम रहने लगे हैं उन्हें बोलने में कठिनाई हो रही है। इतना ही नहीं, फिजिकल एक्टिविटी की कमी और खराब खानपान उन्हें बीमार बना रहा है। तभी तो छोटे-छोटे बच्चों के हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के मामले आए दिन सुनने को मिलते हैं।

हाल ही में राजस्थान, अलीगढ़, अहमदाबाद से 8-9 साल के बच्चे के दिल की धड़कन रुकने की खबर आई। दिक्कत ये है समय के अभाव में ज्यादातर पैरेंट्स बच्चों के मामले में शॉर्ट-कट अपना रहा रहें ।बच्चे चुप कैसे रहेंगे, खुश कैसे रहेंगे,बस इसका ध्यान रखते हैं वो इस बात पर गौर ही नहीं करते कि उनके बच्चों के लिए क्या ठीक है और क्या गलत। यही वजह है कि पिछले 15 साल में बच्चों में मोटापा 126% बढ़ा है। 10% बच्चों में ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का लेवल हाई पाया गया। हरियाणा और पंजाब में तो उम्र के हिसाब से बच्चों की हाईट नहीं बढ़ रही है लेकिन जो सबसे खतरे वाली बात है, वो ये कि–2008 के बाद जन्मे बच्चों में गैस्ट्रिक कैंसर होने का रिस्क बढ़ा है जबकि छोटी उम्र से ही लाइफ में डिसिप्लिन लाकर, 75% बीमारियों के खतरे को टाला जा सकता है। जरूरत है– ‘बैक टू बेसिक्स’ की यानि कि बच्चों को उस दौर में ले जाने कि जो हमारे-आपके बचपन वाला दौर था। योग-प्राणायाम-ध्यान के साथ आउटडोर गेम्स और दोस्तों वाली दुनिया।

हेल्दी लाइफस्टाइल
जल्दी उठने की आदत डालें: बच्चों में समय का अनुशासन पैदा करने के लिए जल्दी उठने के लिए प्रोत्साहित करें।
योग को दिनचर्या का हिस्सा बनाएँ: बच्चों को कम उम्र से ही योग का अभ्यास करने के लिए प्रेरित करें।
अच्छी डाइट करें फॉलो: बच्चों की डाइट बेहतर करें। उनमें पौष्टिक और संतुलित आहार खाने की आदत डालें।
तले भोजन से बचें: बच्चों में तले-भुने भोजन की आदत को कम करें। ये फूड्स उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं
पूरी नींद लेने दें: शारीरिक और मानसिक विकास के लिए गहरी नींद ज़रूरी है। इसलिए सुनिश्चित करें कि उन्हें पूरी नींद मिले।

स्वस्थ शरीर पाएं- क्या खाएं
हमेशा गर्म और ताज़ा खाएं: बच्चों को हमेशा ताज़ा बना खाना ही खिलाएं। बासी खाना पेट संबंधी समस्याओं का कारण बनता है
खाने में भरपूर सलाद शामिल करें: बच्चों के खाने में सलाद को ज़रूर शामिल करें। सलाद फाइबर, विटामिन और खनिजों से भरपूर होता है।
मौसमी फल ज़रूर खाएं: बच्चों को हर मौसम में मौसमी फल ज़रूर खिलाएं।
खाने में दही-छाछ शामिल करें: बच्चों में प्रोबायोटिक्स से भरपूर दही या छाछ शामिल करें।

वर्कआउट जरूरी- रेज़ोल्यूशन लें
शरीर को मिलती है एनर्जी: नियमित वर्कआउट करने से बच्चों के शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ता है।
दिमाग एक्टिव रहता है: जब बच्चे वर्कआउट करते हैं, तो दिमाग में रक्त संचार बढ़ता है, जिससे एकाग्रता की क्षमता बेहतर होती है।
नींद में सुधार आता है: जो बच्चे नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियों में शामिल होते हैं, उन्हें बेहतर नींद आती है
बीपी कंट्रोल होता है: नियमित वर्कआउट बचपन से ही इस समस्या को नियंत्रित करने में मदद करता है।

फेफड़े बनेंगे फौलादी क्या करें?
प्राणायाम करें:
बच्चों को बचपन से ही प्राणायाम सिखाना फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने का सबसे प्रभावी तरीका है।
हल्दी दूध पिलाएं: हल्दी दूध बच्चों के फेफड़ों के लिए एक बेहतरीन औषधि है।
गर्म पानी पिलाएं: जब भी बच्चे को ज़ुकाम-खांसी के लक्षण दिखें, उन्हें गर्म पानी पीने की आदत डालें।
नस्यम लें: यह एलर्जी और प्रदूषण से बचाव करता है और फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

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