कुंडली के हिसाब से ऐसे करें नाग पंचमी की पूजा, दूर हो जाएंगे सारे दोष

0
nag-panchami-sawan_202308273993

धर्म { गहरी खोज } : हर साल श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाने का विधान है। हमारे देवताओं के बीच नागों का हमेशा से अहम स्थान रहा है। उदाहरण के लिए बता दें कि विष्णु जी शेष नाग की शैय्या पर सोते हैं और भगवान शंकर अपने गले में नागों को यज्ञोपवीत के रूप में रखते हैं। भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अपने को सर्पों में वासुकी और नागों में अनन्त कहा है। दक्षिण भारत में नाग पंचमी के दिन लकड़ी की चौकी पर लाल चन्दन से सर्प बनाये जाते हैं या मिट्टी के पीले या काले रंगों के सांपों की प्रतिमाएं बनायी या खरीदी जाती हैं और उनकी दूध से पूजा की जाती है। कई घरों में दीवार पर गेरू पोतकर पूजन का स्थान बनाया जाता है। फिर उस दिवार पर कच्चे दूध में कोयला घिसकर उससे एक घर की आकृति बनाई जाती है और उसके अन्दर नागों की आकृति बनाकर उनकी पूजा की जाती है।

कितने नागों की होनी चाहिए पूजा?
साथ ही कुछ लोग घर के मुख्य दरवाजे के दोनों तरफ हल्दी से, चंदन की स्याही से या गोबर से नाग की आकृति बनाकर उनकी पूजा करते हैं। नागपंचमी का ये त्योहार सर्प दंश के भय से मुक्ति पाने के लिये और कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिये मनाया जाता है। लिहाजा अगर आपको भी इस तरह का कोई भय है या आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो उससे छुटकारा पाने के लिये आज आपको इन 8 नागों की पूजा करनी चाहिए- वासुकी, तक्षक, कालिय, मणिभद्र, ऐरावत, धृतराष्ट्र , कर्कोटक और धनंजय।

किन्हें करनी चाहिए नाग पंचमी की पूजा?
प्रत्येक जन्म पत्रिका में राहु से केतु सातवें खाने में होता है और काल सर्प दोष का मतलब है सारे ग्रहों का राहु और केतु के एक ही तरफ होना अतः आपकी जन्मपत्रिका में ऐसी स्थिति बन रही है तो आपको आज नागपंचमी की पूजा जरूर करनी चाहिए, बता दें कि अगर आपकी पत्रिका में कालसर्प दोष नहीं है, तब भी आपको आज दिशाओं के क्रम में नागों की पूजा जरूर करनी चाहिए क्योंकि राहु तो सभी की जन्मपत्रिका में होता है लिहाजा कालसर्प दोष हो या न हो, राहु सम्बन्धी समस्या की शान्ति के लिये दिशाओं के सही क्रम में पूजा करना सभी के लिए फायदेमन्द साबित होगा।

किस नाग की कौन कर सकते हैं पूजा?
राहु सर्प का मुख है और केतु सर्प की पूंछ है चूंकि पूजन मुख में करना उचित है लिहाजा आपको ये देखना है कि आपकी जन्म पत्रिका के किस खाने में राहु बैठा हुआ है और फिर उसी के अनुसार सही दिशा में नाग पंचमी की पूजा करनी है। सबसे पहले आपको एक वर्ग बनाना हैं। इस वर्ग के अनुसार, ईशान कोण, यानि उत्तर-पूर्व दिशा में वासुकि नाग की पूजा करनी चाहिये, पूर्व में तक्षक की, दक्षिण-पूर्व में कालिय की, दक्षिण में मणिभद्र की, दक्षिण-पश्चिम में ऐरावत की, पश्चिम में ध्रतराष्ट्र की, उतर-पश्चिम में कर्कोटक की और उत्तर में धनंजय नामक नाग की पूजा करनी चाहिये।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *