फिडे महिला विश्व कप का खिताब जीतने को दिव्या ने अपनी किस्मत का खेल

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: भारत की युवा शतरंज खिलाड़ी दिव्या देशमुख ने सोमवार को फिडे महिला विश्व कप का खिताब जीतने के बाद इसे अपनी किस्मत का खेल बताया। इस ऐतिहासिक जीत के साथ उन्होंने ग्रैंडमास्टर बनने का सपना भी पूरा कर लिया।
बटूमी, जॉर्जिया में खेले गए फाइनल टाईब्रेक में दिव्या ने अपनी हमवतन और अनुभवी खिलाड़ी कोनेरू हम्पी को कड़े मुकाबले में हराया। उन्होंने दूसरी रैपिड गेम में रोचक रूक एंडगेम में जीत दर्ज की। खिताब जीतने के बाद दिव्या ने फिडे को दिए एक इंटरव्यू में कहा, मुझे अभी भी इसे समझने में समय लगेगा,मुझे लगता है कि यह किस्मत थी कि मैं इस तरह ग्रैंडमास्टर बनी। इससे पहले तो मेरे पास एक भी नॉर्म नहीं था। और टूर्नामेंट शुरू होने से पहले मैं सोच रही थी कि नॉर्म कहां मिलेगा। और अब मैं ग्रैंडमास्टर हूं!
19 वर्षीय दिव्या देशमुख भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर बनी हैं। उनसे पहले यह उपलब्धि कोनेरू हम्पी, आर. वैषाली और हरिका द्रोणावल्ली ने हासिल की थी। हालांकि, जीत दर्ज करने के बावजूद दिव्या मानती हैं कि उनके एंडगेम कौशल में अभी सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा, मुझे एंडगेम्स सीखने की ज़रूरत है। मुझे लगता है मैंने कहीं कुछ गड़बड़ की। यह आसान जीत होनी चाहिए थी। शायद मुझे g4 की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी। शायद मुझे सिर्फ रूक a3, रूक f3, फिर रूक g3 खेलना चाहिए था और वो जीत होती।
विश्व कप जीत को अपने करियर की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हुए दिव्या ने उम्मीद जताई कि यह शुरुआत भर है। उन्होंने कहा, यह जीत मेरे लिए बहुत मायने रखती है। लेकिन अभी बहुत कुछ हासिल करना बाकी है। मैं चाहती हूं कि यह सिर्फ एक शुरुआत हो।

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