मौजूदा दौर में युद्ध केवल बंदूकों और गोलियों से नहीं जीते जाते: राजनाथ सिंह

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  • रक्षा मंत्री ने ऑपरेशन ​’सिंदूर’ की सफलता के पीछे विभिन्न एजेंसियों​ की भूमिका को सराहा
    नई दिल्ली{ गहरी खोज }: ​रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ​रविवार को कहा कि मौजूदा दौर में युद्ध केवल बंदूकों और गोलियों से नहीं जीते जाते, बल्कि ​विभिन्न ​रणनीतियों से जीते जाते हैं।​ ऑपरेशन ​’सिंदूर’ की सफलता के पीछे विभिन्न एजेंसियों​ की भूमिका के बारे में​ उन्होंने कहा कि इस दौरान रसद प्रबंधन करके हमारी सेनाओं ​को जुटाने से लेकर उनके प्रशिक्षण के साजो-सामान को समय और स्थान पर सलाह ​दी गई।​ रसद​ प्रबंधन को केवल सामान​ पहुंचाने की प्रक्रिया के रूप में नहीं, बल्कि इसे एक रणनीतिक महत्व के रूप में देखा जाना चाहिए। चाहे हम सीमा पर लड़ रहे सैनिकों की बात करें या आपदा प्रबंधन में जुटे कर्मियों की, अगर आपसी ​तालमेल नहीं होगा, अगर संसाधन​ का सही ​इस्तेमाल नहीं होगा, तो मजबूत से मजबूत इरादे भी कमजोर पड़ जाएंगे।
    रक्षा मंत्री वडोदरा (गुजरात) में गति शक्ति विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। रक्षा मंत्री ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में भारत में अभूतपूर्व बुनियादी ढांचे का विकास हुआ है। इस बदलाव की बुनियाद में एक समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण के साथ महत्वपूर्ण नीतिगत सुधार और मिशन-मोड परियोजनाएं चल रही हैं। इसका प्रभाव केवल भौतिक कनेक्टिविटी तक सीमित नहीं है, बल्कि आर्थिक उत्पादकता में वृद्धि हुई है, लॉजिस्टिक लागत में कमी आई है और सेवा वितरण भी बेहतर हुआ है। पिछले 11 वर्षों में भारत ने इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के क्षेत्र में एक युगांतकारी परिवर्तन देखा है। पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान के तहत रेलवे, सड़क, बंदरगाह, जलमार्ग, हवाई अड्डे, जन परिवहन और लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे विकास के सात शक्तिशाली स्तंभ समूह भारत की अर्थव्यवस्था को एक मजबूत नींव दे रहे हैं।
    उन्होंने यह गति शक्ति विश्वविद्यालय​ के बारे में कहा कि यह सिर्फ एक शैक्षणिक संस्थान नहीं,​ बल्कि यह अपने आप में एक विचार है, एक गति है, एक मिशन है। यह भारत को तेज, संगठित और समन्वित रूप से आगे बढ़ाने की राष्ट्रीय आकांक्षा को मूर्त रूप दे रहा है। यह विश्वविद्यालय अपने नाम की तरह ही ‘गति’ और ‘शक्ति’ दोनों का सजीव उदाहरण है। आज देश में यदि कोई उत्पाद उत्तर पूर्व में तैयार होता है और वह समय पर दिल्ली या मुंबई के बाजार तक पहुंचता है, तो यह रसद प्रणाली की दक्षता का ही प्रमाण है।​ यह संस्थान शुद्ध रूप से व्यावहारिक ज्ञान​ पर ​जोर देता है। ​यहां केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि वास्तविक समस्याओं के समाधान सिखाए जाते हैं। यही विशेषता इसे देश के अन्य विश्वविद्यालयों से अलग बनाती है।
    रक्षा मंत्री​ ने दीक्षांत समारोह​ में शामिल छात्रों से कहा कि यह केवल आपके डिग्री लेने का क्षण नहीं है,​ बल्कि यह एक संकल्प लेने का भी क्षण है कि आप देश को अधिक सुरक्षित और अधिक सक्षम​ बनाने की इस यात्रा में अपनी भूमिका निभाएंगे। गति शक्ति विश्वविद्यालय से निकलने वाले आप सभी विद्यार्थी देश की रीढ़ को मजबूत करेंगे। आप अपनी गति से देश को शक्ति प्रदान करेंगे ऐसी मेरी कामना है। ​यहां से निकलने वाले छात्र​ अपने ज्ञान को केवल नौकरी की सीमा में मत​ बांधें। आप​ समस्या समाधानकर्ता​ बनिए। भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनना है, उसके लिए हमें स्मार्ट लॉजिस्टिक सिस्टम की भी जरूरत है।

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