कट्टरवाद और आतंकवाद

संपादकीय { गहरी खोज }: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने इंग्लैंड दौरे के दौरान वहां के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से बातचीत के दौरान कहा कि कट्टरपंथी व चरमपंथी विचारधारा मानने वालों को लोकतांत्रिक आजादी का दुरुपयोग नहीं करने देना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि जो लोग लोकतंत्र को कमजोर करने के लिए लोकतांत्रिक स्वतंत्रता का दुरुपयोग करते हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। भारत और ब्रिटेन इस पर एकमत हैं कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं हो सकती। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा के लिए ब्रिटिश सरकार का आभार जताया। पीएम मोदी ने कहा कि ब्रिटेन में खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियों को लेकर भारत में चिंताएं बढ़ रही हैं। मार्च, 2023 में लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग पर हमले के बाद भारत लगातार ब्रिटेन को आगाह करता रहा है कि भारत विरोधी गतिविधियों के लिए अपनी जमीन का इस्तेमाल न होने दें। विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने बताया, पीएम मोदी और स्टार्मर ने वार्ता में आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को मजबूत करने पर प्रतिबद्धता जताई। इस पर जोर दिया कि आतंकवाद, उग्रवाद और कट्टरपंथ के संकट से निपटने के लिए द्विपक्षीय सहयोग और समन्वय बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि यह दोनों समाजों के लिए खतरा है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जिसका जुलाई माह के लिए पाकिस्तान अध्यक्ष है, उसमें भारत के स्थाई प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि हम अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने के विषय पर चर्चा कर रहे हैं, ऐसे में यह समझना जरूरी है कि कुछ बुनियादी सिद्धांतों का सार्वभौमिक रूप से सम्मान किया जाना चाहिए जिनमें से एक है-आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करना। हरीश ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ‘बहुपक्षवाद और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को बढ़ावा देना’ विषय पर आयोजित उच्च-स्तरीय खुली चर्चा में अपने राष्ट्र की ओर से बयान दिया। डार ने पाकिस्तान की ओर से परिषद को संबोधित करते हुए जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ सिंधु जल संधि का मुद्दा भी उठाया। पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत ने फैसला किया कि 1960 की सिंधु जल संधि तब तक निलंबित रहेगी जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से अपना समर्थन देना नहीं छोड़ देता। तुर्किये ने भी इस खुली चर्चा में अपने बयान में जम्मू-कश्मीर का जिक्र किया। हरीश ने डार की टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि एक ओर भारत है जो एक परिपक्व लोकतंत्र, एक उभरती अर्थव्यवस्था और एक बहुलवादी एवं समावेशी समाज है। दूसरी ओर पाकिस्तान है, जो कट्टरता और आतंकवाद में डूबा हुआ है और आईएमएफ (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) से लगातार कर्ज ले रहा है। इस साल मई में आईएमएफ ने विस्तारित निधि सुविधा (ईएफएफ) के तहत पाकिस्तान को लगभग एक अरब डॉलर प्रदान करने की मंजूरी दी थी, जिससे इस व्यवस्था के तहत कुल प्रदान की गई राशि लगभग 2.1 अरब अमेरिकी डॉलर हो गई है।
यूएनएससी चैंबर में अपने बयान में हरीश ने पहलगाम आतंकवादी हमले का जिक्र किया, जिसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली है। हरीश ने इस बात पर जोर दिया कि उन देशों को गंभीर कीमत चुकानी चाहिए जो सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देकर अंतरराष्ट्रीय संबंधों एवं अच्छे पड़ोसी की भावना का उल्लंघन करते हैं। भारतीय राजदूत ने कहा कि परिषद के किसी भी सदस्य के लिए यह उचित नहीं है कि वह ऐसे आचरण में लिप्त रहते हुए उपदेश दे जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए अस्वीकार्य है। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 25 अप्रैल के बयान के अनुरूप है।
गत दिनों अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को ‘विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया था। अमेरिका के इस कदम से टीआरएफ को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति में शामिल करने में मदद मिल सकती है, जो आतंकवादियों और उनके संगठनों को नामित करने वाला प्रमुख आतंकवाद विरोधी तंत्र है। भारत ने अमेरिका के फैसले का स्वागत करते हुए इसे समय पर उठाया गया बेहद महत्त्वपूर्ण कदम बताया जो दोनों देशों के बीच मजबूत आतंकवाद विरोधी सहयोग को दर्शाता है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन एलईटी का मुखौटा संगठन टीआरएफ पहलगाम में नागरिकों पर हुए जघन्य हमले सहित कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहा है। उसने दोनों घटनाओं की स्वयं जिम्मेदारी भी ली थी। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ था, जिसमें कई पर्यटकों समेत 26 लोगों की मौत हो गई थी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 25 अप्रैल को इसकी निंदा तो की थी, लेकिन चीन और पाकिस्तान की आपत्तियों के बाद अपने बयान से टीआरएफ और एलईटी के संदर्भ हटा दिए थे। इसके बाद 23 जून को भारत ने चीन के छिंगताओं में शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में संयुक्त विज्ञप्ति पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि इसमें पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र नहीं किया गया था और न ही पाकिस्तान समर्थित सीमा पार आतंकवाद पर भारत की चिंताओं को स्पष्ट रूप से रेखाकिंत किया था।
भारत अपने स्तर पर पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवादियों और कट्टरपंथियों व उनको समर्थन देने वाले पाकिस्तान व अन्य देशों विरुद्ध अपनी बात पूरे जोर-शोर से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठा व रख रहा है। ऑपरेशन सिन्दूर’ के तहत भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर हमला कर उनको तहस-नहस कर दिया था और पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया था कि अब भारत आतंकवाद और कट्टरवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा। ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के बाद भी पाकिस्तान आतंकियों और कट्टरवादियों की खुली मदद कर रहा है। ऑपरेशन सिन्दूर’ के तहत भारत ने आतंक की 9 फैक्टरियों को तबाह किया था। अब पाक ने इन ठिकानों की मरम्मत का ना-पाक काम फिर शुरू कर दिया। लगभग ढाई महीने बाद यहां मरम्मत कराई जा रही है। लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों की ओर से संचालित मदरसों में छात्र लौट आए हैं। इन ठिकानों में हुई तबाही की मरम्मत के लिए पाकिस्तानी आर्मी और शहबाज सरकार ने सरकारी खजाना खोल दिया है। पहले 50 करोड़ रुपए का फंड जारी हुआ था, लेकिन सूत्रों के अनुसार अब इन 9 आतंकी ठिकानों के लिए लगभग 100 करोड़ रुपए का फंड रखा गया है। इस फंड को बढ़ाने के लिए पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर ने खुद पहल की। पता चला है कि मुनीर ने पाक आर्मी वेलफेयर और आर्मी हाउसिंग स्कीम से फंड को डायवर्ट करने के आदेश दिए हैं। ये राशि स्ट्राइक में मारे गए लोगों के परिवार वालों को दी जाने वाली सहायता राशि से अलग होगी। बता दें कि पाकिस्तान सरकार और आर्मी ने ऐसे 15 परिवारों को 10 करोड़ रुपए की सहायता राशि देने का ऐलान किया हुआ है। सूत्रों के अनुसार आर्मी चीफ आसिम मुनीर का झुकाव जैश के प्रति बढ़ रहा है। जैश के मुख्यालय बहावलपुर में सुभान अल्लाह मस्जिद की निगरानी रिपोर्ट सीधे उनके पास जाती है। जैश के सुप्रीमो मसूद अजहर को भी स्पेशल आईएसआई के सेफ हाउस में रखा गया है। पता चला है कि मसूद की लोकेशन हर पखवाड़े बदल दी जाती है। दरअसल, बहावलपुर दक्षिणी पंजाब में है, जहां से भारत के राजस्थान-पंजाब की सीमा नजदीक पड़ती है। पाक आर्मी के मंसूबे यहां से आतंकियों की घुसपैठ के हैं।
उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि भारत द्वारा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कट्टरवाद और आतंकवाद के विरुद्ध चलाये अभियान का पाकिस्तान और उसके समर्थित व संरक्षण प्राप्त कट्टरवादियों और आतंकियों पर कोई असर नहीं पड़ने वाला, क्योंकि पाकिस्तान उनके पीछे खड़ा है और पाकिस्तान के पीछे चीन। भारत को धरातल के सत्य को समझते हुए कट्टरवाद और आतंकवाद विरुद्ध लड़ाई हर स्तर पर स्वयं लड़नी होगी। पाकिस्तान और चीन तो सीधे तौर पर भारत विरुद्ध खड़े हैं। तुर्किये सहित कई अन्य देश हैं जो भारत के बढ़ते कदमों और कद को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे। यह देश भी अप्रत्यक्ष रूप से कट्टरपंथियों और आतंकियों को समर्थन देते हैं। समय की मांग है कि कट्टरवाद और आतंकवाद के मुकाबले के लिए भारत सैन्य व आर्थिक दृष्टि से इतना मजबूत हो कि कोई उसकी तरफ आंख उठाने की हिम्मत न कर सके।