अठारह घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद निकाला मासूम का शव

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जयपुर{ गहरी खोज }: जयपुर ग्रामीण जिले के जमवारामगढ़ थाना इलाके में एक कलयुगी पिता द्वारा डेढ़ साल के बेटे को दो सौ फीट गहरे बोरवेल में फेंकने के मामले में एसडीआरएफ,एनडीआरएफ,सिविल डिफेंस और पुलिस टीम ने अठारह घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद शुक्रवार सुबह बच्चे के शव को निकाल लिया है।
डीएसपी प्रदीप यादव ने बताया कि बच्चे का शव 90 फीट की गहराई पर अटका हुआ था और ऊपर से डाली गई मिट्टी के कारण उसे निकालने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा। एसडीआरएफ,एनडीआरएफ,सिविल डिफेंस टीम के करीब 60 जवान रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे थे। रेस्क्यू टीमों ने दो तरह के जुगाड़ का प्रयोग करके आखिरकार बच्चे का शव निकाला। पुलिस ने शव को स्थानीय अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया है। जहां मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कर परिजनों के हवाले कर दिया गया है। वहीं पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने पर ही इसका पूरी तरह से खुलासा हो पाएगा। इसके अलावा बच्चे की हत्या कर शव फेंका था या मरा समझ कर जिंदा ही उसे बोरवेल में फेंक दिया गया था। जिसके चलते आरोपित पिता को हिरासत में लेकर पूछताछ चल रही है। यह मामला जमवारामगढ़ थाना इलाके के दीपोला गांव का है।
शुक्रवार दोपहर एसडीआरएफ की टीम बुलाई गई। एसडीआरएफ और सिविल डिफेंस के 60 मेंबर ने संयुक्त ऑपरेशन चलाया। बोरवेल में कैमरा डालने के बाद शाम करीब 4:30 बजे बच्चे का हाथ दिखाई दिया। 90 फीट गहराई में बोरवेल में बच्चे के फंसे होने का पता चला। इससे बोरवेल में ही बच्चे को फेंकने की पुलिस को पुष्टि हुई। करीब 18 घंटे की मशक्कत के बाद रातभर ऑपरेशन चलाकर शुक्रवार सुबह करीब 4:30 बजे बोरवेल से बच्चे को बाहर निकाला गया। वहां मौजूद डॉक्टर ने चेक करने के बाद बच्चे को मृत घोषित कर दिया।
शुक्रवार तड़के जब शव बाहर निकाला गया तो गांव में सन्नाटा छा गया। रेस्क्यू पूरा होने के बाद प्रशासन ने राहत की सांस ली और एंबुलेंस के जरिए बच्चे के शव को अस्पताल भिजवाया। जहां उसका पोस्टमार्टम और उसके बाद सभी प्रक्रिया पूरी होने पर अंतिम क्रिया के लिए शव परिजनों को सौंपा गया।

इस घटना को लेकर स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि आरोपित ने अपने बेटे की निर्मम हत्या कर इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। बच्चे की बीमारी और घरेलू कलह के चलते उसने ऐसा किया। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही पूरे मामले का खुलासा किया जाएगा. इस हृदय विदारक घटना ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है।
आरोपी ने 20 दिन पहले ही अपनी पत्नी से मारपीट की थी। उसे नग्न कर पीटा था। जिसके बाद वह जान बचाकर वहां से निकल गई और दौसा अपने घर चली गई। वारदात के समय बच्चे की मां अपने घर पर थी। जैसे ही उसे इस वारदात का पता चला तो वह सदमे में आ गई और अस्पताल में उसे भर्ती कराया गया था।
लोगों का कहना है हत्यारे को सख्त से सख्त सजा दी जाए। आरोपी बेहद शातिर है। अपनी बच्चे की लाश छिपाने के लिए उसने जिस बोरवेल को चिन्हित किया। वो बोरवेल पहले से बंद था। प्रशासन ने अभियान के तहत बोरवेल को बंद किया था। लेकिन रातोरात ललित ने बोरवेल को वापस खोला। अब स्थानीय विधायक महेंद्र पाल मीणा क्षेत्र में बने अवैध बोरवेल के खिलाफ अभियान चलाने का निर्देश दे रहे हैं।
आरोपी ललित से मंजू की शादी 2020 में हुई थी। शुरुआती दौर में ललित शराब नहीं पिता था। लेकिन धीरे-धीरे वह शराब की लत में फंस गया और साइको,सनकी हो गया। ललित के तीन बेटे हैं- आयुष 4 साल का लक्ष्मण 2.5 साल का और सबसे छोटा राम था 1.5 साल का. राम को मारने से पहले एक बार भी कलयुगी पिता ने नहीं सोचा, रामनवमी के दिन ही राम का जन्म हुआ था। इसलिए उसका नाम राम रखा गया. लेकिन कलयुगी पिता की क्रूरता की भेंट राम इसका युग में चढ़ गया।गौरतलब है कि जमवारामगढ़ इलाके में स्थित दीपोला गांव में ललित सैनी परिवार के साथ रहता है। उस पर अपने तीन बच्चों में सबसे छोटे डेढ़ साल के बेटे राम की हत्या का आरोप है। पिछले कई महीनों से पति-पत्नी में झगड़ा हो रहा था। करीब एक महीने पहले तीनों बच्चों को छोड़कर पत्नी मायके चली गई थी। तब से ललित अकेला तीनों बच्चों की परवरिश कर रहा था। आरोपी पिता ललित बुधवार रात 11 बजे घर पहुंचा था। इस दौरान उसका बड़ा भाई ससुराल में फोन पर बात कर रहा था। दोनों भाइयों की शादी एक ही घर में सगी बहनों से हो रखी है और वह केस करने की बात कह रहे हैं। इस पर ललित ने कहा कि उसे राम को सफेद कपड़े में बांधकर बोरवेल में डाल दिया है। सूचना पर पुलिस घर पहुंची तो ललित सैनी अपने कमरे में सोते हुए मिला। अत्यधिक शराब के नशे में होने के कारण वह पूरी तरह होश में नहीं था। पुलिस की ओर से मासूम के बारे में पूछताछ के प्रयास किए गए। उसके अचेतावस्था से होश में आने का इंतजार किया गया। परिजनों व स्थानीय लोगों को जगाकर पुलिस ने बच्चे की आसपास तलाश भी की। लेकिन कोई सुराग नहीं लग सका। गुरूवार सुबह कुछ होश में आने पर पुलिस ने ललित से डेढ़ साल के राम के बारे में पूछा। पूछने पर वह पहले इधर-उधर की बात करता रहा। बच्चे की तबीयत खराब होने पर हॉस्पिटल दिखाकर दवा दिलाने की कहकर याद करने का नाटक करता। गुमराह करते हुए पुलिस को साथ लेकर राम को ढूंढने की कहकर घुमाता रहा। गांव में तीन-चार जगह पुलिस टीम को अपने साथ घुमाता रहा। अलग-अलग जगह बच्चे को बताता रहा। पुलिस के सख्त होने पर अपने दोस्त के घर बेटे राम को छोड़कर आने का बहाना बनाया। बच्चे की तलाश में जुटी टीम भी बताए अनुसार ललित को लेकर दोस्त के यहां जा पहुंची। लेकिन वह बात भी झूठ निकली। पुलिस टीम को बच्चे के साथ अनहोनी का अंदेशा हो गया। ललित से सख्ती से पूछताछ शुरू की। उसके बाद पुलिस की सख्ती पर टूट गया। बोला- बीमार बेटे की मौत हो गई थी। शरीर ठंडा पड़ चुका था। उसके शव को खेत में पत्थर से ढके बोरवेल में डाल दिया है। बोरवेल में बच्चे को फेंकने की बात सुनकर दंग रह गए। ललित को लेकर बोरवेल तक पहुंचे। प्रथमदृष्टया जांच करने पर बोरवेल में ताजी मिट्टी और पास उगी घास के टुकड़े डालने का पता चला। एक तरफ ललित के झूठ बोलने का संदेह था, दूसरी ओर डेढ़ माह के मासूम को ढूंढने की मजबूरी। बोरवेल में ताजी मिट्टी और घास डालने को लेकर 50 प्रतिशत बात सही होने पर बोरवेल में सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया था।

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