पौधारोपण का लक्ष्य थोपने के बजाए पौधे को जीवित रखने पर दिया जाना चाहिए बल-जाजू

जयपुर { गहरी खोज }:हरियालो राजस्थान अभियान के तहत इस वर्ष प्रदेश में दस करोड़ पौधे लगाने के लक्ष्य पर पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण संस्था पीपुल फॉर एनीमल्स के प्रदेश प्रभारी एवं प्रसिद्ध पर्यावरणविद् बाबू लाल जाजू ने कहा है कि अधिक संख्या में पौधे लगाने का केवल लक्ष्य थोपने की बजाए पौधा लगाने के बाद उसे जीवित रखकर बड़ा करने पर बल दिया जाना चाहिए।
श्री जाजू ने गुरुवार को यूनीवार्ता से बातचीत में कहा कि प्रदेश में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पिछले वर्ष सात करोड़ और इस वर्ष दस करोड़ पौधे लगाने की घोषणा की और गत वर्ष सात करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए। राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने प्रदेश में इस वर्ष 25 करोड़ पौधे लगाने की बात कही हैं लेकिन केवल लक्ष्य देकर पौधे लगाने का कीर्तिमान स्थापित करना काफी नहीं होगा। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में विद्यार्थी प्रतिदिन पौधे लगाने और शिक्षक एवं स्कूल का अन्य स्टाफ 15 पौधे रोज लगाने की बातें तो कही जा रही है लेकिन वन विभाग की नर्सरी में पौधे नहीं हैं और न ही पौधे लगाने के लिए विद्यालय के पास स्थान हैं, कोई बजट नहीं हैं और न ही पौधों की कोई सुरक्षा की व्यवस्था है।
उन्होंने कहा कि ऐसे में अधिक पौधे लगाने का लक्ष्य थोपकर पौधे और पैसे दोनों की बर्बादी हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण एवं हरियाली बढ़ाने के लिए भले ही पौधे कम लगे लेकिन जो पौधे लगे वे अधिक संख्या में बचना चाहिए और इसके लिए जवाबदेही तय होनी चाहिए। तभी पौधारोपण अधिक सार्थक होगा। केवल अधिक संख्या में पौधारोपण करना और उसके जीवित रहने की कोई जवाबदेही तय नहीं करना तो पर्यावरण और पौधारोपण की मजाक उड़ाना हैं।
उन्होंने मांग करते हुए कहा कि हर साल लगाये जाने वाले पौधों का सर्वे कराया जाना चाहिए कि उसमें कितने पौधे बचे हैं और उसके बाद पौधे लगाने का लक्ष्य तय करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वन विभाग हर वर्ष दो-तीन करोड़ कांटेदार पौधे लगाता है। इसके अलावा करोड़ों पौधे लगाये जा रहे हैं अगर ये सारे पौधे जीवित रहे तो फिर तो पर्यावरण के लिए पौधों की कोई कमी नहीं रहे लेकिन हर साल नये पौधे लगते हैं और नये आंकड़े आते हैं लेकिन पौधों के जीवित रखने के बारे में कोई व्यवस्था एवं नियम नहीं हैं।
श्री जाजू ने बताया कि वन विभाग का कहना था कि पौधे लगाने के बाद अंत में 40 प्रतिशत उनके जीवित रहना चाहिए। अगर 40 प्रतिशत पौधे नहीं बचते हैं तो संबंधित के खिलाफ विभागीय कार्यवाही होगी। अब जब विभाग से पौधे जीवित रहने के बारे में पूछने पर यह कहकर पल्ला झाड़ लिया गया कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि कितने पौधे बचने चाहिए। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि अगले वर्ष पौधे लगाने का आधार भी यह ही होना चाहिए कि पौधे बचने चाहिए।
उन्होंने कहा कि पौधे लगाने का काम भी वर्षा के मौसम के रहते ही करना चाहिए जबकि निगम एवं नगरपालिकाओं में वर्षा के दौरान पौधे लगाने की पूरी तैयारी ही नहीं हैं जबकि वर्षा जाने के बाद लगाये जाने वाले पौधे जीवित नहीं रह पाते। श्री जाजू ने बताया कि भीलवाड़ा में यूआईटी को तीन लाख पौधे लगाने का लक्ष्य दिया गया हैं लेकिन अभी दस प्रतिशत पौधे ही नहीं लगाये जा सके हैं। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि वन विभाग की नर्सरी में तीन-चार साल के बड़े पौधे तैयार करने चाहिए। उन्होंने परियोजना लगाने के नाम पर पेड़ों की कटाई को चिंताजनक बताते हुए कहा कि राजस्थान और ख़ासकर रेगिस्तानी इलाकों के लिए खेजड़ी केवल एक पेड़ मात्र नहीं है। ‘एक पौधा प्रतिदिन’, ‘हरियालो राजस्थान’ मां के नाम पेड़ जैसे अभियानों के बीच यह सब हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक पेड़ मां के नाम अभियान से प्रेरणा लेते हुए हरियालो राजस्थान की शुरुआत की गई थी और पिछले वर्ष साढ़े सात करोड़ पौधे लगाये गये। इस वर्ष प्रदेश में दस करोड़ पौधे तथा पांच साल में 50 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है।