तेलंगाना में ओबीसी को 42 फीसदी आरक्षण की सिफारिश पर राष्ट्रपति की स्वीकृति का इंतजार: खरगे

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: तेलंगाना सरकार ने राज्य में हुए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर स्थानीय निकाय चुनावों और शैक्षणिक संस्थानों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की है। इस फैसले पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को अपने एक्स हैंडल से खुशी जाहिर की।
उन्होंने कहा कि तेलंगाना ने जिस वैज्ञानिक और व्यापक तरीके से सर्वेक्षण कराया है, वह पूरे देश के लिए एक उदाहरण बन सकता है। इस आधार पर राज्य सरकार ने ओबीसी के लिए 42 फीसदी आरक्षण की सिफारिश की है, जो अब भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति की प्रतीक्षा में है।
उन्होंने इसे कांग्रेस पार्टी के सामाजिक न्याय, समानता और कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण के लिए एक नए आंदोलन की शुरुआत बताया। खरगे ने लिखा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में न्याय की लड़ाई दशकों से हाशिए पर पड़े एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस समुदायों को एक सशक्त आवाज दे रही है।
उन्होंने कहा कि भारत की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा होने के बावजूद ये समुदाय न्यायपालिका, नौकरशाही, कॉर्पोरेट और उच्च शिक्षा जैसे क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व से वंचित है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हाल ही में संसद में दिए एक उत्तर के अनुसार केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर पदों के लिए ओबीसी वर्ग के 80 फीसदी और एसटी वर्ग के 83 फीसदी पद रिक्त हैं। खरगे ने कहा कि देशभर में जातिगत जनगणना कराई जानी चाहिए और आरक्षण की 50 फीसदी सीमा को हटाया जाए। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में कराए गए जाति सर्वेक्षण को जन दबाव में लिया गया फैसला बताया।

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