आईओए ने सीईओ की नियुक्ति पर विवाद खत्म किया, डोपिंग रोधी पैनल का गठन

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: लंबे विवाद को समाप्त करते हुए भारतीय ओलंपिक संघ की कार्यकारी परिषद ने गुरुवार को सीईओ रघुराम अय्यर की नियुक्ति को मंजूरी दे दी और डोपिंग से निपटने के लिए एक पैनल का गठन किया। 2036 ओलंपिक की दावेदारी के लिए राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के दौरान भारत के खराब रिकॉर्ड को चिन्हित किए जाने के बाद यह फैसला लिया गया।
जनवरी, 2024 में अध्यक्ष पीटी उषा के नेतृत्व में कार्यकारी समिति के सदस्यों ने अय्यर की नियुक्ति को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। विवाद का मुख्य कारण उनका 20 लाख रुपये प्रति माह का वेतन और अन्य भत्ते थे। हालांकि, खेल मंत्री मनसुख मांडविया के हस्तक्षेप के बाद इस मामले में मतभेद सुलझ गए और अय्यर की औपचारिक नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया। सात सदस्यीय डोपिंग रोधी पैनल का नेतृत्व पूर्व टेनिस खिलाड़ी रोहित राजपाल करेंगे और इसमें अपर्णा पोपट और खेल चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. पीएसएम चंद्रन सहित अन्य सदस्य शामिल होंगे।
अय्यर ने आईओए कार्यकारी समिति के सदस्यों और पीटी उषा ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि आईओए (प्रतिनिधिमंडल) के लुसाने दौरे के दौरान आईओसी (अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति) ने भारत में डोपिंग के बढ़ते मामलों का ज़िक्र किया था। उषा ने कहा, आईओसी दो-तीन मुद्दों को लेकर चिंतित था, लेकिन मंत्रालय ने विश्व संस्था और अन्य अंतरराष्ट्रीय महासंघों से परामर्श किया और फिर विधेयक को मंजूरी दे दी गई।
पिछले महीने लुसाने गए आईओए प्रतिनिधिमंडल में खेल सचिव हरि रंजन राव, उषा और गुजरात के खेल मंत्री हर्ष सांघवी समेत अन्य लोग शामिल थे। भारत अहमदाबाद में 2036 ओलंपिक खेलों की मेज़बानी के लिए बोली लगा रहा है। भारत पिछले महीने विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी के 2023 परीक्षण आंकड़ों में उन देशों में शीर्ष पर रहा था, जिन्होंने प्रतिबंधित पदार्थों के लिए 3.8 प्रतिशत की उच्च सकारात्मकता दर के साथ 5,000 या अधिक नमूनों का विश्लेषण किया था। काफी समय तक विरोध के बाद बुधवार को संसद में पेश किए गए नए खेल विधेयक का आखिरकार आईओए ने स्वागत किया।
विधेयक के अधिनियम बनने के बाद एक राष्ट्रीय खेल बोर्ड का गठन होगा, जो राष्ट्रीय महासंघों को मान्यता देने और उनके वित्तपोषण को विनियमित करने के लिए अधिकृत होगा। आईओए के संयुक्त सचिव कल्याण चौबे ने कहा, नए राष्ट्रीय खेल विधेयक को खेल मंत्रालय के हस्तक्षेप के रूप में नहीं, बल्कि आईओए और एनएसएफ (राष्ट्रीय खेल महासंघों) सहित हितधारकों के साथ सहयोग और समन्वय के रूप में देखा जाना चाहिए। नए विधेयक में यह स्पष्ट है कि जब भी किसी प्रावधान में अंतरराष्ट्रीय महासंघों के नियमों के साथ टकराव होगा, तो अंतरराष्ट्रीय महासंघों के नियम ही प्रभावी होंगे।

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