उपराष्ट्रपति धनखड़ का त्यागपत्र

0
Vice-President-Jagdeep-Dhankhar_V_jpg--442x260-4g

संपादकीय { गहरी खोज }: संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन जहां विपक्षी दलों ने ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ को लेकर हंगामा किया, वहीं रात होते-होते उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक अपने पद से त्यागपत्र देने के समाचार के साथ ही विपक्ष द्वारा किया गया हंगामा किनारे हो गया और उपराष्ट्रपति का त्यागपत्र सड़क से लेकर संसद तक चर्चा का विषय बन गया।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का त्यागपत्र सरकार द्वारा स्वीकार कर लिया गया है। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने त्यागपत्र के पीछे अपने स्वास्थ्य को कारण बताया है। प्रधानमंत्री मोदी ने उनके त्यागपत्र पर कहा है कि ‘मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं।’

उपराष्ट्रपति धनखड़ के त्यागपत्र को लेकर राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि स्वास्थ्य का कारण तो एक बहाना है जो व्यक्ति राज्यसभा में सारा दिन कार्यवाही में रहे वह अचानक रात को स्वास्थ्य के आधार पर त्यागपत्र देने की बात करता है तो यह बात गले से उतरती नहीं।

विपक्षी दलों का मानना है कि त्यागपत्र देने की वजह कुछ और है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश का कहना है कि ’21 जुलाई को दोपहर 12:30 बजे श्री जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की अध्यक्षता की। इस बैठक में सदन के नेता जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू समेत ज्यादातर सदस्य मौजूद थे। थोड़ी देर की चर्चा के बाद तय हुआ कि समिति की अगली बैठक शाम 4:30 बजे फिर से होगी। शाम 4:30 बजे धनखड़ जी की अध्यक्षता में समिति के सदस्य दोबारा बैठक के लिए इकट्ठा हुए। सभी नड्डा और रिजिजू का इंतजार करते रहे, लेकिन वे नहीं आए। सबसे हैरानी की बात यह थी कि धनखड़ जी को व्यक्तिगत रूप से यह नहीं बताया गया कि दोनों मंत्री बैठक में नहीं आएंगे। स्वाभाविक रूप से उन्हें इस बात का बुरा लगा और उन्होंने बीएसी की अगली बैठक अगले दिन दोपहर 1 बजे के लिए टाल दी। इससे साफ है कि 21 जुलाई को दोपहर 1 बजे से लेकर शाम 4:30 बजे के बीच जरूर कुछ गंभीर बात हुई है, जिसकी वजह से जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू ने जानबूझकर शाम की बैठक में हिस्सा नहीं लिया। अब एक बेहद चौंकाने वाला कदम उठाते हुए, श्री जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इसकी वजह अपनी सेहत को बताया है। हमें इसका मान रखना चाहिए। लेकिन सच्चाई यह भी है कि इसके पीछे कुछ और गहरे कारण हैं। श्री जगदीप धनखड़ का इस्तीफा उनके बारे में बहुत कुछ कहता है। साथ ही, यह उन लोगों की नीयत पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है, जिन्होंने उन्हें उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचाया था।’ सांसद दानिश अली ने कहा ‘रहस्यमयी चीजें हो रही हैं, जो देश के हित में नहीं हैं। धनखड़ के इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं नहीं लगतीं। सुनने में आया था कि भाजपा के कुछ टॉप लीडर्स उनके पद की गरिमा के मुताबिक बयान नहीं दे रहे थे। ऐसा लगता है कि जस्टिस यादव और जस्टिस वर्मा को लेकर सरकार से उनके मतभेद थे। उन्होंने कई बार कहा है कि वह कभी किसी के दबाव में नहीं आएंगे। कांग्रेसी सांसद सुखदेव भगत, ‘ईश्वर जगदीप धनखड़ को स्वस्थ जीवन प्रदान करे, लेकिन राजनीति में कुछ भी अचानक नहीं होता। पटकथा पहले से ही लिखी जाती है। बिहार चुनाव नजदीक हैं। यह एक पहलू हो सकता है। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की इच्छा के मुताबिक बहुत सी अप्रत्याशित चीजें होती हैं।’ देश में 72 साल के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में धनखड़ पहले ऐसे राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति रहे, जिनके खिलाफ दिसंबर 2024 महाभियोग प्रस्ताव लाया था। जो बाद में तकनीकी कारणों से खारिज हो गया था। विपक्ष धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाता रहा था। विपक्ष का दावा था कि वह सिर्फ विपक्ष की आवाज व उनके सांसदों द्वारा उठाए गए सवालों को दबाते हैं।
आज लगता है कि विपक्ष द्वारा दिए जस्टिस वर्मा के महाभियोग को लेकर 63 विपक्षी दलों के सांसदों द्वारा हस्ताक्षर किए प्रस्ताव को स्वीकार करना ही उनके त्यागपत्र देने का एक बड़ा कारण बन गया है। लोकसभा में सरकार ने विपक्षी दलों के 152 सांसदों के हस्ताक्षर वाला प्रस्ताव पेश किया था और परंपरा यही है कि प्रस्ताव दोनों सदनो में स्वीकार कर लिया जाता है।

धनखड़ द्वारा केवल विपक्षी दलों के सांसदों के हस्ताक्षर वाले महाभियोग के प्रस्ताव को स्वीकार करने से सरकार असहज महसूस कर रही है। इस बात के साथ-साथ राज्यसभा में जे.पी. नड्डा का बयान दूसरा कारण हो सकता है। आने वाले समय में पर्दे के पीछे क्या हुआ उसकी जानकारी सामने आने पर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। अभी तो यही कहा जा सकता है कि राजनीति में कब क्या हो जाए, उसके बारे कुछ कहा नहीं जा सकता। जिस ढंग से जगदीप धनखड़ ने अपने पद से त्यागपत्र दिया उससे स्पष्ट है कि उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या भाजपा के किसी भी वरिष्ठ नेता से त्यागपत्र देने संबंधी बातचीत नहीं की। इस कारण भाजपा और सरकार दोनों कोई अधिक प्रतिक्रिया भी नहीं दे रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *