भगोड़ों की वापसी

संपादकीय { गहरी खोज }: 2022 के विधानसभा चुनावों में या इससे पहले हुए 2019 के लोकसभा चुनाव में बैंकों से लाखों-करोड़ों रुपए की ठगी मारकर या फिर जनसाधारण से लुभावनी योजनाओं के नाम पर ठगी मारकर विदेशों में बैठे ठगों-अपराधियों की वापसी को लेकर विपक्षी दल मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास करते रहे हैं। विपक्षी दलों के आरोपों को जन साधारण द्वारा गंभीरता से न लेने के कारण मोदी सरकार केंद्र में लगातार सत्ता में बनी हुई है और प्रदेश स्तर पर भी अधिकतर प्रदेशों में भाजपा की ही सरकारें हैं। इसका मूल कारण यह है कि भाजपा व मोदी दोनों की साख व छवि मजबूत है।
विपक्षी दलों का आरोप था और है कि मोदी सरकार विदेशों में बैठे घोटालाबाजों को वापस लाने के लिए गंभीर नहीं है, विपक्षी दलों के इस आरोप की हवा अब इंटरपोल की ताजा रिपोर्ट ने निकाल दी है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) के अनुरोध पर जारी किए गए इंटरपोल के रेड कार्नर नोटिसों की वार्षिक संख्या वर्ष 2023 के बाद से दोगुने से भी ज्यादा हो गई है। यह इंटरपोल महासभा और जी 20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी के दौरान हुए विचार-विमर्श के आधार पर और परिष्कृत तकनीक को अपनाकर भगोड़ों की तलाश की दिशा में देश में आए क्रांतिकारी बदलाव को दर्शाता है। ल्योन स्थित अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन (इंटरपोल) ने 2020 में 25, 2021 में 47 और 2022 में 40 रेड कार्नर नोटिस जारी किए थे। एजेंसी के नवीनतम आंकड़ों से पता चला है कि 2023 से भारत के अनुरोध पर जारी किए गए रेड कार्नर नोटिसों की संख्या में उल्लेखनीय गति से वृद्धि हुई है। इसकी संख्या 2023 में 100, 2024 में 107 थी, जबकि 2025 के पहले छह महीनों में 56 नोटिस जारी किए गए। इंटरपोल पारंपरिक रूप से 195 सदस्य देशों को विभिन्न उद्देश्यों के लिए आठ रंग के नोटिस जारी करता है, जो किसी देश के अनुरोध पर उन्हें सचेत करते हैं। इसने इस वर्ष पायलट आधार पर नौवां नोटिस ‘सिल्वर नोटिस’ जोड़ा है, ताकि विदेशों में जमा अवैध संपत्तियों पर नजर रखी जा सके। सिल्वर नोटिस में भारत भी भागीदार है। रेड कार्नर नोटिस (आरसीएन), किसी भगोड़े पर नजर रखने के लिए सबसे अहम है। नोटिस की संख्या, जिसके माध्यम से कोई देश किसी व्यक्ति के बारे में जानकारी मांगता है, 2020 में 47 से बढ़कर 2024 में 68 और 2025 में अब तक 86 हो गई है। येलो नोटिस की संख्या 2020 में एक से बढ़कर 2024 में 27 और 2025 में (अब तक) चार हो गई है। वर्ष 2025 में अब तक कुल 145 इंटरपोल नोटिस जारी किए गए हैं, जबकि 2020 में 73 नोटिस जारी किए गए थे। आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल इंटरपोल द्वारा 208 नोटिस जारी किए गए थे। एजेंसी ने एक आंतरिक पोर्टल ‘भारतपोल’ जनवरी में चालू किया जिससे आरसीएन की प्रक्रिया को आसान बना दिया। प्रत्यर्पण के लिहाज से परिणाम सामने आए हैं और सीबीआइ ने इंटरपोल के साथ-साथ राज्य और केंद्रीय प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर 2020 से 134 भगोड़ों के प्रत्यर्पण या निर्वासन को सुरक्षित करने के लिए समन्वय किया। इनमें से 23 को अकेले इसी वर्ष वापस लाया गया। इसके विपरीत, 2010 से 2019 के बीच के दशक के दौरान केवल 74 भगोड़ों को वापस लाया गया था। परिणाम उत्साहजनक हैं, लेकिन एजेंसी अब भी अपने निर्धारित लक्ष्यों से बहुत दूर है। गौरतलब है कि बड़े देशों के अनुरोध पर इंटरपोल हजारों अनुरोध जारी किए जा रहा है, जबकि भारत के अनुरोध सैकड़ों में हैं। हम आगे बढ़ रहे हैं और हमें अपनी प्रक्रियाओं में और सुधार करना होगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भगोड़ों को कहीं भी सुरक्षित पनाह न मिले।
भारत को सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में उस द्वारा किए अनुरोधों को इंटरपोल और गंभीरता से ले। भारत के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते कद के कारण इंटरपोल के लिए भी भारत के अनुरोध को हल्के में लेना भविष्य में मुश्किल ही होगा। एक मजबूत भारत सभी चुनौतियों का हल है। विपक्षी दलों को भी यह बात समझने की आवश्यकता है।