अमावस्या के दिन पितरों को देना है तर्पण तो जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ

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धर्म { गहरी खोज } :24 जुलाई को हरियाली अमावस्या या कहें सावन अमावस्या है, यह पर्व हर साल सावन अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर भक्त जन गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान व दान करने का विधान है। इसके अलावा, जातक अपने पितरों का तर्पण व पिंडदान भी करते हैं। माना जाता है कि सावन अमावस्या के दिन तर्पण और पिंडदान करने से 3 पीढ़ी के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। धर्म ग्रंथों के मुताबिक, पितरों का तर्पण करते समय पितृ दोष निवारण स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए।

पितृ दोष निवारण स्तोत्र
अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।

नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।

इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ।।

मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा ।
तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।

नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा ।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।

देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।

प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च ।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।

नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।

सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।

अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।
अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ।।

ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय:।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ।।

तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस:।
नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज ।।

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