टेंशन से तबाह हो सकती है दिमागी हालत, हर वक्त चिंता में डूबे रहने से क्या होता है ब्रेन पर असर

लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: कआज की तेज रफ्तार जिंदगी में टेंशन और चिंता आम हो गई है। चाहे नौकरी का दबाव हो, रिश्तों की उलझन या फिर फाइनेंशियल दिक्कत, लगातार स्ट्रेस में जीना हमारे दिमाग को धीरे-धीरे अंदर से कमजोर कर सकता है। जब इंसान हर वक्त किसी न किसी बात की चिंता में डूबा रहता है, तो इसका सीधा असर उसकी मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर पड़ता है। खासकर दिमाग पर इतना लोड पड़ने से कई समस्याएं पैदा होने लगती हैं। लंबे समय तक टेंशन लेने से दिमागी हालत भी खराब हो सकती है।
डॉक्टर तरुण शर्मा, प्रोग्राम क्लिनिकल डायरेक्टर (न्यूरोसर्जरी, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल फरीदाबाद) ने बताया कि टेंशन और स्ट्रेस की स्थिति में हमारे शरीर में कोर्टिसोल नामक स्ट्रेस हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। यह हार्मोन अल्पकालिक स्थिति में शरीर को सचेत रहने में मदद करता है, लेकिन जब यह लंबे समय तक बना रहता है तो यह ब्रेन के स्ट्रक्चर और फंक्शन को नुकसान पहुंचाने लगता है।
रिसर्च बताते हैं कि लंबे समय तक तनावग्रस्त रहने से दिमाग का हिप्पोकैम्पस जो याददाश्त और सोचने से जुड़ा हिस्सा होता है वो सिकुड़ने लगता है। इससे याददाश्त कमजोर होती है और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता भी घटने लग जाती है।
तनाव और चिंता से पैदा होने वाली बीमारी
लगातार चिंता में रहने वाले लोगों को नींद की समस्या, चिड़चिड़ापन, थकावट और आत्मविश्वास की कमी का सामना करना पड़ सकता है। ब्रेन फॉग यानी सोचने-समझने की स्पष्टता में कमी आ जाती है। इतना ही नहीं, लंबे समय तक मेन्टल स्ट्रेस रहने से डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसे मानसिक विकार भी जन्म ले सकते हैं।
टेंशन से शरीर पर असर
तनाव का असर सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं रहता, यह सिरदर्द, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और पाचन संबंधी समस्याएं भी पैदा कर सकता है। इसके कारण इंसान का सामाजिक जीवन प्रभावित होता है और वह अकेलेपन की ओर बढ़ने लगता है।
तनाव को कैसे कंट्रोल करें
इसलिए ज़रूरी है कि समय रहते तनाव को संभालना सीखा जाए। इसके लिए मेडिटेशन, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद और संतुलित आहार जैसी आदतें अपनाना बेहद कारगर साबित हो सकती हैं। साथ ही, जरूरत पड़ने पर मनोचिकित्सक या काउंसलर की मदद लेने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।