कुबेरेश्वरधाम पर लगा कावड़ियों का महाकुंभ, एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किया अभिषेक सीहोर{ गहरी खोज }: जिला मुख्यालय स्थित प्रसिद्ध कुबेरेश्वरधाम पर सावन के दूसरे सोमवार को कावड़ियों का महाकुंभ देखने को मिला। सीवन नदी के तट से कुबेरेश्वरधाम तक हर तरफ शिव भक्ति का अद्भूत नजारा दिखाई दिया। देश के कोने-कोने से कावड़िए अपने कंधों पर कांवड लेकर निकले। हर मार्ग पर शिवभक्तों की टोलियां डीजे-झांकियों से सजे माहौल में कांवड़ लेकर चल रही थी। सावन के दूसरे सोमवार को एक लाख से अधिक श्रद्धालु धाम पर पहुंचे। हाईवे से लेकर पूरा शहर शिवमय हो गया। हर ओर हर-हर महादेव की गूंज सुनाई दी। भोले बाबा के दीवाने थकान की परवाह किए बिना आगे बढ़ रहे थे। वहीं इनके भोजन, प्रसादी और पेयजल को लेकर बड़े-बड़े पंडाल लगाकर सेवा कार्य किया जा रहा है। इसको लेकर धाम पर आरंभ हुई आनलाइन शिव महापुराण के पहले दिन प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहाकि शिव भक्तों की सेवा से बढ़कर कुछ भी नहीं है, श्रद्धालुओं की सेवा ही सबसे बड़ी भक्ति है। शिव महापुराण हमारे जीवन की दिशा बदल देती है। कथा और प्रवचन से के माध्यम से हमें सद्मार्ग प्राप्त होता है। जैसे देवराज ब्राह्मण का कल्याण हुआ। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि शिव पुराण सुनने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और उसे शिवलोक में स्थान मिलता है, श्रावण माह में भगवान शंकर की पूजा करने का विधान है। पुराणों में लिखा गया है कि जो व्यक्ति सावन के महीने में पूरी श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव की सेवा करता है, तो उसे शिवलोक की प्राप्ति होती है। शिव पुराण में भी इस संदर्भ में एक कथा है। एक नगर में एक देवराज ब्राह्मण रहता था जो अत्यंत दुर्बल और वैदिक धर्म से विमुख था। वह कोई धार्मिक कार्य नहीं करता था और सदैव धन कमाने में ही लगा रहता था। उसके ऊपर जो भी विश्वास करता था वह उसे मुर्ख बना देता था। ऐसा कोई भी नहीं था जिसे उसने धोखा न दिया हो, लेकिन उसने शिवमहापुराण की कथा का श्रवण किया तो उसको मुक्ति मिली। उन्होंने कहा कि भगवान शिव भाग्य की दिशा और दशा भी बदल सकते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए बहुत बड़े अनुष्ठान की जरुरत नहीं होती है, वह तो केवल जल और बिल पत्र से भी प्रसन्न हो जाते हैं। अभिषेक भगवान शिव के रुद्र रूप का किया जाता है, इसलिए उनके अभिषेक के अनुष्ठान को रुद्राभिषेक के नाम से जाना जाता है। रुद्राभिषेक अलग-अलग पवित्र पदार्थो से किया जाता है और पदार्थो के अनुरूप इनका फल भी अलग-अलग बताया गया है। रुद्राभिषेक में प्रयुक्त किए जाने वाले अधिकांश पदार्थ स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। जैसे गाय का दूध, गाय घी और दही, शहद, गन्ने का रस, विभिन्न प्रकार के अनाज, विभिन्न स्त्रोतों से एकत्रित किए गए तिल, जौ, विभिन्न प्रकार के तेल, बेल पत्र, आक के फूल, धतूरा आदि का प्रयोग इसमें किया जाता है। रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा अनुष्ठान माना जाता है। आनलाइन कथा के दौरान पंडित मिश्रा ने कहा कि हमारे देश की जड़ हमारी शिक्षा है, इसलिए हमारे वेदों आदि का प्रसार होना चाहिए। उन्होंने एक प्रसंग में कहा कि नारायण भगवान विष्णु के हयग्रीव अवतार ने वेदों को बचाया था। दो असुरों ने ब्रह्मा से वेद चुरा लिए थे। वेदों को पुन: प्राप्त करने और सृष्टि को बचाने के लिए, भगवान विष्णु ने हयग्रीव का अवतार लिया, जो घोड़े के सिर और मानव शरीर वाले थे। इस अवतार में, उन्होंने असुरों का वध किया और वेदों को ब्रह्मा को वापस लौटा दिया, जिससे ज्ञान का प्रकाश पुन: स्थापित हुआ। नेपानगर की एक बहन का पत्र को पढ़ते हुए सोमवार को पंडित मिश्रा ने कहा कि बेटा और बेटी सम है, इसमें अंतर नहीं है। बेटा और बेटी के बीच कोई अंतर नहीं समझें, बेटे की तुलना में बेटियां कहीं से भी कम नहीं है। उन्होंने बहन के पत्र को पढ़ते हुए बताया कि बहन ने लिखा है कि उनको दो बेटियां थी, रिश्तेदार और घर के कोसते थे, लेकिन भगवान शिव ने मुझे दो बेटे प्रदान किए है, यह सब बाबा शिव के आशीर्वाद से प्राप्त हुआ है।