विश्व में सर्वाधिक उम्रदराज एथलीट फौजा सिंह का अंतिम संस्कार

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फौजा के नाम पर होगा गांव के स्कूल का नाम और स्टेडियम में लगेगी उनकी प्रतिमा मुख्यमंत्री, राज्यपाल और कैबिनेट मंत्रियों और कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
चंडीगढ़{ गहरी खोज }: विश्व की सर्वाधिक आयु के एथलीट फौजा सिंह का रविवार को पंजाब के जालंधर में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। इससे पहले पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान समेत पंजाब कैबिनेट के कई मंत्रियों और नेताओं ने एथलीट फौजा सिंह को श्रद्धांजलि दी।
विश्व की सर्वाधिक आयु के एथलीट फौजा सिंह को14 जुलाई को सड़क पार करते समय एक तेज़ रफ्तार वाहन की चपेट में आने से मौत हो गई थी। फौजा सिंह के कई परिवारिक सदस्यों के कनाडा व इंग्लैंड में थे। रविवार को सुबह 9 बजे से दोपहर साढ़े 12 बजे तक शव को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था, जिसके बाद अंतिम यात्रा निकाली गई। इसके बाद गांव के श्मशान घाट पर संस्कार किया गया। उनके बेटों ने अपने पैतृक गांव ब्यास पिंड में उन्हें मुखाग्नि दी। फौजा सिंह के अंतिम संस्कार के मौके पर मुख्यमंत्री भगवंत मान मौजूद रहे और उन्होंने एथलीट काे अंतिम सैल्यूट भी किया।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि गांव की पंचायत के फैसले के अनुसार गांव के स्कूल का नाम अब फौजा सिंह के नाम पर रखा जाएगा। साथ ही गांव के स्टेडियम में उनकी प्रतिमा स्थापित की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि फौजा सिंह ने नशों के खिलाफ जंग में अहम भूमिका निभाई। उनके साथ कई बार बातचीत भी हुई। उनके योगदान को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। मुख्यमंत्री ने कहा कि फौजा सिंह की मौत ने न केवल पंजाब बल्कि पूरे विश्व को शोकग्रस्त कर दिया है, क्योंकि वह प्रतिबद्धता और मेहनत के प्रतीक थे।
पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि फौजा सिंह 114 साल के थे। उनके लंबे जीवन से युवाओं को सीख लेनी चाहिए कि तंदरुस्त रहने के लिए अनुशासन और संयम जरूरी है। कटारिया ने बताया कि जब उन्होंने पंजाब में नशा तस्करी के खिलाफ यात्रा निकाली थी, तब फौजा सिंह भी उसमें शामिल हुए थे। वह पूरे एक किलोमीटर तक पैदल चले। जब उन्हें रोका तो वे तभी रुके। यह देखकर वे भी प्रभावित हुए थे। उन्होंने फौजा सिंह को श्रद्धांजलि दी और कहा कि उनका जीवन हमेशा प्रेरणा देने वाला रहेगा। उल्लेखनीय है कि फौजा सिंह ले लंबी दूरी की कई दौड़ों में उन्होंने पंजाब और विशेष रूप से सिख समुदाय का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया।

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