कोचिंग सेंटरों का न हो बाजारीकरणः धनखड़

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कोचिंग सेंटरों के बढ़ते चलन पर चिंता जताते हुए कहा कि कोचिंग कौशल के लिए होनी चाहिए। कोचिंग आत्मनिर्भर बनाने के लिए होनी चाहिए, लेकिन कुछ सीमित सीटों के लिए देशभर में कोचिंग सेंटर अखबारों में विज्ञापन के लिए होड़ कर रहे हैं। बच्चों की तस्वीरें रैंक के साथ प्रकाशित की जाती हैं। कोचिंग सेंटर का बाज़ारीकरण और व्यवसायीकरण नहीं होना चाहिए। हमें गुरुकुल प्रणाली में विश्वास रखना चाहिए। युवाओं को अपने संकीर्ण दायरों से बाहर निकलना होगा।
उपराष्ट्रपति ने भारतीय रक्षा संपदा सेवा के 2024 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे किसी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन शिक्षा का कोचिंग से यह जुड़ाव नहीं होना चाहिए। तीन दशकों बाद जब हमें लाखों लोगों के परामर्श से एक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति मिली है, तो फिर कोचिंग की क्या आवश्यकता? कोच को कौशल सुधारना चाहिए। हम रटंत विद्या से आगे बढ़कर चिंतनशील मस्तिष्क चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य केवल अर्थव्यवस्था को बढ़ाना ही नहीं है बल्कि लोगों का विकास करना भी है। विकसित भारत केवल हमारा सपना नहीं है, वह अब हमारी मंज़िल भी नहीं है। बीते 10 वर्षों में देश ने असाधारण विकास देखा है। अब जनता को विकास का स्वाद लग गया है। अब यह राष्ट्र वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक आकांक्षी राष्ट्र बन चुका है।
ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र कर धनखड़ ने कहा कि अभी यह समाप्त नहीं हुआ है, यह जारी है। कुछ लोग पूछते हैं- इसे रोका क्यों गया? हम शांति, अहिंसा, बुद्ध, महावीर और गांधी की धरती हैं। जो जीवों को भी कष्ट नहीं देना चाहते, वे इंसानों को कैसे निशाना बना सकते हैं? इसका उद्देश्य था मानवता और विवेक को जगाना।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा कि क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए जो अनुमति आपसे ली जाती है, उसमें सोच-विचार के कारण अनुमति देने में देरी होती है। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों से आग्रह किया कि वे एक ऐसी प्रणाली विकसित करें, जिससे लोगों को पहले से ही जानकारी हो कि किसी क्षेत्र में भवन की अधिकतम ऊंचाई क्या हो सकती है। यह सब एक प्लेटफॉर्म पर क्यों नहीं हो सकता? तकनीक के इस युग में यह संभव है। इससे जनता को राहत मिलेगी, खर्च बचेगा और पारदर्शिता बढ़ेगी।