अहमदाबाद विमान हादसा

संपादकीय { गहरी खोज }: अहमदाबाद विमान हादसे को लेकर अमेरिकी मीडिया वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि अहमदाबाद में एयर इंडिया के बोईंग 787 विमान हादसे के लिए पायलट जिम्मेदार है। रिपोर्ट में कॉकपिट रिकॉर्डिंग के आधार पर दावा किया गया है कि विमान के कैप्टन ने ईंधन सप्लाई के दोनों स्विच को बंद किया था जिसकी वजह से इंजन बंद हो गए और विमान उड़ान भरने के कुछ मिनटों में ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अमेरिकी अधिकारियों के शुरुआती आकलन की जानकारी रखने वालों के हवाले से रिपोर्ट तैयार की है। इसमें कहा गया कि कॉकपिट रिकॉर्डिंग से साफ है कि बोइंग 787 ड्रीमलाइनर उड़ा रहे फर्स्ट ऑफिसर ने अधिक अनुभवी कप्तान से पूछा कि रनवे से उड़ान भरने के बाद उन्होंने स्विच को बंद क्यों किया। इस पर फर्स्ट ऑफिसर ने आश्चर्य व्यक्त किया और फिर घबरा गया, जबकि कप्तान शांत रहे। एअर इंडिया का विमान कैप्टन सुमित सभरवाल व फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर उड़ा रहे थे। इनके पास क्रमशः 15,638 घंटे और 3,403 घंटे का कुल उड़ान अनुभव था। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले हफ्ते भारत के विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) ने भी अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में 12 जून की दुर्घटना से ठीक पहले कॉकपिट में भ्रम की स्थिति को दर्शाया था। उसने भी इंजन ईंधन कटऑफ स्विच की स्थिति पर सवाल उठाए थे।
वॉल स्ट्रीट की रिपोर्ट को नकारते हुए विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो के महानिदेशक जीवीजी युगंधर ने कहा कि एयर इंडिया की उड़ान एआई 171 के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारणों के बारे में विदेशी मीडिया के कुछ तबकों में लगाई जा रही अटकलें ‘निराधार’ और ‘समयपूर्व’ हैं। एयर इंडिया के बोइंग 787-8 विमान (पंजीकरण वीटी-एएनबी) के 12 जून को दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद युगंधर का यह पहला सार्वजनिक बयान है। इस हादसे में विमान में सवार 242 लोगों में से 241 की मौत हो गई थी। ‘अपील’ शीर्षक के तहत उनका यह बयान द वॉल स्ट्रीट जर्नल द्वारा यह रिपोर्ट प्रकाशित किए जाने के कुछ घंटों बाद आया है। युगंधर ने कहा कि इस हादसे में मारे गए यात्रियों, चालक दल के सदस्यों एवं अन्य मृतकों के परिवार के सदस्यों को हुए नुकसान के प्रति संवेदनशीलता का सम्मान करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमारे संज्ञान में आया है कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया के कुछ वर्ग बार-बार चुनिंदा और तथ्यों को सत्यापित किए बिना की जा रही रिपोर्टिंग के जरिये निष्कर्ष निकालने की कोशिश कर रहे हैं। इस तरह का काम बिल्कुल गैरजिम्मेदाराना है, खास तौर पर ऐसे समय में जब हादसे की जांच जारी है।’ एएआईबी ने 12 जुलाई को अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की थी, जिससे पता चला था कि उड़ान भरने के तुरंत बाद दोनों इंजनों की ईंधन आपूर्ति बंद हो गई थी। दोनों फ्यूल कंट्रोल स्विच को ‘कटऑफ’ किया गया और करीब 10 सेकंड बाद उन्हें दोबारा चालू कर दिया गया। मगर तब तक इंजन में आग लग चुकी थी। युगंधर ने कहा कि एएआईबी की जांच एवं प्रारंभिक रिपोर्ट का उद्देश्य यह जानकारी प्रदान करना है कि वास्तव में क्या हुआ।
मगर फिलहाल किसी ठोस निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी।’ उन्होंने जनता और मीडिया से आग्रह किया कि समय से पहले ऐसी कोई कहानी न गढ़ें जिससे जांच प्रक्रिया को नुकसान हो। पायलटों के संगठन एएलपीए-इंडिया ने कहा कि दुर्घटनाग्रस्त एआई 171 विमान के चालक दल ने विमान में सवार यात्रियों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास किया और वे सम्मान के हकदार हैं, निराधार चरित्र-निर्णय के नहीं। एएलपीए-इंडिया ने कहा, पायलट प्रशिक्षित पेशेवर होते हैं जो समर्पण और गरिमा के साथ सैकड़ों लोगों की जान की जिम्मेदारी निभाते हैं। एआई 171 के चालक दल ने अपनी आखिरी सांस तक विमान में सवार यात्रियों की सुरक्षा और जमीन पर होने वाले नुकसान को कम करने के लिए हर संभव प्रयास किया। संगठन ने कहा, एएआईबी की प्रारंभिक रिपोर्ट में कोई निष्कर्ष नहीं दिया गया है क्योंकि जाँच जारी है, कुछ क्षेत्रों में अटकलें लगाई जा रही हैं कि दुर्घटना का कारण पायलट की संभावित गलती भी हो सकती है। एएलपीए-इंडिया ने दुर्घटना की पारदर्शी जांच की मांग की। एएलपीए इंडिया, इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एयर लाइन पायलट्स एसोसिएशन का सदस्य है। उधर, फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स ने विमान में संभावित तकनीकी गलत व्याख्या या यांत्रिक दोषों का पुनर्मूल्यांकन करने को कहा और जांच में विषय विशेषज्ञों को शामिल करने की मांग की।
अहमदाबाद विमान हादसा एक दिल दहला देने वाली त्रासदी थी, उसे याद कर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। लेकिन अमेरिकी मीडिया अपनी अमेरिकी कंपनी के आर्थिक हितों को देखते हुए भारतीय पायलटों को अपने निशाने पर ले रहा है, जबकि जांच अभी जारी है। अभी तो प्रारंभिक रिपोर्ट ही आई है, गहन छानबीन मामले में जारी है। इसलिए किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी ही होगी। जल्दबाजी में लिया गया निर्णय अधिकतर गलत ही होता है। भारत सरकार को यह सुनिश्चत करना चाहिए कि जांच पारदर्शी हो और सत्य पर आधारित हो।