राष्ट्रीय स्तर पर होगा मतदान सत्यापन

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संपादकीय { गहरी खोज }: बिहार में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के तहत 4.4 प्रतिशत यानी 35 लाख से ज्यादा मतदाताओं के नाम वोटर सूची से बाहर हो सकते हैं। चुनाव आयोग की ओर से जो ताजा आंकड़े साझा किए गए हैं, उनसे पता चलता है कि 1.59 प्रतिशत, यानी 12.5 लाख मतदाता मर चुके हैं, लेकिन उनके नाम सूची में बने हुए हैं। 2.2 प्रतिशत, यानी 17.5 लाख मतदाता स्थायी रूप से बिहार से बाहर चले गए हैं और अब राज्य में मतदान के पात्र नहीं हैं। 0.73 प्रतिशत, यानी लगभग 5.5 लाख वोटर दो राज्यों में पंजीकृत पाए गए हैं। इनके वोट बिहार में भी हैं और दूसरे प्रदेशों में भी। निर्वाचन आयोग अनुसार बिहार के कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 6.60 करोड़ से अधिक के नाम मसौदा मतदाता सूची में शामिल किए जाएंगे। आयोग ने बताया कि एसआईआर के तहत गणना प्रपत्र (ईएफ) भरकर उन्हें जमा करने की अंतिम तिथि में 11 दिन शेष हैं और बीएलओ द्वारा दो दौर के घर-घर दौरे के बाद बिहार के 7 करोड़ 89 लाख 69 हजार 844 मतदाताओं में से 6 करोड़ 60 लाख 67 हजार 208 या 83.66 प्रतिशत के ईएफ एकत्र किए जा चुके हैं। चुनाव आयोग ने यह भी खुलासा किया कि क्षेत्रीय दौरों के दौरान, नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों के कुछ विदेशी नागरिक मतदाता के रूप में पंजीकृत पाए गए। आयोग ने कहा कि आगे की जांच के बाद इन नामों को भी हटा दिया जाएगा। चुनाव आयोग ने कहा कि जो मतदाता अस्थायी रूप से बिहार से बाहर गए हैं, उनके लिए समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर तथा उन व्यक्तियों से सीधे संपर्क करके प्रयास किए जा रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे समय पर अपना ईएफ भर सकें तथा उनका नाम एक अगस्त को प्रकाशित होने वाली मसौदा सूची में भी शामिल हो। ऐसे मतदाता अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके ईसीआईनेट एप या ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से आसानी से ऑनलाइन ईएफ भर सकते हैं। वे अपने प्रपत्र अपने परिवार के सदस्यों या व्हाट्सऐप या इसी तरह के किसी भी ऑनलाइन माध्यम से संबंधित बीएलओ को भी भेज सकते हैं। बिहार में एसआईआर के चौथे चरण में मसौदा मतदाता सूची एक अगस्त को प्रकाशित की जाएगी। जिन लोगों ने 25 जुलाई से पहले कोई गणना प्रपत्र जमा नहीं किया होगा, उनके नाम मसौदा सूची में नहीं दिखाई देंगे। बीएलए मसौदा सूची प्रकाशित होने के बाद भी प्रतिदिन 10 प्रपत्र तक जमा कर सकते हैं। कोई भी नागरिक एक अगस्त से एक सितंबर तक पांचवें चरण में दावे और आपत्तियां दर्ज करा सकता है। अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी।

गौरतलब है कि बिहार में चल रहे मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर विपक्षी दलों ने देश के उच्चतम न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था। देश के उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयोग को कुछ सुझाव अवश्य दिये पर विपक्षी दलो की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और मतदाता सूचियों का गहन पुनरीक्षण कराना उसका अधिकार है। इसलिए एसआईआर पर रोक नहीं लगाई जा सकती।

अब निर्वाचन आयोग ने घोषणा की है कि वह पूरे देश में मतदाता सूचियों की गहन समीक्षा करेगा, ताकि विदेशी अवैध प्रवासियों के जन्म स्थान की जांच कर उन्हें हटाया जा सके। बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि पांच अन्य राज्यों-असम, केरल, पुदुच्चेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव 2026 में होंगे। यह कदम बांग्लादेश और म्यांमार सहित विभिन्न राज्यों में अवैध विदेशी प्रवासियों पर कार्रवाई के मद्देनजर महत्त्वपूर्ण है।

निर्वाचन आयोग का पूरे देश में मतदाता सूचियों का गहन पुनरीक्षण कराने का निर्णय उचित दिशा में उठा एक कदम है और यह देशहित में भी है। क्योंकि बिहार में कराये जा रहे गहन पुनरीक्षण के दौरान बड़ी संख्या में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के लोग मतदाता सूची में मिले हैं। यह स्थिति लोकतांत्रिक व्यवस्था के साथ-साथ देश के लिए भी घातक है। विदेशी अवैध प्रवासियों का मतदाता सूची में नाम होना खतरे की घंटी है। अतीत में हुई लापरवाही के कारण ही विदेशी अवैध प्रवासियों का मतदाता बन जाना संभव हुआ। अवैध प्रवासी हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को प्रभावित न कर सके, इसलिए इनका मतदाता सूची में नाम कटना आवश्यक है। लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पूरे देश में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) आवश्यक है। अधिकांश राज्यों में 2002 से 2004 के बीच ही मतदाता सूचियों का गहन अध्ययन हुआ था। चुनाव आयोग बिहार में 2003 में हुई मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण कर रहा है। चुनाव आयोग के इस कदम का विरोध करने का कोई औचित्य दिखाई नहीं देता। क्योंकि यह देश के हित में है।

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