गुस्से से फटने लगती हैं दिमाग की नसें तो अपनाएं स्वामी रामदेव के ये उपाय, छूमंतर हो जाएगी टेंशन

लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: मेट्रो सिटीज में रहने वाला हर दूसरा शख्स पूछ रहा है कि साउंड पॉल्यूशन क्यों इतना बढ़ रहा है। एयर पॉल्यूशन पर तो बात होती है, लेकिन शोर से होने वाले प्रदूषण पर भी बात करना जरूरी है। क्योंकि रिसर्च बता रही है कि Air pollution की तरह ये भी सेहत पर घातक असर छोड़ रहा है। हवा में घुला जहर तो लंग्स पर अटैक करता है। लेकिन साउंड पॉल्यूशन कैसे नुकसान पहुंचाता है। साउंड पॉल्यूशन सीधे आपके दिल-दिमाग पर वार करता है। रिसर्चर्स की मानें तो आसपास का शोर मानसिक तनाव, घबराहट और गुस्से की वजह बन रहा है। इससे जुड़ी एक बीमारी है ‘मिसो-फोनिया’ जो मेडिकल साइंस के लिए चुनौती बन चुकी है।
‘मिसो-फोनिया’ का नाम बहुत सारे लोग पहली बार सुन रहे होंगे। लेकिन स्टडी बताती है कि ये परेशानी हर 5 में से 1 शख्स को अफेक्ट करती है। इस बीमारी में कुछ आवाज़े इंसान को एग्रेसिव कर देती हैं। जैसे खाना चबाने, सांस लेने, यहां तक कि घड़ी की टिक टिक की आवाज भी उनकी प्रॉब्लम को ट्रिगर करती है। इससे गुस्सा, चिड़चिड़ापन, नफरत, बेचैनी, घबराहट जैसे साइडइफेक्ट दिखने लगते हैं। ‘मिसो-फोनिया’ में इंसान की धड़कन तेज़ हो जाती है, मांसपेशियों में तनाव होने लगता है।
आजकल तो लोग वैसे ही फ्रस्टेशन, डिप्रेशन लिए घूम रहे हैं, जिससे कहीं भी, कभी भी उनका गुस्सा निकल जाता है। जबकि लगातार दिलो दिमाग में ये गुबार लोगों का बीपी हाई करता है। डायजेशन बिगाड़ता है जिससे इम्यून सिस्टम भी कमज़ोर होने लगता है। हर वक्त तेवर दिखाने से कोरोनरी हार्ट डिज़ीज, डायबिटीज, हार्ट अटैक, स्ट्रोक और नजर कमजोर होने का खतरा भी बढ़ जाता है। बड़े तो बड़े आजकल बच्चों में भी एंगर लेवल काफी हाई रहता है और इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं मोबाइल वीडियो गेम्स और रील्स की खराब आदत। गुस्से दिलाने वाली हर वजह को कैसे हैंडल किया जाए और कैसे एंगर मैनेजमेंट किया जाए, स्वामी रामदेव से जानते हैं।