सुप्रीम कोर्ट ने कुमारस्वामी को अवमानना मामले में दी राहत

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय मंत्री एच डी कुमारस्वामी को अदालती अवमानना कार्यवाही में आरोपी बनाने से संबंधित कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक आदेश पर गुरुवार को रोक लगाकर उन्हें राहत दी।
न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी वराले की पीठ ने निर्देश दिया कि श्री कुमारस्वामी को अवमानना मामले में आरोपी बनाने संबंधी कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश को स्थगित रखा जाए।
पीठ ने पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के पुत्र एवं कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री तथा जनता दल सेक्युलर नेता की ओर से दायर एक याचिका पर गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘समाज परिवर्तन समुदाय’ को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
शीर्ष अदालत ने इस मामले में लोकायुक्त जाँच बंद होने के बावजूद अवमानना कार्यवाही जारी रखने के औचित्य पर भी मौखिक रूप से सवाल उठाया।
यह मामला 2011 में कर्नाटक लोकायुक्त के समक्ष केथागनहल्ली गाँव, बिदादी होबली, रामनगर तालुक में कथित अतिक्रमण के संबंध में की गई एक शिकायत पर एक लंबे समय से चल रहे विवाद से संबंधित है।
एनजीओ ने 2020 में कर्नाटक उच्च न्यायालय में लोकायुक्त के आदेश के अनुसार कथित अतिक्रमण की जाँच की माँग करते हुए एक रिट याचिका दायर की थी। राज्य सरकार के जाँच के आश्वासन के आधार पर उच्च न्यायालय ने 14 जनवरी, 2020 को याचिका का निपटारा कर दिया था। इस मामले में कुमारस्वामी को एक पक्षकार बनाया गया था, लेकिन उन्हें उन कार्यवाहियों में नोटिस जारी नहीं किया गया।
इसके बाद एनजीओ ने 14 जनवरी, 2020 के आदेश का पालन न करने का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय में अवमानना की शिकायत की। ​​हालाँकि, श्री कुमारस्वामी को शुरू में अवमानना ​​कार्यवाही में एक पक्ष बनाया गया था, लेकिन बाद में उच्च न्यायालय ने ही उन्हें पक्षकारों की सूची से हटा दिया।
कर्नाटक लोकायुक्त की ओर से तीन मार्च, 2021 को औपचारिक रूप से जांच बंद कर दी गई थी। बावजूद इसके, उच्च न्यायालय ने अवमानना कार्यवाही के दौरान मामले की निगरानी जारी रखी और बेदखली के उपायों को लागू करने का निर्देश दिया।
इन निर्देशों के अनुसरण में, रामनगर तालुक के तहसीलदार द्वारा जनता दल-सेक्युलर नेता को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें बेदखली की कार्यवाही शुरू की गई, जिससे उन्हें लंबित अवमानना मामले की जानकारी मिली।
पूर्व मुख्यमंत्री ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया और उन्हें उच्च न्यायालय में उपस्थित होने और बिना सुनवाई के कार्यवाही के अधीन होने पर अपनी चिंता व्यक्त करने की अनुमति प्रदान की।
श्री कुमारस्वामी ने उच्च न्यायालय में एक आवेदन दायर किया, जिसमें घटनाक्रम को उजागर किया गया। फिर भी 17 अप्रैल, 2025 को, उच्च न्यायालय ने उन्हें अवमानना कार्यवाही में आरोपी संख्या तीन के रूप में रखने का आदेश पारित किया, जबकि मूल रिट याचिका में उनका नाम पहले ही हटा दिया गया था और उन्हें कोई सूचना नहीं दी गई थी।
इस मामले में कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने शीर्ष अदालत का फिर से दरवाजा खटखटाया।
अदालत के समक्ष श्री कुमारस्वामी का पक्ष रखने वरिष्ठ अधिवक्ता सी. आर्यमा सुंदरम, अधिवक्ता बालाजी श्रीनिवासन, निशांत ए.वी. और हर्ष त्रिपाठी पेश हुए। इसके अलावा ‘समाज परिवर्तन समुदाय’ की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण कैविएट पर उपस्थित हुए।

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