सत्ता में आकर लोग अहंकारी हो जाते हैं, पर खुद को थोपकर कोई महान नहीं बनताः गडकरी

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नागपुर{ गहरी खोज }: केंद्रीय परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक बार फिर अपने बेबाक बयानों से राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। शनिवार को नागपुर में एक सम्मेलन में प्राचार्यों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सत्ता, धन, ज्ञान और सुंदरता प्राप्त करने वाले लोग अक्सर अहंकारी हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि एक बार जब लोग यह मानने लगते हैं कि वे सबसे बुद्धिमान हैं, तो उनकी दृढ़ता दूसरों पर प्रभुत्व में बदल सकती है। उन्होंने जोर देकर कहा, “लेकिन कोई भी खुद को थोपकर महान नहीं बनता। इतिहास देखिए, जिन्हें अपने लोगों ने स्वीकार किया है उन्हें कभी किसी पर खुद को थोपना नहीं पड़ा।” गडकरी ने नेताओं के बीच अहंकार के इस जाल पर दुख जताया। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, “मैं सबसे बुद्धिमान हूं। मैं साहब बन गया हूं… मैं दूसरों की गिनती भी नहीं करता।” उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसा अहंकार सच्चे नेतृत्व को कमजोर कर देता है।
गडकरी ने सही नेतृत्व की परिभाषा देते हुए कहा कि किसी भी संस्था की ताकत, चाहे वह राजनीति हो, समाज सेवा हो या कॉर्पोरेट, मानवीय रिश्तों में निहित होती है। उन्होंने कहा, “आप अपने अधीनस्थों से कैसे व्यवहार करते हैं, यही असली नेतृत्व है। सम्मान मांगने से नहीं मिलता, वह कर्मों से अर्जित होता है।”
उनकी टिप्पणियों को विपक्ष ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर परोक्ष हमला बताया। कांग्रेस नेता और पूर्व महाराष्ट्र मंत्री नितिन राऊत ने कहा, “गडकरी जी का बयान भाजपा के अंदर फैले अहंकार और आत्मकेंद्रित रवैये पर सीधा इशारा करता है।”
गडकरी ने शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “मैं जानता हूं कि यहां तक कि शिक्षक नियुक्तियों में भी घूस ली जाती है। यह बेहद शर्मनाक है।” उन्होंने व्यंग्य करते हुए पूछा, “इतनी भ्रष्ट व्यवस्था में सड़कें कैसे बनती हैं?” उन्होंने कहा कि “कुछ लोग चुनौतियों को अवसर में बदलते हैं, जबकि कुछ मौके बर्बाद कर देते हैं।”
सरकारी अधिकारियों की उत्तरदायित्व भावना पर बोलते हुए उन्होंने चुटकी ली, “जब आपको नौकरी मिली है तो कुछ करके दिखाइए। मैं पूछता हूं कि क्या आप गधे को घोड़ा बना सकते हैं?” उन्होंने हार मानने वाले रवैये को खारिज करते हुए कहा, “अगर आप कहते हैं कि सुधार नहीं हो सकता, तो फिर आपको बुलाया ही क्यों गया?”
अपने भाषण के अंत में गडकरी ने शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि आज आप जो सिखाते हैं, वही कल भारत का भविष्य गढ़ेगा। उन्होंने प्रधानाचार्यों को टीमवर्क के जरिए शिक्षकों और विद्यार्थियों का विकास करने का आह्वान किया।

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