जम्मू-कश्मीर के नेताओं को नज़रबंद किया गया

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श्रीनगर{ गहरी खोज }: जम्मू-कश्मीर में सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत कई नेताओं को रविवार को नजरबंद कर दिया गया।ये लोग वर्ष1931 में तत्काकलीन शासन के खिलाफ हुए एक विरोध प्रदर्शन में मारे गए 22 लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए वहां जाना चाहते थे।
प्रशासन ने नौहट्टा क्षेत्र में बने कब्रिस्तान मज़ार-ए-शोहदा की ओर जाने वाले सभी रास्तों को सील कर दिया और कई संवेदनशील इलाकों में पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र बलों की भारी टुकड़ियां तैनात कर दीं।श्रीनगर जिला प्रशासन ने कल शाम राजनीतिक दलों को वहां जाने की अनुमति देने से मना करते हुए आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रतिबंधों की निंदा करते हुए इसे “पूरी तरह से अलोकतांत्रिक” बताया। श्री अब्दुल्ला ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि अलोकतांत्रिक कदम उठाते हुए लोगों को घरों में बंद कर दिया गया है। जिससे कि लोग ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण कब्रिस्तान में नहीं जा सकें। यहां उनकी कब्रें हैं जिन्होंने कश्मीरियों को आवाज़ देने और उन्हें मजबूत बनाने के लिए जान दे दी। उन्होंने कहा कि वह नहीं जानते कि पुलिस आखिर किस बात से इतना डरती है।वह पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक तनवीर सादिक की एक पोस्ट पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। श्री सादिक ने कहा था कि नेताओं को उनके घरों में नजरबंद कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा,“ वर्ष 1931 में जान कुर्बान करने वालों को गलत तरीके से बदनाम किया जा रहा है और 13 जुलाई का नरसंहार कश्मीर का जलियांवाला बाग है। उन लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ जान कुर्बान की। आज हमें उनकी कब्रों पर जाने का मौका भले ही न मिले, लेकिन हम उनके बलिदान को नहीं भूलेंगे।”
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने भी इस कर्रवाई की आलोचना की। कई पीडीपी नेताओं को भी नज़रबंद कर दिया गया है।
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष एवं हंदवाड़ा विधायक, सज्जाद लोन ने कहा कि उन्हें भी घर पर नज़रबंद कर दिया गया है और श्रद्धांजलि अर्पित करने से रोक दिया गया है।
तेरह जुलाई को पहले जम्मू-कश्मीर में सार्वजनिक अवकाश होती थी, लेकिन अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद इसे आधिकारिक कैलेंडर से हटा दिया गया। तब से, राजनीतिक नेताओं को इस दिन मज़ार-ए-शोहदा कब्रिस्तान में जाने से रोक दिया गया है।

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