सावन के प्रदोष काल में क्यों करनी चाहिए शिव जी की पूजा

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धर्म { गहरी खोज } :सावन माह का आरंभ हो गया है, यह पूरा माह शिव जी को समर्पित है। मान्यता है कि इस माह पूजा-पाठ करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और भक्त को आशीर्वाद देते हैं। शास्त्रों में शिवजी को बेहद शांत और सरल हृदय वाले देवता के रूप में वर्णित किया गया है। माना जाता है कि शिव जी एक लोटा जल अर्पित करने मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं। सावन में सोमवार व्रत और प्रदोष काल के पूजा का विशेष महत्व है। सोमवार के दिन शिव भक्त व्रत रखते हैं और भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए जलाभिषेक आदि करते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि सावन के प्रदोष काल में क्यों करनी चाहिए पूजा

प्रदोष काल में क्यों करनी चाहिए पूजा?
सावन का प्रदोष काल बेहद शुभ होता है। इस समय पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर अभय वरदान देते हैं। मान्यता है कि इस समय भगवान शिव के तांडव नृत्य का समय होता है। ऐसे में भगवान नृत्य के समय प्रसन्न रहते हैं। माना जाता है कि इस दौरान की गई पूजा आपको विशेष फल दे सकती है। प्रदोष काल के समय की गई पूजा से भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

किसे कहा गया प्रदोष काल?
प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद के समय को कहा गया है। माना जाता है कि यह सूर्यास्त के बाद शुरू होता है और रात 8 बजे तक रहता है।

कैसे करें पूजा?
प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा से पहले स्नान करें और साफ कपड़े धारण करें। फिर एक वेदी बनाएं और भगवान शिव की प्रतिमा या फिर शिवलिंग स्थापित करें। शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक करें और फिर बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल चढ़ाएं और फिर शिवलिंग के सामने दीपक जलाएं। पूजा के दौरान ॐ नम: शिवाय का जप करते रहें।

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