महाकुंभ की तरह कांवड़ यात्रा की एंटी ड्रोन और टीथर्ड ड्रोन से हो रही रियल टाइम मॉनीटरिंग

0
File image

File image

सीएम योगी के निर्देश पर हाईटेक टेक्नोलॉजी से कांवड़ यात्रा रूट और शिव मंदिरों की हो रही निगरानी
लखनऊ{ गहरी खोज }: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर कांवड़ यात्रा को सुरक्षित, सुगम और व्यवस्थित बनाने के लिए सबसे हाइटेक एंटी ड्रोन और टीथर्ड ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे पहले राम मंदिर के उद्धाटन समारोह और महाकुंभ की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए एंटी और टीथर्ड ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा काे सकुशल संपन्न कराने के लिए कई बड़े कदम उठाये गये हैं ताकि कोई परिंदा पर नहीं मार सके। वहीं महाकुंभ की तरह ही मार्डन कंट्रोल रूम बनाया गया है, जहां 24 घंटे रियल टाइम मॉनीटरिंग की व्यवस्था है। इतना ही नहीं कांवड़ यात्रा के रूट की जमीन स्तर पर सुरक्षा के लिए एटीएस, आरएएफ और क्यूआरटी जैसे विशेष बलों को तैनात किया गया है।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा, सुरक्षा और निगरानी के लिए तकनीक का भरपूर उपयोग करते हुए तीर्थयात्रियों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए शासन व पुलिस प्रशासन ने हर स्तर पर कमर कस ली है। मुख्यमंत्री योगी ने स्वयं इस यात्रा की तैयारियों की लगातार समीक्षा की है और निर्देश दिए थे कि सुरक्षा, चिकित्सा, स्वच्छता, जल व्यवस्था और यातायात प्रबंधन में कोई कमी न रहे।
उन्होंने महाकुंभ में किए गए सुरक्षा प्रबंधों को मॉडल मानकर कांवड़ यात्रा मार्गों पर भी उसी प्रकार के इंतजाम करने के निर्देश दिए थे। ऐसे में सीएम योगी के निर्देश पर कांवड़ यात्रा के रूट पर हाईटेक निगरानी को प्राथमिकता दी गई है। मुख्य कांवड़ मार्गों और प्रमुख स्थानों पर 29,454 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इसके साथ ही 395 हाइटेक ड्रोन और विशेष रूप से एंटी ड्रोन के साथ टीथर्ड ड्रोन की मदद से रियल-टाइम वीडियो फीड लेकर डीजीपी मुख्यालय से सीधे मॉनीटरिंग की जा रही है। ये टीथर्ड ड्रोन लगातार एक स्थान पर स्थिर रहकर भीड़ की निगरानी में सक्षम हैं, जिससे किसी भी प्रकार की आपात स्थिति की त्वरित जानकारी मिल सके।
वहीं महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने के लिए मार्डन कंट्रोल रूम बनाया गया था। इसी की तर्ज पर कांवड़ यात्रा और शिव मंदिरों की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए डीजीपी मुख्यालय में मार्डन कंट्रोल रूम बनाया गया है। यहां पर 24 घंटे रियल टाइम मॉनीटरिंग के जरिये पल-पल की नजर रखी जा रही है। इसके अलावा एक विशेष आठ सदस्यीय टीम 24 घंटे सोशल मीडिया पर नजर रखे हुए है। यह टीम सोशल मीडिया पर चलने वाली अफवाहों, भ्रामक सूचनाओं और संवेदनशील पोस्ट की रियल-टाइम मॉनीटरिंग कर रही है तथा संबंधित जिलों को अलर्ट भेजा जा रहा है। साथ ही, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से आपत्तिजनक सामग्री हटवाने की कार्यवाही भी की जा रही है। इसी प्रकार एक अलग कंट्रोल रूम टीम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, यूपी-112 और अन्य माध्यमों से प्राप्त सूचनाओं की 24 निगरानी कर रही है।
कांवड़ यात्रा की सुरक्षा के लिए 587 राजपत्रित अधिकारी, 2,040 निरीक्षक, 13,520 उपनिरीक्षक और 39,965 आरक्षियों को ड्यूटी पर लगाया गया है। इसके साथ ही 1,486 महिला उपनिरीक्षक और 8,541 महिला आरक्षी, 50 कंपनियां पीएसी, केंद्रीय बल और 1,424 होमगार्ड्स भी तैनात किये गये हैं। कांवड़ यात्रा से जुड़े सभी दिशा-निर्देश, पुलिस अधिकारियों के मोबाइल नंबर, ट्रैफिक डायवर्जन योजना आदि को बारकोड के माध्यम से होर्डिंग, अखबार और सोशल मीडिया पर साझा किया गया है, ताकि श्रद्धालुओं को आवश्यक सूचना आसानी से मिले। इसके अलावा अंतरराज्यीय समन्वय के लिए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के अधिकारियों का व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है। इसके जरिए रियल-टाइम सूचना आदान-प्रदान, मार्गों की स्थिति, सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण से जुड़ी जानकारियां साझा की जा रही है।
एंटी ड्रोन सिस्टम रडार, सेंसर और अन्य तकनीकों का उपयोग करके ड्रोन का पता लगाते हैं और फिर उन्हें जाम करके या नष्ट करके निष्क्रिय कर देते हैं। यह दो मुख्य तरीकों से काम करते हैं। इनमें सॉफ्ट किल में ड्रोन के संचार लिंक को जाम करना शामिल है, जिससे यह नियंत्रित नहीं हो पाता और हार्ड किल में ड्रोन को नष्ट करना शामिल है, जैसे लेजर या मिसाइलों का उपयोग करके। डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) ने स्वदेशी एंटी-ड्रोन सिस्टम विकसित किए हैं, जैसे डी4एस (डिटेक्ट, डेटर, डिस्ट्रॉय) सिस्टम, जो दुश्मन के ड्रोन का पता लगाने, उन्हें रोकने और नष्ट करने में सक्षम है।
वहीं टीथर्ड ड्रोन एक केबल या कॉर्ड से जुड़ा होता है, जो इसे स्थिर रखता है और हवा के झोंकों से प्रभावित होने से बचाता है, जिससे यह अधिक सटीक और विश्वसनीय उड़ान भर सकता है। केबल के माध्यम से निरंतर बिजली आपूर्ति के कारण, टीथर्ड ड्रोन पारंपरिक ड्रोन की तुलना में अधिक समय तक उड़ान भर सकते हैं। टीथर्ड ड्रोन का उपयोग निगरानी, ​​सुरक्षा, और संचार उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां निरंतर और विश्वसनीय हवाई दृश्यता की आवश्यकता होती है। टीथर्ड ड्रोन का उपयोग अक्सर आपातकालीन सेवाओं, कानून प्रवर्तन और निगरानी प्रणालियों में किया जाता है, जहां एक स्थिर और विश्वसनीय प्लेटफॉर्म की आवश्यकता होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *