ऐसा हो सकता है, इसलिए नड्डा ने कहा है

सुनील दास
संपादकीय { गहरी खोज }: दूसरे राजनीतिक दलों में ऐसा होता है सत्ता मिलते ही सबसे पहला काम विधायक,मंत्री ठेका और ठेकेदारों के चक्कर में पड़ जाते हैं। सत्ता मिलने पर पैसा कमाने का सबसे आसान तरीका यही समझा जाता है,इसलिए विधायक से लेकर मंत्री तक अपने लोगों को ठेका दिलाने लग जाते हैं,बदले में कुछ प्रतिशत उनको मिल जाता है। कुछ प्रतिशत के लिए मंत्री व विधायक ठेकेदाराें के चक्कर में पड़ जाते हैं।जनता सब देखती रहती है इसलिए सत्ता मिलने पर भ्रष्टाचार करने वाले दल व उसके नेताओं को दोबारा मौका नहीं मिलता है। क्योंकि जनता एक बार सत्ता देकर जान जाती है कि इनका मकसद राज्य व जनता की सेवा करना नहीं है, इनका मकसद तो पार्टी व अपने लिए पैसा जुटाना है। भले ही इसके लिए भ्रष्टाचार के नए नए तरीके क्यों न खोजने पड़े। भले ही इसके लिए सरकार को अधिकारियों को भी भ्रष्ट करना पड़े, कुछ हिस्सा उनको क्यों न देना पड़े।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मैनपाट के प्रशिक्षण शिविर मे यूं ही नहीं कहा है के मंत्री और विधायक ठेकेदारों के चंगुल में फंस गए तो दोबारा चुनाव नहीं जीत पाएंगे।उन्होंने कई राजनीतिक दलों की सरकारों को भ्रष्टाचार के कारण जाते देखा है, ऐसा हुआ है, ऐसा भाजपा के साथ भी हो सकता है, इसलिए उन्होंने आगाह किया है कि सत्ता मिलने पर विधायक व मंत्री जो गलती करते हैं वैसी गलती आप लोगों को नहीं करना है। उन्होंने यह कहा नहीं है लेकिन इसका मतलब यह भी है कि भ्रष्टाचार करोगे तो खुद तो नुकसान रहोगे, पार्टी को भी नुकसान पहुंचाओगे और पार्टी ऐसे लोगों को पसंद नहीं करती है तो पार्टी को किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाए।
भाजपा की ईमानदार पार्टी की छवि बनने में चार दशक लग गए हैं। चार दशक में पार्टी के नेताओं ने इस बात का खास ख्याल रखा है कि पार्टी की छवि भ्रष्ट पार्टी की न बने जैसी की कांग्रेस के नेताओं,विधायकों,मंत्री के कारण कांग्रेस की बन गई है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार के समय के इतने घोटालों की जांच चल रही है कि आए दिन उसकी खबरें सामने रहती हैं जिससे लोगों को लगता है कि इस पार्टी के लोगों ने किसी क्षेत्र को घोटाला करने से नहीं छोड़ा है। नए नए तरीकों से घोटाला किया गया है। ऐसे में जनता पूरी पार्टी को ही भ्रष्ट कैसे नहीं मानेगी।यहां शीर्ष का कोई नेता कभी कहता भी तो नहीं है कि सत्ता मिलने पर ठेकेदारों के चक्कर में मत पड़ना वर्ना अगली बार पार्टी की सरकार नहीं बनेगी।
भाजपा में कम से कम अध्यक्ष खुले तौर पर कहता तो है,आगाह करता है कि ऐसा मत करना इससे नुकसान होगा। कांग्रेस में पार्टी के नुकसान की कोई सोचता नहीं है, इसलिए वह अपने फायदे के लिए जहां मौका मिलता है कुछ न कुछ कर लेते हैं। वह मानते हैं कि पैसा ही सबकुछ है। कैसे मिल सकता है इसी पर फोकस रहता है। जब पैसा ही सब कुछ हो जाता है तो लोग पार्टी के लोगों के पास पार्टी के बारे में सोचने का समय नहीं रहता है। पैसा की जगह जब पार्टी सबकुछ हो जाती है तो पार्टी के बड़ेे नेता छोटे नेताओं, विधायकों , मंत्री को समझाते हैं कि पैसा नही पार्टी को सबकुछ समझो।पैसे से ज्यादा महत्व पार्टी को दो, जनता को दो।
भाजपा के बड़े नेता छोटों को समझाते हैं कि पार्टी रहेगी, पार्टी ईमानदार रहेगी तो उसके नेता,विधायक व मंत्री को भी ईमानदार रहना होगा।भाजपा में जो ईमानदार रहता है पार्टी के प्रति उसे ईमानदार रहने का फल एक दिन जरूर मिलता है। इसका उदाहरण पीएम मोदी है, जो प्रचारक से सीएम बने और फिर पीएम बने।उनको सीएम व पीएम पार्टी ने ही तो बनाया है। इसका उदाहरण सीएम साय हैं। वह सामान्य कार्यकर्ता से केंद्रीय मंत्री, उसके बाद सीेएम बनाए गए है।उन्होंने पैसे से ज्यादा महत्व पार्टी को दिया। बेईमानी से ज्यादा महत्व ईमानदारी को दिया।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है नेता,विधायक व मंत्री से भ्रष्टाचार से दूर रहो तो उनके कहने का यही मतलब है कि ईमानदार पार्टी के हो तो ईमानदार बने रहो। ईमानदार बने रहोगे तो इसका फल एक दिन जरूर मिलेगा। किसी पार्टी को ईमानदार पार्टी तब ही बनाया जा सकता है जब उसके एक एक आदमी को ईमानदार बने रहने के लिए निरंतर जागरूक किया जाता है। भाजपा में जब भी मौका मिलता है पार्टी अध्यक्ष से लेकर तमाम बड़े नेता पार्टी के निचले स्तर के नेताओं को ईमानदार बने रहने के लिए प्रेरित करते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि जब पार्टी के ज्यादातर लोग ईमानदार रहेंगे तो ही पार्टी ईमानदारों की पार्टी मानी जाएगी।छत्तीसगढ़ में सीएम साय भाजपा की सरकार को पिछली सरकार से अलग साबित करने के लिए यही कर रहे हैं, पिछली सरकार मेें जिस विभाग में जिस कारण से भ्रष्टाचार हुआ था, साय सरकार उस विभाग में फिर वैसा ही भ्रष्टाचार न हो इसके लिए प्रयास कर रही और इसमें काफी हद तक सफल है।